फरीदाबाद से जाने वाले दल का विवरण : आशीष गौड़, तुषार त्यागी, दिनेश शर्मा, प्रदीप सिंह, विपिन व..
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सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
|हमारे देश के भविष्य को तय करने जा रहे आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं| निर्वाचन प्रक्रिया के अगले माह से शुरू होने की पूरी सम्भावना है।
क्या भारतवासियों का अनुचित महंगाई, भ्रष्टाचार और कुशासन को झेलते रहना जारी रहेगा ? या फिर लोकसभा चुनावों के पश्चात वे कष्टों से निजात पा सकेंगे ? इन प्रश्नों का उत्तर आने वाले चुनावों के परिणामों पर निर्भर करेगा। इसमें क..
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वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
|पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में श्री नरेन्द्र मोदी की रैली में हाल ही में हुये बम धमाकों, जिसमें कि छ: लोगों को जान गवांनी पड़ी और सौ के करीब लोग घायल हुये, ने तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की वोट बैंक की उस राजनीति को सामने ला दिया, जो कि राष्ट्रीय हित को कहीं पीछे धकेल देती है। जब नरेन्द्र मोदी यह कहते हैं कि अगले आम चुनाव कांग्रेस की ओर से इंडियन मुजाहिदीन और सीबीआ..
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आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
|व्यवसाय से अध्यात्म निकालें तो शोषण प्राप्त होगा, उसी प्रकार राजनीति से अध्यात्म निकालें तो प्राप्त होगी अराजकता, अव्यवस्था, और कुशासन। जिसके हम सब प्रत्यक्ष गवाह है। जो कार्य नेतृत्व, क्षमता, कुशलता और शौर्य का प्रतीक माना जाता था, उस क्षेत्र में प्रवेश करना अब गटर में प्रवेश के समान है। बचपन में समाज और जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करते हुए श्री श्री का सानिध्य प्राप्त कर, जब समा..
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अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
|प्र.- मीडिया और राजनैतिक दलों का विश्व हिन्दू परिषद पर यह आरोप है कि उसने आगामी लोकसभा चुनाव-2014 के निमित्त इस 84 कोसी परिक्रमा के नाम पर वोट-परिक्रमा का आयोजन किया. इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?
उ. – 15 अगस्त, 1947 के दिन भारत को मात्र राजनैतिक स्वतंत्रता मिली थी, और इसको पाने के लिए हमें बहुत संघर्ष करना पडा था. 1857 से कहा जा सकता है यह संघर्ष अंग्रेजों के वि.. -
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
|भारत की गठबन्धन-राजनीति के गलियारों मे अक्सर ‘गठबन्धन की मजबूरी’ का जुमला सुनने को मिल ही जाता है. इस जुमले का सहारा लेकर आये दिन राजनेता गंभीरतम बातों की भी हवा निकाल देते है. अब सवाल यह उठता है कि क्या गठबन्धन किसी सिद्धांत पर बनाये जाते है अथवा सत्ता का स्वाद चखने हेतु समझौते किये जाते है ? हमे ध्यान रखना चाहिये कि सिद्धांत और समझौता दो अलग-अलग बाते है. राजनैति..
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नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
|अमेरिकी मार्क्सवादी नेता बाब अवेकिन के शब्दों में किसी भी प्रकार की क्रांति न तो बदले की कार्यवाही है और न ही मौज़ूदा तंत्र की कुछ स्थितियों को बदलने प्रक्रिया है अपितु यह मानवता की मुक्ति का एक उपक्रम है. परंतु मानवाधिकार को ढाल बनाकर भारत की धरा को मानवरक्तिमा से रंगने वालें “बन्दूकधारी-कारोबारियों” को बाब अवेकिन की यह बात समझ नही आयेगी. भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (माओवादी) की दंड..
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न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
|स्वतंत्रता पूर्व भारत मे सरकारी समारोहों में ‘गाड सेव द किंग’ या ‘गाड सेव द क़्वीन’ गाया जाता था. पर्ंतु 15 अगस्त 1947 से उसका स्थान ‘जन-गण-मन-अधिनायक जय हे’ ने लिया. रातोंरात सभी सरकारी भवनो पर से ‘यूनियन जैक’ झंडा उतारकर तिरंगा झंडा लहरा दिया गया. भारत में स्वतंत्रता का जश्न मनाया गया. भारत को यह स्वतंत्रता लाखो स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानो..
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पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
|मात्र तीन दिन के अपने बेटे को उसके दादा-दादी के पास छोड्कर पाकिस्तान से तीर्थयात्रा वीजा पर भारत आने वाली 30 वर्षीय भारती रोती हुई अपनी व्यथा बताते हुए कहती है कि “अगर मै अपने बेटे का वीजा बनने का इंतज़ार करती तो कभी भी भारत न आ पाती।” 15 वर्षीय युवती माला का कहना है कि पाकिस्तान मे उनके लिये अपनी अस्मिता को बचाये रखना मुश्किल है तो 76 वर्षीय शोभाराम कहते है कि वे भारत मे हर तरह क..
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वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
|देश भीषण परिस्थितियों से घिरता जा रहा है। राजनैतिक दलों, राजनेताओं, नौकरशाहों और थैलीशाहों ने लोकतंत्र को लूटतंत्र में बदल दिया है। भ्रष्टाचार ने सारी सीमायें लांघ दी हैं। देश में कानून का राज सिमटता जा रहा है, और अपराधियों में कानून का डर समाप्त हो गया है। आम जनता पर गरीबी, बेकारी और महंगार्इ की मार बढ़ती जा रही है। भारत में सत्ता के नकारेपन का नतीजा है कि विदेशी ताकतें इस देश की राजनीति और ..
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जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
|भारत में कई NGOs का एक विशाल नेटवर्क काम कर रहा है, जो भ्रष्टाचार और हिंदुत्व विरोधी कार्यों में लिप्त है. इन NGOs का आपस में एक “नापाक गठबंधन” (Nexus) है, जिसके जरिये ये देश के प्रभावशाली लोगों से संपर्क बनाते हैं तथा अपने देशद्रोही उद्देश्यों के लिए उन लोगों द्वारा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष काम करवाने में सफल होते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन NGOs पर सरकार की कठोर निगरानी न..
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युवा भारतः वरदान या चुनौती?
|आंखों में उम्मीद के सपने, नयी उड़ान भरता हुआ मन, कुछ कर दिखाने का दमखम और दुनिया को अपनी मुट्ठी में करने का साहस रखने वाला युवा कहा जाता है। युवा शब्द ही मन में उडान और उमंग पैदा करता है। उम्र का यही वह दौर है जब न केवल उस युवा के बल्कि उसके राष्ट्र का भविष्य तय किया जा सकता है। आज के भारत को युवा भारत कहा जाता है क्योंकि हमारे देश में असम्भव को संभव में बदलने वाले युवाओं की संख्या सर्व..
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पाकिस्तान के जन्म से पूर्व जन्म लेने वाला पाकिस्तानी कैसे हुआ?
|विस्थापन वैश्विक घटनाक्रम है जो आदिकाल से वर्तमान जारी है। विस्थापन की परिस्थितियां भिन्न हो सकती है लेकिन विस्थापन की पीड़ा एक ही होती है। विभाजन और विस्थापन का गहरा संबंध है। अपनी मातृभूमि, अपना घोसला, अपना परिवेश पशु-पक्षी भी नहीं छोड़ना चाहते तो विस्थापित मानव मन की पीड़ा को समझा जा सकता है। लेकिन आश्चर्य होता जब स्वयं को समझदार बताने वाले विस्थापित और विदेशी का अंतर नहीं समझ पाते। ऐसे मे..
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सरहद को प्रणाम, फोरम फॉर इंटीग्रेटेड नेशनल सिक्योरिटी की पहल
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पर्दा पर्दा बेपर्दा : फतवा, मुस्लिम वर्ग और लोकतंत्र
प्रायः मुस्लिमों के द्वारा यह पंक्तियाँ अक्सर सुनने में आती हैं कि जर, जोरु और जमीन हमेशा पर्दे में रहनी चाहिये। जर अर्थ..
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सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक : एक विध्वंसक प्रस्ताव
बहुसंख्यक समुदाय (हिन्दू) सदस्य को गिरफ्तार करने के लिए किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है | यदि अल्पसंख्यक समुदाय का को..
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२.२ अरब डॉलर से ११ अरब डॉलर, केजीबी दस्तावेज एवं भारतीय मीडिया : सोनिया गांधी का सच
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२६/११ के कर्ता-धर्ता को 'साहब' कहते हैं कांग्रेस के सांसद, फिर भी मीडिया ने बनाया हीरो
क्या सचमुच देश का मीडिया बिक चुका है ? मीडिया ने मणिशंकर अय्यर को हीरो बना दिया है कि उन्होंने पाकिस्त..
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सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
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वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
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आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
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अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
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सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
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वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
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जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
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उफ़ ये बुद्धिजीवी !
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कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
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मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
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भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
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२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
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वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
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चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
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समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
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विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
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सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
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