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आंध्र उपचुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ, क्या दक्षिण भारत में कांग्रेस का एकमात्र किला टूट रहा है?

अलग तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर छात्र भोज्या नायक के आत्मदाह
के बाद यह मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। छात्र की शवयात्रा के
दौरान वारंगल जिले में तनाव देखा गया। इस बीच तेलंगाना संयुक्त कार्य
समिति ने दो दिन के बंद का आह्वान भी किया। अलग तेलंगाना राज्य के गठन
में हो रही देरी से नाराज एमबीए के छात्र भोज्या नायक ने आत्मदाह कर
लिया था। उसकी शवयात्रा में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए। इस
दौरान प्रदर्शनकारियों ने कांग्रेस के दफ्तर और पार्टी के कुछ नेताओं
के घरों पर भी हमले किए। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव
गांधी की प्रतिमा पर भी पत्थर फेंके।
राज्य के मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी ने भोज्या नायक की मौत पर
दुख जताते हुए उनके परिवार के सदस्यों के प्रति संवेदना जताई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आत्महत्या समस्याओं का समाधान नहीं है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार इस पर उचित निर्णय लेगी।
उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे भावावेश में आकर जान न दें। वहीं,
तेलंगाना संयुक्त कार्य समिति के नेताओं ने कहा कि छात्र का आत्मदाह
क्षेत्र के सभी सांसदों के लिए आंखें खोलने वाला होना चाहिए। उन्हें
केंद्र सरकार पर संसद के वर्तमान सत्र में अलग तेलंगाना राज्य के लिए
प्रस्ताव पेश करने का दबाव बनाना चाहिए।
क्या टूट रहा है कांग्रेस का किला - आंध्रप्रदेश में
सात विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं जहां
सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को तगड़ा झटका लगा है! सात में से चार सीटें
तेलंगाना राष्ट्र समिति यानी टीआरएस ने जीती हैं. ये सीटें हैं-
आदिलाबाद, कामारेड्डी, कुल्लापुर और स्टेशन घनपुर.तेलंगाना समर्थक
निर्दलीय उम्मीदवार, भाजपा और वायएसआर कांग्रेस को एक-एक सीट मिली है!
तेलंगाना के कई चुनाव क्षेत्रों में कांग्रेस और तेलुगुदेशम
उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई है! इससे एक बड़ा सवाल मुंहबाए खड़ा
है कि क्या दक्षिण भारत में कांग्रेस पार्टी का एकमात्र किला टूट रहा
है?
क्या आंध्रप्रदेश पर भी कांग्रेस की पकड़ समाप्त हो रही है? विश्लेषकों
का मानना है की केंद्र सरकार इस नतीजे के बाद अलग तेलंगाना राज्य के
गठन की मांग से जुड़े मुद्दों को सुलझाने को मजबूर होगी! राज्य
विधानसभा की सात सीटों के उपचुनावों के परिणाम देखकर तो कम से कम यही
लगता है! ये परिणाम जहां सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल
तेलुगुदेशम के लिए एक बहुत बड़ा झटका हैं, वहीं इससे अलग तेलंगाना
राज्य की पुरानी मांग में एक जान भी पड़ गई है। इन सात में से एक भी
सीट कांग्रेस और तेलुगुदेशम को नहीं मिल सकी, जबकि इनमें से तीन सीटें
तेलुगुदेशम की और तीन कांग्रेस की थीं! पांच विधायकों ने अपनी सीटों
और पार्टियों से इस्तीफा दे दिया था। इनमें से चार टीआरएस में शामिल
हो गए थे और उन्होंने अब इसी पार्टी के टिकट पर ये सीटें जीती
हैं।
महबूबनगर की सीट वहां के विधायक राजेश्वर रेड्डी की मौत से खाली हुई
थी। इस सीट के लिए टीआरएस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर हुई! अंत
में जीत भारतीय जनता पार्टी को हासिल हुई! इससे पहले भारतीय
जनता पार्टी ने तेलंगाना राष्ट्र समिति प्रमुख चन्द्रशेखरराव से
चुनावी ताल-मेल में इस विधान सभा चुनाव क्षेत्र को अपने लिए मांगा था,
जिसे ठुकरा दिया गया। यह श्री चन्द्रशेखर राव के अहंकार का ही संकेत
था कि उन्होंने अपने चुनावी भाषण में यहां तक कह दिया कि उनके
उम्मीदवार महब्बो अली की जीत निश्चित है और मुस्लिम समुदाय के 25000
मत उन्हें ही मिलने वाले हैं।
भाजपा ने रचा इतिहास - भाजपा ने महबूबनगर विधानसभा
सीट जीतकर टीआरएस के टी पेटेंट की हवा निकाल दी! भाजपा उम्मीदवार
यन्नम श्रीनिवास रेड्डी ने टीआरएस के एस. इब्राहिम को चौकोना मुकाबले
में 1995 मतों से हराया। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा को 2009 के
चुनावों में सिर्फ 1600 मत मिले थे! श्री श्रीनिवास रेड्डी हाल ही में
टीआरएस से भाजपा में आए हैं। महबूबनगर जीत के साथ, भाजपा की सदन में
संख्या तीन हो गई।
अब कुल मिलाकर विधानसभा में टीआरएस के सदस्यों की संख्या 16 हो गई है!
इन उप चुनावों में कई क्षेत्रों में तो कांग्रेस और तेलुगुदेशम की
जमानत भी नहीं बच सकी! खुद दोनों पार्टियों के नेता मानते हैं कि ऐसा
इसलिए हुआ कि मतदाता तेलंगाना राज्य के विषय पर इन दलों की टाल-मटोल
से खुश नहीं हैं। कांग्रेस और तेलुगुदेशम के नेतृत्व ने अब तक ये
स्पष्ट नहीं किया है कि वो तेलंगाना राज्य बनाने के पक्ष में हैं या
नहीं। यह निश्चित है कि इन उपचुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस
पार्टी को अपने रुख पर दोबारा विचार करना पड़ेगा और 2014 के आम चुनाव
से पहले ही तेलंगाना राज्य की मांग पर कोई फैसला करना होगा। इसी तरह
तेलुगुदेशम पर भी कोई स्पष्ट फैसला करने का दबाव बढ़ेगा।
महबूबनगर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा की जीत ने टीआरएस को
चिन्ता में डाल दिया है। टीआरएस चिंतित हैं कि भाजपा, जिसकी उपस्थिति
राज्य में नगण्य है, इतिहास बताते हुए तेलंगाना क्षेत्र में सफल रही।
टीआरएस के उम्मीदवार इब्राहीम ने कहा कि चुनाव से पहले भाजपा ने
मुस्लिम विरोधी अभियान का शुभारंभ किया और अपने पक्ष में बहुसंख्यक
समुदाय को आकर्षित करने में सफल रही। उन्होंने यह भी कहा कि अपनी
पार्टी के नेताओं ने भी उनकी हार के लिए काम किया है।
- द नागराज राव
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