भारत में छपने वाले कई उर्दू समाचार पत्रों ने अन्ना हज़ारे के
अनशन वापस लेने को उनकी घटती लोकप्रियता से जोड़ा है.
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राष्ट्र जीवन की समस्याएँ - प. दीनदयाल उपाध्याय
0भारत में एक ही संस्कृति रह सकती है; एक से अधिक संस्कृतियों का नारा देश के टुकड़े-टुकड़े करके हमारे जीवन का विनाश कर देगा। अत: आज लीग का द्विसंस्कृतिवाद, कांग्रेस का प्रच्छन्न द्विसंस्कृतिवाद तथा साम्यवादियों का बहुसंस्कृतिवाद नहीं चल सकता। आज तक ए..
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रामसेतु सिर्फ हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक नहीं अपितु भारत की सांकृतिक धरोहर है
हिन्दुओं की आस्था के साथ खिलवाड आज कोई नयी बात है, अयोध्या के राम-मंदिर का मुद्दा हो या अमरनाथ यात्रा को लेकर जमीनी विवाद, मथुरा-काशी के मंदिरों का वर्षों पुराना विवाद हो या हाल ही में हैदराबाद में जारी हुआ राम नवमी यात्रा के विरोध में तुगलगी फर..
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वीर-बलिदानी अमर शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन
यह कहना अतिश्योक्ति न होगा की भारतवासी अपने जीवन में सर्वाधिक सम्मान भारतीय सेना के जवान को देते हैं और यह सत्य भी है कि माँ भारती के सच्चे सपूत भारत की रक्षा के लिए अपने प्राणों तक को न्यौछावर कर अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करत..
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मातृभूमि के लिए समर्पित थे भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद
डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। (जन्म- 3 दिसम्बर, 1884, जीरादेयू, बिहार, मृत्यु- 28 फ़रवरी, 1963, सदाकत आश्रम, पटना)। राजेन्द्र प्रसाद प्रतिभाशाली और विद्वान व्यक्ति थे।
मातृभूमि के लिए समर्पित : राजेन्द्र प्र.. -
आजाद क्या आज भी प्रासंगिक हैं ?
आज 27 फरवरी है, आज ही के दिन (27 फरवरी 1931) चंद्र शेखर आजाद ने वह निर्णय लिया जिसने उन्हें अमर कर दिया| आज के दिन भांति भांति के विचार आपके भी मन में आ रहें होंगे – कहीं समाचारपत्रों या टीवी चैनलों पर इनका कोई ज़िक्र न होने का क्रोध..
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अपनी ही गोली से शहीद हुआ दिलेर : शहीद चन्द्रशेखर आजाद
महान देशभक्त चंद्रशेखर आजाद 15 वर्ष की अल्पायु में ही अपनी शिक्षा अधूरी छोड़कर गांधी जी के असहयोग आंदोलन में कूद स्वतंत्रता संग्राम के अनन्य योद्धा के रूप में ख्याति प्राप्त किए थे। आजाद का जन्म 23 जुलाई को हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने..
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क्रान्तिकारी वीर विनायक दामोदर सावरकर की इच्छा-मृत्यु
स्वातंत्र्य वीर सावरकर जी ने मृत्यु से दो वर्ष पूर्व 'आत्महत्या या आत्मसमर्पण' शीर्षक से एक लेख लिखा था। इस विषय से संबंधित अपना चिंतन उन्होंने इस लेख में स्पष्ट किया था। स्वातंत्र्य वीर सावरकर जी का जीवन जिस प्रकार विलक्षण था, उसी प्रका..
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जीजाबाई जैसी मां मिलीं तो देश को शिवाजी मिले
हिन्दू-राष्ट्र के गौरव क्षत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई का जन्म सन् 1597 ई. में सिन्दखेड़ के अधिपति जाघवराव के यहां हुआ। जीजाबाई बाल्यकाल से ही हिन्दुत्व प्रेमी, धार्मिक तथा साहसी स्वभाव की थीं। सहिष्णुता का गुण तो उनमें कूट-कूटकर भरा हुआ था। इन..
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हम भूल गए अमर सेनानी वासुदेव बलवंत फड़के को : राष्ट्र वंदना
वासुदेव बलवंत फडके (4 नवम्बर, 1845 – 17 फरवरी, 1883) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी थे जिन्हें आदि क्रांतिकारी कहा जाता है। जिनका केवल नाम लेनेसे युवकोंमें राष्ट्रभक्ति जागृत हो जाती थी, ऐसे थे वासुदेव बलवंत फडके । वे भारती..
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सांस्कृतिक राष्ट्रवाद : भारतीयता की अभिव्यक्ति - पं. दीनदयाल उपाध्याय
भारत में एक ही संस्कृति रह सकती है; एक से अधिक संस्कृतियों का नारा देश के टुकड़े-टुकड़े कर हमारे जीवन का विनाश कर देगा। अत: मुस्लिम लीग का द्वि-संस्कृतिवाद, कांग्रेस का प्रच्छन्न द्वि-संस्कृतिवाद तथा साम्यवादियों का बहु-संस्कृतिवाद नहीं चल सकता। आ..
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सावरकर, स्वामी और मोदी का भारत - हमको क्यों नहीं स्वीकार ?
कहा जाता हैं कि भारत विविधताओं का देश है। बात सच भी है। संस्कृति की समरसता के छत्र में वैविध्य की वाटिका यहाँ सुरम्य दृष्टिगत होती है। परन्तु आज वही भारत विडंबनाओं का देश बनने की ओर अग्रसर है। कारण वह मानसिकता है जो भारतीय न होते हुए भी भारतीयों..
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मिले सुर मेरा तुम्हारा : पंडित भीमसेन जोशी
पंडित भीमसेन जोशी को बचपन से ही संगीत का बहुत शौक था। वह किराना घराने के संस्थापक अब्दुल करीम खान से बहुत प्रभावित थे। 1932 में वह गुरु की तलाश में घर से निकल पड़े। अगले दो वर्षो तक वह बीजापुर, पुणे और ग्वालियर में रहे। उन्होंने ग्वालियर के उस्..
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क्या संघ अछूत है ? एक स्वयंसेवक का मर्म
यूपीए-२ के मंत्रीगण एवं कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्त्ता अपना विवेक खो बैठे हैं परिणामतः बार-बार एक देशभक्त संगठन 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' के ऊपर अपने शब्दों के माध्यम से कुठाराघात करते रहते है! इनकी आखों पर राजनीति की ऐसी परत चढी है कि ..
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चिडि़यों से मै बाज तड़ाऊं, सवा लाख से एक लड़ाऊं, तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊं
दुनिया के महान तपस्वी, महान कवि, महान योद्धा, संत सिपाही साहिब गुरु गोबिंद सिंह जी जिसको बहुत ही श्रद्धा व प्यार से कलगीयां, सरबंस दानी, नीले वाला, बाला प्रीतम, दशमेश पिता आदि नामों से पुकारा जाता है।…
"चिडि़यों से मै बाज.. -
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के क्रांतिकारी अमर शहीद ऊधम सिंह
अमर शहीद ऊधम सिंह (जन्म 26 दिसंबर, 1899, सुनाम गाँव, पंजाब; मृत्यु- 31 जुलाई, 1940, पेंटनविले जेल) जलियाँवाला बाग़ में निहत्थों को भूनकर अंग्रेज़ भारत की आज़ादी के दीवानों को सबक सिखाना चाहते थे, जिससे वह ब्रिटिश सरकार से टकराने की हिम्मत न कर स..
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उर्दू अख़बारों ने छापा, केजरीवाल का टोपी पहन जाना व्यर्थ
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दहशत में है कंधमाल : चर्च का गोरखधंधा
कंधमाल (ओडिशा) 2008, जन्माष्टमी के दिन स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की अमानुषिक रूप से हत्या की गई थी। उस घटना को चार साल ..
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अन्ना के अनशन में शराबियों और हुड़दंगियों की भी भीड़
अन्ना हजारे के आंदोलन को भले ही युवाओं का जबर्दस्त समर्थन मिल रहा हो , लेकिन इनके बीच कई युवा ऐसे भी हैं , जो इस मुहिम का ..
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उत्तर प्रदेश में उभरेगा युवा नेतृत्व : डॉ. वेदप्रताप वैदिक
उत्तरप्रदेश के चुनाव का महत्व किसी भी प्रदेश के चुनाव से कई गुना है। ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं है कि वह सबस.. -
देश की सत्ता पर भ्रष्टाचार का साम्राज्य, सरकार की गलत नीतियों का परिणाम : बाबा रामदेव
फर्रखाबाद। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा है कि आज देश की सत्ता पर भ्रष्टाचार का साम्राज्य है और इसमें आमूलचूल परिवर्तन की जर..
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सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
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वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
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आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
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अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
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सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
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नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
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न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
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पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
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वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
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जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
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उफ़ ये बुद्धिजीवी !
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कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
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मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
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भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
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२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
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वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
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चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
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समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
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विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
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सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
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