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दिल्ली सरकार को सूरत शहर की तर्ज पर चमकाने की सलाह
एक तरफ जहां कांग्रेस के बड़े नेता नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल को खारिज कर रहे हैं, वहीं केंद्र ने दिल्ली सरकार को सूरत शहर की तर्ज पर दिल्ली को चमकाने की सलाह दी है। केंद्र ने कहा है कि जिस प्रकार सूरत में रिंग रोड बनाने के लिए फंड का इंतजाम किया गया, उसे राजधानी में भी अपनाया जा सकता है। -
बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा... मुस्लिम तुष्टीकरण एवं वामपंथी षड़यंत्र
बंगाल मे केवल हिन्दू जागरण ही नहीं, हिन्दू धर्म का विस्फोरण होने वाला है। सभी राजनैतिक दल और मीडिया इसे किसी प्रकार दबा देने के प्रयास मे हैं। इसी प्रकार के अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के चलते एक बार हमारे बंगाल का विभाजन हो चुका है। लाखों लोग मारे गए, हिन्दू माता-बहनों के साथ बलात्कार हुआ, मंदिर तोड़े गए...
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- How Muslims are taking over the world at an ALARMING Rate
- Hindu Temples and Government Control
- Love Jihad, a Myth or Reality?
- CIA agent, christian convert Rajmohan Gandhi is for Breaking India?
- Arnab Goswami takes on Ashutosh and Aam Aadmi Party
- Beware of this Corrupt Media... Arvind Kejriwal and Punya Prasun Bajpai Exposed
- Former Police Commissioner of Delhi Neeraj Kumar takes on Arvind Kejriwal
- Teesta Setalvad's perjury & deceit exposed in R.B. Sreekumar's taped conversation
Columns
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सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
क्या भारतवासियों का अनुचित महंगाई, भ्रष्टाचार और कुशासन को झेलते रहना जारी रहेगा ? या फिर लोकसभा चुनावों के पश्चात वे कष्टों से निजात पा सकेंगे ? इन प्रश्नों का उत्तर आने वाले चुनावों के परिणामों पर निर्भर करेगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि आगामी चुनाव ऐतिहासिक सिद्ध होंगे और शान्ति, समृद्धि व प्रगति के नवीन युग की शुरुआत करेंगे। -
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
अब यह स्पष्ट हो चुका है कि, असलियत को सामने लाने वाले उस दु:खद दिन, जिन लोगों ने पटना में बम ब्लास्ट की योजना बनाई और इसे क्रियान्वित किया, वो जेहादी आतंकवादी यासीन भटकल, जोकि अभी NIA की हिरासत में है , के अत्यंत निकट के सहयोगी थे। -
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
15 अक्टूबर को इस दिशा में मेरा पहला कदम उठेगा।अत: इस दिन उपस्थित होकर ना सिर्फ मेरा उत्साह वर्धन करे, अपितु कदम से कदम मिलाकर मेरे साथ आगे बढ़ें। -
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
15 अगस्त, 1947 के दिन भारत को मात्र राजनैतिक स्वतंत्रता मिली थी, और इसको पाने के लिए हमें बहुत संघर्ष करना पडा था. 1857 से कहा जा सकता है यह संघर्ष अंग्रेजों के विरुद्ध शुरू हुआ. 1857 से लेकर 1947 तक संघर्ष के पीछे का मंत्र था – वन्देमातरम -
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
अब यह बात जगजाहिर हो चुकी है कि जनता दल (यू) राजग से किसी सिद्धांत के आधार पर अलग नही हुई अपितु अलगाव के पीछे भाजपा द्वारा नरेन्द्र मोदी को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाना नीतीश कुमार को नगवार गुजरना ही प्रमुख कारण है -
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
अमेरिकी मार्क्सवादी नेता बाब अवेकिन के शब्दों में किसी भी प्रकार की क्रांति न तो बदले की कार्यवाही है और न ही मौज़ूदा तंत्र की कुछ स्थितियों को बदलने प्रक्रिया है अपितु यह मानवता की मुक्ति का एक उपक्रम है. परंतु मानवाधिकार को ढाल बनाकर भारत की धरा को मानवरक्तिमा से रंगने वालें “बन्दूकधारी-कारोबारियों” को बाब अवेकिन की यह बात समझ नही आयेगी.
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उफ़ ये बुद्धिजीवी !
चुनावी मौसम की शुरुआत होते ही 'बुद्धिजीवी' कीटकों को पंख उग आये हैं. सतही छिछले 'विचारों' की फडफडाहटों से राजनैतिक हवाओं के रूख को मोड़ने की चालाक किन्तु निरर्थक कोशिशें तेज़ हो चुकी हैं. -
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
वो भयभीत हैं, अपने ही काले कारनामों के खुलने से, अपने पापों के जगजाहिर हो जाने से, अपने अपराधों के जवाब मांगे जाने से, अपनी सत्ता के छिन जाने से, अपनी ताकत के हीन हो जाने से, अपने कुर्ते के काले धब्बों के दिखने से... -
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने ऐसी नाक का ज़िक्र किया था, जो हर बार कट जाने पर उसमे कई-कई शाखाएं उग आती हैं. ऐसी नाकों के बेशर्म मालिक गर्व से जहाँ तहां अपनी नाक कटाते फिरते हैं. लगता है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी अपने चेहरे पर कोई ऐसी ही नाक लगवा लाये हैं जो साल भर में १०० से अधिक दंगे होने पर भी शान से 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज... (माफ़ कीजिये) धर्मनिरपेक्षता की टोपी धारण किये बैठे हैं. -
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
इन दिनों चैनलों और समाचार पत्रों में "भारत-निर्माण" विज्ञापनों की धूम है। करीब 570 करोड़ के भारी भरकम बजट वाला ये विज्ञापन सरकार के कथित उपलब्धियों (??) को जन जन तक पहुँचाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इसका एक उद्देश्य ये भी है की सरकार द्वारा जन-साधारण के और कल्याण के लिए जो काम किये गए है उसकी जानकारी आम-जनों तक पहुचायी जा सके। -
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
महेंद्र कर्मा कांग्रेसियों में अपवाद थे. छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त कराने हेतु कृतसंकल्प उस महान नेता का अस्तित्व नक्सलियों और भोले-भाले आदिवासियों की विवशता का लाभ उठाकर धर्मान्तरण कराने वाले मिशनरियों की राह में सबसे बड़ा रोड़ा था और इसीलिए वे नक्सलवादियों के निशाने पर थे.
- Narendra Modi's Election Rally Speech at Mandi, Himachal Pradesh
- The Real Aam Aadmi vs Aam Aadmi Party Debate Live
- Mystic India, A Journey to the Mysterious Land
- Na Jaane Kis Din Lal Quila Mardaani Bhasha Bolega - #HappyIndependenceDay
- What was the reason behind rupee value depreciation? : Rajiv Dixit
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- When Girish Karnad slams Naipaul for his views on Muslims
- Border Security Force ( BSF ) - Duty unto Death | Dec 1, 1965 Foundation Day
- Vedanta and Quantum Physics by Dr. N.S.Rajaram
India
- दिल्ली सरकार को सूरत शहर की तर्ज पर चमकाने की सलाह
- मोदी सरकार ने सर पर मैला ढोने वालों को मंदिरों में पुजारी बनाने का निर्णय लिया
- स्वामी विवेकानन्द सार्ध शती पर सामूहिक सूर्य नमस्कार कार्यक्रम
- नरेंद्र मोदी के प्रति बदला मुसलमानों का नजरिया: मौलाना महमूद मदनी
- विनोद पंडित ६ मांगों को लेकर ३० जनवरी से भूख-हड़ताल पर, मीडिया और सरकार की उपेक्षा
- केरल में स्वयंसेवकों को गणतंत्र दिवस पथ सञ्चलन निकालने पर किया गिरफ्तार
- आतंकवादी रह चुके लोग जम्मू कश्मीर में पा रहे हैं ऊंचे सरकारी पद
- श्री श्री मिले दिल्ली के 16 पुलिस स्टेशनों में नामदर्ज 1000 से भी ज्यादा दोषियों से ...
- गुजरात काँग्रेस के दुष्प्रचार, चुनाव आयोग मे शिकायत दर्ज
Opinion
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माओवादियों ने जिन्हें मारा वे फासिस्ट थे?
छत्तीसगढ़ में किए नरसंहार पर ‘भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)’ ने एक आत्म-प्रशंसात्मक विज्ञप्ति निकाली है। चार पन्ने की विज्ञप्ति का पहला ही शब्द है ‘फासीवादी’। पूरे पर्चे का लब्बो-लुआब है कि माओवादियों ने जिन्हें मारा वे फासिस्ट थे, और भारत की सरकार और नेतागण ‘अमेरिकी साम्राज्यवाद के पालतू कुत्ते’ हैं। -
सरहद को प्रणाम, फोरम फॉर इंटीग्रेटेड नेशनल सिक्योरिटी की पहल
गत सितम्बर मास में फिन्स द्वारा आयोजित इस साहसिक कार्यक्रम के बारे में पता चला, कार्यक्रम का नाम था सरहद को प्रणाम, नाम में ही इतना आकर्षण था कि पूछे बिना रहा न गया, क्या है यह कार्यक्रम?, क्या होगा इसमें?, कहां जायेंगे? क्या करेंगे? कहां रहेंगे? क्या सच में सरहद पर जाने का मौका मिलेगा? क्या हम सच में सैनिकों से मिल सकते है? इस कार्यक्रम का हेतु क्या है? -
अन्ना, रामदेव, भूमि सुधार और व्यवस्था परिवर्तन के आन्दोलन का एक सूत्र में बंधना संभव
इन अभियानों में वे अपनी एक सार्थक भूमिका देख रहे हैं। अगर ऐसा हो सका, तो ये अभियान एक अहिंसक 1857 जैसी क्रांति को देश में घटित करने में समर्थ हो सकते हैं। आज संसदीय राजनीति ही इसमें सबसे बड़ी बाधा बन रही है। इस बाधा को बाईपास कर जैसे ही ये अभियान बढ़ चलेंगे, देश को स्वराज्य यानी अपनी व्यवस्था पाने में एक क्षण भी नहीं लगेगा। -
आपकी कला देश से बड़ी कैसे?
सीमा-पार पड़ोसी देशों से भारत में होने वाली घुसपैठ पिछले कुछ वर्षों से कला के क्षेत्र में भी हो रही है। कभी कोई गायक, कोई संगीतकार, कोई स्टैंड-अप कॉमेडियन, कोई अभिनेत्री और कभी क्रिकेटर इस देश में आ रहे हैं। भले ही पाकिस्तान में भारतीय गायकों-कलाकारों और चैनलों पर रोक लगी हो, लेकिन भारत में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे शत्रु-देशों से आने वाले कलाकारों का समर्थन करने वालों की कमी नहीं है। -
राष्ट्रीय सुरक्षा और चीन की चुनौती: भावी खतरे का स्पष्ट संकेत
देश के भीतर लगातार बढ़ रही हिंसा की घटनाएं भी इसी का प्रतिफल हैं। देश में जगह-जगह हो रहे बम-विस्फोटों, आतंकी हमलों, सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं, नक्सलवाद, आतंकवाद, पड़ोसी देशों से हो रही घुसपैठ आदि को अलग-अलग नहीं देखा जाना चाहिए। ये सभी कहीं-न-कहीं एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और भारत के सबसे बड़े व खतरनाक पड़ोसी चीन द्वारा भारत को अस्थिर बनाए रखने के प्रयास ही इन सभी समस्याओं का मूल है। -
डूसू चुनावों में कांग्रेस ने की है लोकतंत्र की हत्या...
भारतीय लोकतंत्र संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और छात्र राजनीति लोकतंत्र की सबसे प्रारंभिक सीढ़ी। मेरा मानना है की अगर भारतीय लोकतंत्र एक जीवमान व्यक्तित्व होता, तो मुझे लगता है की एनएसयूआई और कांग्रेस को कल उनके द्वारा की गई लोकतंत्र की हत्या पर फांसी की सज़ा होती।
World
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इटली के जहाजियों पर इतनी मेहरबानी क्यों?
इटली से आए हुए जहाज़ पर सवार, दम्भी और अकडू किस्म के कैप्टन जिन्होंने भारतीय जल सीमा में भारत के दो गरीब नाविकों को गोली से उड़ा दिया था, उनकी याद तो आपको होगी ही... -
आखिर इतनी कट्टरता क्यों और कैसे?
एक माँ ने अपने सात साल के बच्चे को छड़ी और चाकू से पीटा, बुरी तरह घायल होने के बाद जब बच्चे ने दम तोड़ दिया, तो उसने उसे जला भी दिया और फ़िर इस गुनाह को छिपाने की असफ़ल कोशिश की। उस सात साल के बच्चे का कसूर सिर्फ़ इतना था कि वह कुरान की आयतें कंठस्थ नहीं कर पा रहा था। कार्डिफ़ पुलिस के सामने अपने बयान में साराह ईज (32) ने यह स्वीकार किया -
नरेन्द्र मोदी से भयभीत है पाकिस्तान...
जिस पड़ोसी देश ने भारत पर चार-चार बार हमला बोला और जो आज भी भारत को धूल चटाने के सपने देखता है वह अब भारत के एक राज्य के मुख्यमंत्री से आतंकित है। उसका मानना है कि यदि मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनते हैं तो पाकिस्तान के साथ उनके संबंध ठीक नहीं रहने वाले हैं। -
योग-आयुर्वेद पर कक्षाएँ शुरू करने के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने मांगा बाबा रामदेव का सहयोग
अमेरिका के विश्व-प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय हार्वर्ड ने अपने पाठ्यक्रम में योग एवं आयुर्वेद की शिक्षा देने का निश्चय किया है और इसके लिए उसने बाबा रामदेव के पतंजलि पीठ से सहयोग भी माँगा है। ज्ञातव्य है कि बाबा रामदेव विगत एक दशक से अधिक से अपने अथक प्रयासों से विश्व भर में भारतीय ज्ञान एवं परम्परा के अभिन्न अंग योग एवं आयुर्वेद को मान्यता दिलाने एवं लोकप्रिय बनाने में महती भूमिका निभाते आ रहे हैं।