तिहाड़ जेल पहुंचने वाले बड़े से बड़े नेता और मंत्री को भले ही मामूली कैदियों की तरह से रहना पड़ रहा हो, लेकिन कैश फॉर वोट ..
जनलोकपाल की राह में अब भी रोड़े, मुगालते में न रहे टीम अन्ना - मणिशंकर अय्यर

अन्ना हजारे ने 13वें दिन अपना अनशन तोड़ दिया है लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की राह इतनी आसान नहीं है। लोकपाल को लेकर अन्ना हजारे के आंदोलन और संसद में हुई चर्चा के बाद गेंद एक बार फिर से संसदीय समिति के पाले में है। कानून, न्याय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय की यह संसदीय समिति ही इस बिल के मसौदे को अंतिम शक्ल देगी, जिसके बाद इसे संसद के पटल पर रखा जाएगा।
इस मकसद की रोशनी में 25 सदस्यों की इस समिति का ढांचा भी बेहद अहम हो जाता है। संसद में अन्ना की मांगें मंजूर होने के कुछ घंटे बाद ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने इस पर गंभीर सवाल उठा दिए। उनका कहना है कि अन्ना टीम ने प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने, न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने और सांसदों का आचरण इसी परिधि में लाने का मसला शायद छोड़ ही दिया। अय्यर का कहना है कि संसद में जो भी प्रस्ताव पास हुआ उसमें अन्ना की जीत नहीं बल्कि संसद और कानून की रक्षा की गई है।
संसद की स्थाई समिति में कांग्रेस और बीजेपी समेत कुल 10 राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि हैं। साथ ही इसमें निर्दलीय भी शामिल हैं। कांग्रेस के सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की अगुवाई वाली यह कमेटी पहले ही साफ कर चुकी है कि इसमें लोकपाल के सभी ड्राफ्ट पर विचार किया जाएगा। इन ड्राफ्ट में सरकारी लोकपाल, जनलोकपाल, अरुणा राय का लोकपाल ड्राफ्ट, लोक सत्ता पार्टी के जयप्रकाश नारायण का ड्राफ्ट, बहुजन लोकपाल का ड्राफ्ट, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जीवीजी कृष्णामूर्ति का ड्राफ्ट जैसे मसौदे शामिल होंगे। यानी मायने एकदम साफ हैं कि कमेटी इन सभी ड्राफ्ट पर गौर करने के बाद ही अंतिम मसौदे पर मुहर लगाएगी। इस मसौदे में इन सभी ड्राफ्ट से जरूरी प्रावधान लिए जा सकते हैं।
इस संसदीय समिति के सदस्यों की राय जन लोकपाल के सवाल पर बिखरी हुई है। समिति के सदस्य लालू प्रसाद यादव ने शनिवार को संसद में कई बार कहा कि वे सभी एनजीओ को लोकपाल मे शामिल किए जाने के हक में हैं, जो जन लोकपाल बिल के खिलाफ हैं। समिति में शामिल बीएसपी सांसद विजय बहादुर सिंह ने कहा कि वे जन लोकपाल को ज्यों का त्यों स्वीकार करने को मजबूर कतई नहीं हैं। समिति के ही सदस्य और बीजेपी सांसद हरिन पाठक और रामजेठमलानी जन लोकपाल विधेयक के साथ हैं।
समिति की सदस्य और कांग्रेस की सांसद मीनाक्षी नटराजन संसद में पहले ही कह चुकी हैं कि वे सभी प्रारूपों पर गौर करेंगी। राजस्थान से निर्दलीय सांसद किरोड़ी लाल मीणा भी जनलोकपाल के हक में नहीं हैं। समिति के सदस्य अमर सिंह का जन लोकपाल पर विरोध जग जाहिर है।
इस कमेटी का गणित भी खासा महत्वपूर्ण है। कुल 25 सदस्यों में से कांग्रेस के 8, बीजेपी के 6, एसपी, बीएसपी, आरजेडी, डीएमके, एआईएडीएमके, जेडीयू, लोकजनशक्ति पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के एक-एक सदस्य हैं। इसमें तीन निर्दलीय भी शामिल हैं। ऐसे में लोकपाल पर इस संसदीय समिति के रुख में खासतौर पर कांग्रेस और बीजेपी की भूमिका खासी महत्वपूर्ण होगी।
(पोस्ट बिस्मिल न्यूज में प्रकाशित खबर पर आधारित)
Share Your View via Facebook
top trend
-
तिहाड़ के वीआईपी कैदी अमर सिंह से परेशान स्टाफ
-
“मालिकों” के विदेश दौरे के बारे में जानने का, नौकरों को कोई हक नहीं है...
यह एक सामान्य सा लोकतांत्रिक नियम है कि जब कभी कोई लोकसभा या राज्यसभा सदस्य किसी विदेश दौरे पर जाते हैं तो उन्हें संसदीय क..
-
टीवी शो में अभद्रता पर लगाम की कवायद
टेलीविजन पर टीवी शॉप कार्यक्रमों में आमतौर पर देखे जाने वाले तंत्र-मंत्र, ज्योतिष एवं जादू टोने, छद्म विज्ञापन और टी..
-
कन्या भ्रूण हत्या का अभिशाप कॉंग्रेस की देन?
आज फिर मुंडकोपनिषद का सार मंत्र - "सत्यमेव जयते" भारत मे गूंज उठा और एक कड़वा सत्य सामने आया कि कन्या भ्रूण हत्..
-
क्या विदेशी कंपनियों के आने से भारत का निर्यात बढ़ता है : राजीव दीक्षित
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)