एक बार मैं बैंगलोर से मुम्बई विमान में गया था । विमान की क्षमता 300 यात्रियों की थी । लेकिन विमान में 40 से कम यात्री थे..
विदेशी आक्रमणकारियों से रक्षा का संकल्प, १०००० भारतीय युवाओं ने किया सरहद प्रणाम
देश के प्रत्येक राज्य से पहुँचे दस सहस्त्र (१०,०००) युवाओं ने
देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए शपथ ली। फोरम फॉर
इंट्रीग्रेटेड नेशनल सिक्योरिटी के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम
'सरहद को प्रणाम' के समापन कार्यक्रम में इन युवाओं ने शपथ ली।
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राष्ट्रीय
कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार ने बताया कि युवाओं ने राष्ट्र
की एक-एक इंच भूमि की विदेशी आक्रमणकारियों से रक्षा करने का संकल्प
लिया है। उन्होंने बताया की इन सहस्त्र युवाओं ने देश की सीमाओं
पर जाकर सैनिकों को एकता सूत्र बांधे। इसके साथ ही उन्होंने देश की
नदियों, तालाबों एवं झीलों के पानी से सीमाओं के जलाभिषेक भी किये।
उन्होंने कहा की भारत सरकार को चाहिए की वह पूर्व एशिया के देशों को
अपने विश्वास में ले की वह चीन से खतरे की स्थिति में उन देशों की
सहायता करने में सक्षम है।
नई दिल्ली रफ़ी मार्ग पर स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में फिन्स (फोरम फॉर
इंट्रीग्रेटेड नेशनल सिक्योरिटी) में उपाध्यक्ष और रिटायर्ड ले.
जनरल श्री वी.एम. पाटिल कोकजे ने बताया कि भारत की सम्पूर्ण जमीनी
सीमा 15106.7 कि.मी. पर देश के प्रत्येक जिले से नवयुवकों की टोलियां
20 नवम्बर को पहुंची। सीमा पर कार्यक्रम के मद्देनजर बनाई गई अलग-अलग
469 चैकियों पर युवा एकत्र हुए। इससे पूर्व 19 नवम्बर को देश की सीमा
से जुड़े हुए जिलों में बनाए गए 88 आधार शिविरों पर सभी युवाओं का
एकत्रीकरण हुआ। इस दौरान वहाँ बसे लोगों व तैनात सैनिकों से भेंट की
गई। इस कार्यक्रम में आकषर्ण का बिन्दु 22 नवम्बर को ठीक 11 बजे देखने
को मिला।
सीमा पर गए सभी युवाओं ने वहाँ तैनात जवानों व स्थानीय जनता के साथ
मानव श्रृखला बनाई। जिसे सीमा रक्षा श्रृखला का नाम दिया। इस श्रृंखला
को बनाने के साथ ही सभी ने देश की सीमा को अखण्ड बनाये रखने की भी शपथ
ग्रहण की। उल्लेखनीय है कि फोरम फार इन्टीग्रेटिड नेशनल सिक्योरिटी
(फिन्स) द्वारा भारत पर पाकिस्तान के प्रथम हमले के 65 वर्ष, चीन के
हमले के 50 वर्ष तथा लोकतन्त्र के सबसे बड़े मंदिर भारतीय संसद पर
हमले के 10 वर्ष होने पर भारत से सटी 6 देशों की सीमाओं पर देश के
युवाओं को एकत्रित करने का आहवान किया गया था।
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