मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। सूचना अधिकार कानून [आरटीआइ] के जरिए जिस महाराष्ट्र में आदर्श सोसाइटी जैसा बड़ा घोटाला उजागर हुआ,..
सीटें जीते बिना भी मिल सकता है क्षेत्रीय दल का दर्जा
नई दिल्ली गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों पर चुनाव आयोग थोड़ा मेहरबान हुआ है। अब ये दल राज्य विधानसभा या लोकसभा में कोई सीट जीते बगैर भी क्षेत्रीय दल का दर्जा पा सकते हैं। बशर्ते उन्हें कुल वोट का आठ फीसदी हिस्सा मिले। वहीं पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को छूट होगी कि वह विधानसभा या लोकसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों के लिए एक जैसा चुनाव चिह्न पा सकें। क्षेत्रीय दल का दर्जा पाने के लिए अब तक संबंधित राज्य विधानसभा व लोकसभा में कुछ फीसदी वोट पाने के साथ-साथ कुछ सीटें जीतना भी जरूरी था।
अब इससे छूट मिल गई है। अगर कोई दल आठ फीसदी वोट हासिल कर लेता है तो उसे क्षेत्रीय दल की मान्यता मिल जाएगी। चुनाव चिह्न पर भी एक फैसला हुआ है। गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए चुनाव चिह्न परेशानी खड़ी करता रहा है। अभी तक इन दलों के उम्मीदवारों को बाद में चुनाव चिह्न दिया जाता है। अगर दो दलों के उम्मीदवार एक ही चुनाव चिह्न चाहते हैं तो लाटरी के जरिए उनका फैसला किया जाता है, लेकिन अब फैसला किया गया है कि इन दलों को एक बार समान चुनाव चिह्न रखने की छूट दी जाएगी।
यानी सिर्फ एक बार उन्हें एक जैसा चुनाव चिह्न दिया जाएगा। शर्त इतनी है कि संबंधित दलों को राज्य की कम से कम 10 फीसदी सीटों पर उम्मीदवार उतारना होगा। इन दलों को अपनी ओर से रिक्त पड़े 10 चिह्नों की सूची भी देनी होगी। इधर, चुनाव खर्च पर लगाम लगाने के लिए जारी दिशानिर्देश के बाद सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी समेत दोनों चुनाव आयुक्तों ने भी उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा के राजनीतिक दलों को इस बाबत प्रजेंटेशन दिया।
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