कहा जाता हैं कि भारत विविधताओं का देश है। बात सच भी है। संस्कृति की समरसता के छत्र में वैविध्य की वाटिका यहाँ सुरम्य दृष..
अब आम आदमी की आवाज दबाने चले कपिल सिब्बल (?) सोशल साइट कंटेंट की निगरानी

विभिन्न समाचार पत्रों एवं न्यूज़ चेनल्स पर यही समाचार है की भारत सरकार ने गूगल और फेसबुक जैसी तमाम इंटरनेट कंपनियों से अपनी सोशल नेटवर्किंग साइटों के भारतीय यूजर्स के कंटेंट पर निगरानी रखने और आपत्तिजनक सामग्री का इस्तेमाल रोकने को कहा है। सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग से जुड़े तीन कार्यकारी अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने इन कंपनियों से भ्रामक, उकसाऊ या अपमानजनक कंटेंट को हटाने की भी मांग की है।
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
ज्ञातव्य है की आम आदमी की आवाज को सुन अब सरकार सकते में है की शांत
रहने वाले भारतीय अचानक देश के विषय में गंभीर चिन्तन कैसे करने लगे,
शायद अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाले कुछ नौसिखिए ही होंगे
परन्तु, ट्विट्टर एवं फेसबुक पर अपनी राय देने कुछ विचारक भी
है जो आम जन से जुड कर उन्हें शिक्षित करने की जिम्मेदारी लिए बैठे
हैं। यह कहना गलत नहीं है की अभद्र भाषा एवं भडकाऊ चित्रों का
उपयोग वर्जित है, अपितु निंदनीय है।
परन्तु यह बात भी किसी से नहीं छिपी है की अपने व्यहार एवं बोलने के
तरीके से कपिल सिब्बल ने आम जन को अपने से बहुत दूर कर लिया है। यह
याद दिलाना आवश्यक नहीं है की अन्ना हजारे एवं उनकी टीम के
साथ व्यवहार एवं ०४ जून के षड़यंत्र के पश्चात उनका व्यवहार कैसा
था। वह जन प्रतिनिधि है या कांग्रेस प्रतिनिधि यह समझाना
मुश्किल है एवं नामुमकिन भी है ध्यान दिया जाये तो उनके अपने क्षेत्र
चांदनी चौक में स्तिथि अत्यधिक बुरी है।
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
टेलिकॉम मिनिस्टर कपिल सिब्बल ने इंटरनेट कंपनियों से कांग्रेस
अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से जुड़ी कथित
अपमानजनक, और गलत सामग्रियों को हटाने के लिए कहा है।
सिब्बल ने बैठक में इन कंपनियों के अधिकारियों के सामने सोनिया गांधी,
मनमोहन सिंह और मोहम्मद साहब की कुछ भड़काऊ तस्वीरें दिकाते हुए पूछा
कि इन तस्वीरों के बारे में उनकी क्या राय है ? सिब्बल ने उनसे कहा कि
भारत सरकार सेंसरशिप में विश्वास नहीं करती है लेकिन विभिन्न समुदायों
की भावनाओं को चोट पहुंचाने वाले और अन्य संवेदनशील मसलों को ऐसे ही
नहीं छोड़ा जा सकता। चूंकि ये कंपनियां इन साइट्स को चलाती हैं इसलिए
उन्हें इसे नियमित करना होगा।
सोमवार को गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, याहू और फेसबुक की भारतीय इकाइयों के
उच्च अधिकारियों ने इस मसले पर चर्चा के लिए दूरसंचार मंत्री कपिल
सिब्बल से भेंट की। न्यूयॅार्क टाइम्स के अनुसार, दूरसंचार मंत्रालय
के अधिकारियों ने इस भेंट की पुष्टि तो की, लेकिन बैठक में हुई चर्चा
के बारे में कुछ भी बताने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि हम इसके
लिए अधिकृत नहीं हैं।
एक बैठक के दौरान सिब्बल ने प्रतिनिधियों को फेसबुक का एक वेब पेज
दिखाते हुए कहा था कि यह सब स्वीकार्य नहीं है। दरअसल इस पेज में
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में टिप्पणी की गई थी।
दूरसंचार मंत्री ने प्रतिनिधियों से उनकी साइट पर डाले जाने वाले
कंटेंट की निगरानी का रास्ता खोजने को कहा था।
Share Your View via Facebook
top trend
-
क्या विडंबनाओं का देश बन कर रह जाएगा हमारा भारत?
-
लीबिया में विद्रोही प्रमुख को त्रिपोली में रक्तपात की आशंका
लीबिया में राजधानी त्रिपोली को अगस्त के अंत तक फतह करने की विद्रोहियों की उम्मीद के बीच उनके विद्रोही प्रमुख ने राजधानी पर..
-
होली, स्वास्थ्य एवं विज्ञान : होलिकोत्सव पर विशेष
भारतीय संस्कृति त्योहारों की संस्कृति है जो की विश्व की प्राचीन संस्कृति मानी जाती है| अपनी संस्कृति में सिर्फ मानव जीवन..
-
क्या विदेशी कंपनियों के आने से लोगों को आजीविका मिलती है, गरीबी कम होती है? : राजीव दीक्षित
-
पेप्सी से किये गए अनुबंध, तोड़े गए सभी कानून किये झूठे दावे
पेप्सी को कारोबार करने की अनुमति देते समय सरकार के साथ जो अनुबंध हुआ उसकी प्रमुख शर्तें कुछ इस प्रकार थीं।
..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)