अन्ना टीम के लोगों ने जब से हिसार पर मुंह खोलना शुरू किया है, कई तात्कालिक और मूलभूत सवाल उठ खड़े हुए हैं। जैसे यह कि हिसा..

इन दिनों चैनलों और समाचार पत्रों में "भारत-निर्माण" विज्ञापनों की धूम है। करीब 570 करोड़ के भारी भरकम बजट वाला ये विज्ञापन सरकार के कथित उपलब्धियों (??) को जन जन तक पहुँचाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इसका एक उद्देश्य ये भी है की सरकार द्वारा जन-साधारण के और कल्याण के लिए जो काम किये गए है उसकी जानकारी आम-जनों तक पहुचायी जा सके। वैसे ये बात दिलचस्प है की आम लोगों के कल्याण की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने के लिए विज्ञापनों की जरुरत पड़ रही है।
इसे इस तरह भी कह सकते है की यूपीए सरकार में देश का और देश के नागरिकों का जो अभूतपूर्व विकास हुआ है (जिसका दावा ये विज्ञापन करते दिखाई पड़ते है), उसकी जानकारी लोगों को विज्ञापनों द्वारा मिल रही है, अन्यथा जमीनी-स्तर पर तो कुछ ऐसा दूर दूर तक किसी नागरिक को महसूस हो नहीं रहा है, दिखाई नहीं दे रहा है और जनता की ये कोफ़्त उस समय और बढ़ जाती है जब ऐसे मिथ्य-भासी विज्ञापन ऐसे सरकार की तरफ से सामने आते है जिस पर लाखों-करोड़ों रुपये के सार्वजनिक धन के, जनता के कमाई के गबन का आरोप हो, जिस सरकार में नित नए घोटाले आते हो और सरकार में बैठे लोग बेशर्मी से लीपापोती में जुट जाते हों, एक ऐसी सरकार जिसमे जो सरकार की नियत पर सवाल उठाने का साहस करे, इस लूट के खिलाफ आवाज़ उठाने का साहस करे, उसके खिलाफ वो पूरी बेशर्मी से मान-मर्दन में लग जाती हो चाहे वो अन्ना हजारे जैसे समाजसेवी हों या CAG या सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक-संस्थाएं, एक ऐसी सरकार जिसने देश के विकास दर को 4.5% तक लुढका दिया हो, एक ऐसी सरकार जिसके राज में बेरोजगारी और महंगाई अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुँच गयी है।
एक आम नागरिक की कोफ़्त इस बात को लेकर भी है की क्या कुर्सी पर बैठे लोग उसे इतना बेवक़ूफ़ और नासमझ समझते है जो ऐसे विज्ञापनों के बहकावे और भुलावे में आ जाये। इस तरह के विज्ञापन उसे अपने समझ की विश्वसनीयता पर एक तमाचा लगने लगते हैं।
हालांकि कुछ लोगों का मानना ये भी है की ये विज्ञापन जन-मानस को प्रभावित करने के उद्देश्य से है भी नहीं (देश के लोग इतने बेवकूफ भी नहीं हैं- इसका भान सरकार के लोगों को है), इसका लक्ष्य तो वो "मीडिया-मानस" है जिसे इन विज्ञापनों के जरिये अपरोक्ष रूप से खरीदने की कोशिश हो रही है ताकि आगामी चुनाव-वर्ष में थोड़ी राहत रहे। बरहाल जो भी हो इन विज्ञापनों को देख कर कुढ़ता और जलता तो आम नागरिक ही है इसमें कोई दो मत नहीं है। यदि इस देश के लोगो के पास भी इतना सामर्थ्य और संसाधन होता तो मुझे पूरा भरोसा है की इस देश की जनता अपने सरकार के ऐसे मिथ्या-प्रचार के खिलाफ इतना ही मजबूत प्रचार अभियान छेड़ती जिसके बोल, जिसकी पंक्तियाँ भले जावेद अख्तर जैसे बड़े और महंगे लेखकों से न लिखाई गयी होती लेकिन प्रभाव, प्रसार, प्रियता और सत्य के मानकों पर ऐसे मिथ्या-विज्ञापनों पर कही भारी पड़ती। ऐसी ही कुछ स्व-रचित पंक्तियाँ नीचे दी गयी है, इस विश्वास के साथ की ये इन मिथ्या-विज्ञापनों के प्रति जन-मानस के आक्रोश और कोफ़्त को प्रति-बिम्बित कर रहीं होगी और लोगो के हालात और समझ दोनों का मजाक उड़ाने वाले ऐसे विज्ञापन अभियान के दुस्साहसी पुरोधाओं के कानों को झंझानायेगी भी:
CWG में मिला दिया कलमाड़ी ने मिटटी में देश का नाम,
कांग्रेस कहे हो रहा भैया, हो रहा भारत निर्माण #CWG
इनसे पहले समझ न पाया कोई और "तरंगो" की माया,
जमीन की कौन कहे, इन्होने तो आसमाँ भी बेच खाया #2G
सिब्बल के बेटे ने डाला वोडाफोन के वकील का लिहाफ,
बाप भये लॉ-मिनिस्टर और हो गया टैक्स माफ़ #Vodafone
17 साल बाद आया हाथ रेल मंत्रालय आज, बोले भतीजा
10 करोड़ से कम दोगे तो हो जायेंगे मंत्री-मामू नाराज़ #RailGate
घूमे सिंघवी एंटी-रेप बिल पर बहस को सज-धज
जो मौका मिला तो बनाने लगे थे बिस्तर पर जज #AMSSexScandal
अपने गुनाहों की रिपोर्ट पर चली सरकार करने व्याकरण शुद्ध,
बलिहारी सुप्रीम कोर्ट आपनो याद दिला दिया छठी का दूध #CBIGate
कोई कहे डेढ़ लाख-करोड़,कोई कहे 10 लाख-करोड़ औ कोई 26 लाख-करोड़ की कौड़ी,
पकड़ सका न कोई असल चोर, की इतनी सफाई से काले कोयले की चोरी #CoalGate
ठेठ मुरादाबाद का, मिटटी को भी छू लू तो हो जाती है सोना,
कहे वाड्रा रहे आशीर्वाद सासू माँ का, खरीद लूँ देश का कोन-कोना #VadraGate
Share Your View via Facebook
top trend
-
अन्ना-आंदोलन कोरा गुब्बारा तो नहीं
-
टीम अन्ना के प्रशांत भूषण से बुरी तरह मारपीट
मशहूर वकील और टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण के साथ एक युवक ने उनके चैंबर में घुसकर बुरी तरह मारपीट की। युवक प्रशांत भूषण..
-
दुनिया का सबसे महंगा पेट्रोल भारत में ! 98 देशों से ज्यादा महंगा है भारत में पेट्रोल
पेट्रोल कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी से जो परेशान हैं मगर यह समझ रहे हैं कि दुनिया भर में दाम बढ़ने के चलते ही भारत में भी द..
-
निराधार बच्चों का बडा भाई : युथ फॉर सेवा
‘यूथ फॉर सेवा’ ये हिंदू सेवा प्रतिष्ठान की ऐसी निर्मिती है, जिसमे निराधार बच्चो को आधार, सम्मान और स्वावलंबी ब..
-
ज्यादा टैक्स चुकाने के लिए तैयार रहें, वित्त मंत्री ने साहसिक बयान दिया है
वित्त मंत्री के रूप में आम लोगों को विभिन्न प्रकार के करों को कम कर राहत पहुंचाने वाले केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)