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राहुल गांधी ने रद की अन्ना के दूत से मुलाकात, अन्ना के करीबियों ने कहा बेइज्जती

नई दिल्ली कांग्रेस और टीम अन्ना के बीच कड़वाहट कम होने के बजाय और बढ़ने के आसार पैदा हो गए हैं, क्योंकि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने अन्ना के दूत से मिलने से इंकार कर दिया है। इससे खफा अन्ना के करीबियों ने कहा है कि इस बेइज्जती पर वे खुद को दिए गए बुलावे के सबूत जनता के सामने पेश कर सकते हैं। माना जा रहा है कि हिसार में पार्टी की बुरी तरह से पराजय और उस पर अन्ना के चेतावनी भरे बयान के बाद राहुल ने अपना फैसला बदला। अन्ना के निजी सहयोगी सुरेश पठारे और उनके गांव के सरपंच जयसिंह मापारी सहित उनके पांच करीबी लोग तब असहज स्थिति में फंस गए जब उन्हें यह पता चला कि राहुल से उनकी मुलाकात नहीं होने वाली।
इन लोगों की राहुल से मुलाकात का समय मंगलवार सुबह नौ बजे का तय हुआ था। सोमवार को हिसार चुनाव परिणाम सामने आने के कुछ समय बाद मामला तब बिगड़ गया जब दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता कर रहे कांग्रेस के लोकसभा सदस्य पीटी थॉमस ने इस मुलाकात की संभावना से इनकार कर दिया। इदुक्की, केरल से सांसद पीटी थामस ने कहा कि मंगलवार को तय बैठक की खबरें पूरी तरह आधारहीन हैं। इस संबंध में राहुल गांधी के कार्यालय ने भी यह कहा कि ऐसी कोई भेंट होनी ही नहीं थी। टीम राहुल के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि थॉमस ने उन्हें मुलाकात का न्यौता नहीं दिया था। उन्होंने तो बहुत पहले रालेगण सिद्धि की यात्रा की थी और तब अनौपचारिक तौर पर इसके बारे में बात की थी। इसके विपरीत अन्ना के करीबी दादा पठारे ने कहा कि लगभग सात-आठ दिन पहले थॉमस के जरिये मापारी से संपर्क किया गया था।
इसके बाद उनका दफ्तर लगातार संपर्क में था। यहां तक कि मुलाकात के लिए गए लोगों के रुकने और भोजन आदि का प्रबंध भी करने का उन्होंने प्रस्ताव किया था। इस पूरे मामले से उत्तेजित अन्ना के एक और सहयोगी ने कहा कि उनके पास न्यौता भेजे जाने के तमाम सबूत हैं और जरूरत हुई तो वे इन्हें सार्वजनिक भी कर सकते हैं। राहुल से मुलाकात करने वालों में सुरेश पठारे और मापारी के अलावा रामदास उगले, भागवत पठारे व संपत मापारी शामिल थे। इस मुलाकात को न सिर्फ अन्ना का समर्थन प्राप्त था, बल्कि उन्होंने मापारी से यह कहा था कि हर मामले का हल बातचीत से ही होता है।
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