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निवेश की आड़ में देश से बाहर जा रहा कालाधन, तकरीबन 26 हजार करोड़ रुपये
नई दिल्ली वैश्विक मंदी के बावजूद निवेश की आड़ में कालाधन देश से
बाहर भेजने की खबरों से इस मुद्दे पर पहले से ही घिरी केंद्र सरकार की
नींद उड़ गई है। इस साल सिर्फ तीन महीनों (अप्रैल से जून) में पिछले
साल के मुकाबले दूना धन (तकरीबन 26 हजार करोड़ रुपये) विदेशों में जा
चुका है। इसी तरह व्यक्तिगत निवेश में बढ़ोत्तरी से सरकार का शक और
गहरा गया है। यही वजह है कि सरकार अब निवेश के लिए राशि जुटाने के
तरीके और इनके स्त्रोत की पड़ताल पर सतर्क हो गई है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि आय कर विभाग की एक विशेष टीम
पिछले दो-तीन वर्षो के दौरान देश से बाहर किये जाने वाले सभी निवेश की
खोजबीन में जुटी है। वैसे विदेशों में निवेश करने से पहले संबंधित
पक्षों को रिजर्व बैंक के साथ ही अन्य सरकारी एजेंसियों की मंजूरी
लेनी होती है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में यह सत्यापित करने का कोई
तरीका नहीं है कि निवेश के लिए राशि सही तरीके से जुटाई गई है। आय कर
विभाग की टीम इस तथ्य की पड़ताल करेगी कि वैधानिक स्त्रोत से इन निवेश
के लिए राशि जुटाई गई है या नहीं।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ अप्रैल से जून, 2011-12 के महीने
में कंपनियों व ट्रस्टों ने 26,104 करोड़ रुपये की राशि का निवेश किया
है जो पिछले वित्त वर्ष के समान अवधि में किये गये 13,156 करोड़ रुपये
से लगभग दोगुना है। व्यक्तिगत स्तर पर किये जाने वाले निवेश की बात
करें तो इस दौरान 307 करोड़ रुपये की राशि बतौर निवेश बाहर भेजी गई
है। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह राशि 279 करोड़ की थी। यह पहला
मौका है जब सरकार ने विदेश में होने वाले निवेश की जांच के लिए एक
अभियान शुरू करने का फैसला किया है। आय कर विभाग वैसे शक के आधार पर
वैधानिक तरीके से बाहर जाने वाले पैसे के स्त्रोत की भी जांच कर सकता
है।
इसमें विदेशों में होने वाले निवेश भी शामिल हैं, लेकिन कभी इसकी जांच
नहीं की गई। हाल में काले धन को लेकर चौतरफा दबाव को देख कर सरकार ने
अब इन गतिविधियों पर नजर रखने का फैसला किया है। काले धन के जानकारों
का कहना है कि विदेशों में निवेश करने के बहाने बड़े पैमाने पर काला
धन देश से बाहर भेजा जाता है। आरबीआइ के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष
2010-11 में भारतीय कंपनियों ने विदेशों में 43.9 अरब डॉलर का निवेश
किया था जो वर्ष 2009-11 के मुकाबले 144 फीसदी ज्यादा था। व्यक्तिगत
तौर पर होने वाला निवेश इसके अलावा है।
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