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नई दिल्ली अगर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में नौकरी करने के इच्छुक हैं तो दिल्ली का निवासी होना (डोमिसाइल) फायदा पहुंचा सकता है। दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में जिस तरह स्थानीय लोगों को वहां नौकरी में 85 फीसदी तक प्राथमिकता दी जाती है, इसी तर्ज पर एमसीडी में भी नौकरी के लिए दिल्ली वालों को 85 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। सोमवार को एमसीडी सदन ने इस आशय से लाए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। दिल्ली के डोमिसाइल (अधिवासी या निवासी) निवासियों को एमसीडी में नौकरी के लिए प्राथमिकता देने का प्रस्ताव 14 सितंबर को एमसीडी स्थायी समिति की बैठक में लाया गया था। प्रस्ताव की सिफारिश समिति सदस्य गुलशन भाटिया, विजय प्रकाश पांडेय ने की तो उसे अनुमोदित नेता विपक्ष जयकिशन शर्मा ने किया था। इनका तर्क था कि दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य और कॉरपोरेट हाउस आदि की उच्चतम स्तर की सुविधाएं उपलब्ध हैं और इस कारण यहां रोजगार के अवसर ज्यादा हैं। किंतु नौकरियों के लिए प्रशिक्षित स्थानीय उम्मीदवार उपलब्ध होने के बावजूद यहां पर बेरोजगारी का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है।
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र होने के कारण यहां भारत के सभी हिस्से के निवासी रोजगार, व्यापार और गुजर-बसर करने के लिए वर्षो से दिल्ली में रह रहे हैं। ऐसे में जब भी नौकरियों में भर्ती की जाती है तो यहां के स्थानीय निवासी उम्मीदवार के रूप में बहुत कम होते हैं, बाहर के ज्यादा। ऐसे में एमसीडी यहां के लोगों के कल्याण तथा निगम एक्ट में उल्लेखित सुविधाएं प्रदान करता है। निर्णय लिया गया कि आगामी दिनों में जो बहाली की जाएगी इसमें डोमिसाइल वालों को 85 फीसदी आरक्षण दिया जाए। नेता सदन सुभाष आर्य कहते हैं कि एमसीडी को विकास कार्य के लिए पैसा भारत सरकार की संचित निधि से नहीं मिलता है। एमसीडी स्वायत्तशासी संस्था है। इस कारण स्थानीय लोगों की हित का ख्याल रखते हुए इस तरह के फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने बताया कि सदन से पास प्रस्ताव में डोमिसाइल को वर्णित करने के लिए फाइल एमसीडी कमिश्नर केएस मेहरा को भेज दी गई है। जैसे ही यह काम पूरा हो जाएगा पहले तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के तहत जो बहाली होंगे इसी नियम के तहत की जाएंगी। मालूम हो कि एमसीडी के अंतर्गत कुल 36 विभाग हैं तो मुख्यालय आदि में काम करने वाले सभी कर्मचारियों की संख्या कुल डेढ़ लाख के करीब है।
उपराज्यपाल ने किया मीटिंग हॉल का उद्घाटन : एमसीडी मुख्यालय सिविक सेंटर में नवनिर्मित मीटिंग हॉल का उद्घाटन करने पहुंचे दिल्ली के उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना ने एमसीडी अधिकारियों को अपने रवैये में सुधार लाने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि एमसीडी का उद्देश्य आम लोगों तक एमसीडी प्रदत्त सुविधाओं को पहुंचाना होना चाहिए। उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए एमसीडी प्रशासन द्वारा गत वर्षो में कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए ई-गवर्नेस, बायोमैट्रिक सिस्टम आदि को लागू किए जाने की प्रशंसा की। साथ ही यह भी कहा कि इन सबका पूरा लाभ तभी मिल पाएगा जब अधिकारी हों या जनप्रतिनिधि वे सही तरीके से एमसीडी के कार्य को सहयोग देंगे। उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना दोपहर करीब 12 बजे सिविक सेंटर पहुंचे। उनकी अगवानी मेयर रजनी अब्बी, नेता सदन सुभाष आर्य, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता तथा एमसीडी कमिश्नर केएस मेहरा ने की। उद्घाटन से पहले उन्होंने मुख्यालय का जायजा लिया। पहली बैठक हंगामे के बीच स्थगित : सिविक सेंटर के नए मीटिंग हॉल में दोपहर तीन बजे हुई सदन की पहली बैठक भी हंगामे की भेंट चढ़ गई।
बैठक की अध्यक्षता करने के लिए मेयर रजनी अब्बी जैसे ही सीट पर बैठीं नेता विपक्ष जय किशन शर्मा ने सितंबर में भाजपा व कांग्रेस के पार्षदों के बीच हुई हाथापाई की घटना को लेकर विरोध किया। कांग्रेस के सभी पार्षद मेयर की कुर्सी के आगे एकत्रित हो गए और कहा कि भाजपा शासित एमसीडी में दलित पार्षदों की बात नहीं सुनी जाती। उन्हें सदन में बोलने का मौका नहीं दिया जाता। सभी भाजपा विरोधी नारे लगाने लगे। मेयर ने उन्हें शांत होने की अपील की। लेकिन जब वे शांत नहीं हुए तो बैठक 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद दोबारा बैठक शुरू हुई तब भी हालात वही थे। मेयर ने नेता सदन सुभाष आर्य से हंगामे के बीच ही एजेंडा को टेबल करने का आदेश दिया। उधर कांग्रेसी पार्षद नारेबाजी करते रहे तो एजेंडा बगैर किसी चर्चा के सदन में पास हो गया और बैठक स्थगित कर दी गई। एमसीडी विभाजन पर मुख्यमंत्री कराएं बहस : एमसीडी विभाजन पर अंतिम फैसला लेने से पूर्व इस विषय पर आम लोगों की राय ली जानी चाहिए। यह बात मेयर ने सोमवार को सदन की बैठक से पहले प्रेसवार्ता के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि एमसीडी लोगों की सेवाओं से सीधे जुड़ी है। इसकी संरचना में होने वाला कोई भी बदलाव लोगों को प्रभावित करेगा। मुख्यमंत्री को विभाजन पर बहस करानी चाहिए।
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