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हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशन
रामनाथी, गोवा - हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए कश्मीर से लेकर
कन्याकुमारी तक के १८ प्रदेशों के धर्माचार्य, संत, हिंदुत्वनिष्ठ
संगठनों के प्रमुख, अधिवक्ता एवं विचारकों का अखिल भारतीय हिंदू
अधिवेशन गोवा की पावन भूमि पर संपन्न हुआ। हिंदू राष्ट्र की स्थापना
की दृष्टि से यह नया चरण है। अब संपूर्ण देश भर में प्रत्येक राज्य
एवं जिला स्तर पर हिंदुओं के संगठन का कार्य क्रियान्वित किया जाएगा।
स्थान-स्थान पर राज्यस्तरीय एवं जिलास्तरीय हिंदू अधिवेशनों का आयोजन
किया जाएगा।हिंदुओं का राष्ट्रव्यापी संगठन करना, यही हमारा लक्ष्य
होगा। धर्म रक्षा के उपक्रम करने के दृष्टिकोण से न्यूनतम समान
कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। हिंदु धर्म तथा धर्मियों के हित की
रक्षा के लिए धर्म शिक्षा, धर्मजागृति, धर्म रक्षा तथा हिंदू संगठन इन
चार सूत्रों के अनुसार भविष्य में हिंदू संगठन कार्यरत रहेंगे। इस
सर्व कार्य का ब्यौरा लेने के लिए अगले वर्ष अखिल भारतीय हिंदू
अधिवेशन होगा, ऐसी जानकारी हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय
मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजीने पत्रकार परिषद में दी। आज
हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशन के समापन
के अवसरपर वे बोल रहे थे। इस अवसरपर हिंदुत्वनिष्ठ अधिवक्ता श्री.
संजीव पुनाळेकर, श्री राम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. प्रमोद
मुतालिक, तमिलनाडू के ‘हिंदू मक्कल कच्छी’ संगठन के श्री. अर्जुन संपथ
तथा बंगाल के ‘हिंदू संघति’ के अध्यक्ष श्री. तपन घोष इत्यादि ने भी
पत्रकारों को संबोधित किया। इस समय समिति के राष्ट्रीय संगठक श्री.
चित्तरंजन सुरालजी ने सूत्र संचलन किया।
अधिवेशन के पश्चात राजकीय पक्ष, संगठन, संस्था, जनप्रतिनिधि,
न्यायमूर्ति इत्यादि में जाग्रति करूंगा ! - अधिवक्ता
पुनाळेकर
अधिवक्ता श्री. पुनाळेकर बोले कि इस अधिवेशन में हिंदुत्वनिष्ठ
संगठनों में वैचारिक लेन देन हुआ। पू. गोविंदाचार्य स्वामीजी, हिंदू
महा सभा की श्रीमती हिमानी ताई सावरकर, भगत सिंह क्रान्ति सेना के
अध्यक्ष तेजिंदर पर सिंह बग्गा इत्यादि अनेक धर्माभिमानी कुछ
अपरिहार्य कारणों से इस अधिवेशन में उपस्थित नहीं हो सके; परंतु
उन्होंने इस अधिवेशन को शुभकामनाएं भेजकर इस अधिवेशन के सर्व सूत्रों
को तत्त्वतः मान्य भी किया है। अन्य स्थानों पर होनेवाले अधिवेशन में
वे सम्मिलित होंगे। इस अधिवेशन में पारित किए गए विविध प्रस्ताव सर्व
राजनैतिक दल, संगठन, संस्था, जनप्रतिनिधि, न्यायमूर्ति इत्यादि से
भेंटकर उन्हें दिए जाएंगे तथा इस संबंध में जाग्रति की जाएगी।
तत्पश्चात श्री. पुनाळेकर जी ने इस अधिवेशन में पारित प्रस्तावों की
जानकारी दी।
आतंकवाद रोकने का प्रयास किया जाएगा ! - श्री. प्रमोद
मुतालिक, अध्यक्ष, श्रीराम सेना
श्री. प्रमोद मुतालिक बोले कि आज अहिंदुओं का जो आतंकवाद देश में
विविध मार्गों से फैल रहा है, वह केवल हिंदुओं की समस्या नहीं अपितु
संपूर्ण देश की समस्या है। यह समस्या समाप्त करने के लिए क्या प्रयास
करने चाहिए, इस विषयपर अधिवेशन में चर्चा हुई है। हिंदू राष्ट्र में
हिंदुओं की माताएं एवं बहनें निर्भय होकर जीवन निर्वाह करेंगी।
बांग्लादेशी घुसपैठियों को खदेडने के लिए कठोर अधिनियम बनाने
का आग्रह किया जाएगा! - श्री. तपन घोष, अध्यक्ष, हिंदु संघती,
बंगाल
श्री. तपन घोष बोले, ‘‘बांग्लादेश में पूर्व में २९ प्रतिशत हिंदू थे,
वे घटकर आज केवल ९ प्रतिशत शेष रह गए हैं। ६ दिसंबर १९९२ एवं १ से १०
अक्टूबर २००१ ऐसे दो बार बंगाल के हिंदुओं पर घोर अत्याचार किए गए
हैं। इस कारण हम ऐसी मांग कर रहे हैं कि, बांग्लादेश के हिंदुओं को
भारतमें बुलाया जाए, उनकी रक्षा करें, उन्हें राष्ट्रीयत्व दें तथा इस
देश में घुसे हुए ५ करोड बांग्लादेशी मुसलमानों को खदेड दें। ये
बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठिए उद्दंड हैं तथा देश भर में आतंकवादी
कार्यवाही करने में अग्रणी हैं। उनके माध्यम से पाक तथा बांग्लादेशी
आतंकवादी संगठन कार्यरत हैं। केंद्र शासन सहित असम तथा बंगाल के राज्य
शासन इन आतंकवादियों का समर्थन तथा पोषण कर रहे हैं। कल यही
बांग्लादेशी इन दोनों राज्यों के सत्ताधारी बनने का धोखा निर्माण हो
गया है। इसके लिए देश भर में जनजाग्रति कर बांग्लादेशी घुसपैठियों को
खदेडने के लिए कठोर अधिनियम बनाने का आग्रह हिंदू संगठन करेंगे
!’’
पत्रकार परिषद में पत्रकारों द्वारा पूछे गए
प्रश्नों के उत्तर का सारांश...
हिंदू राष्ट्र की स्थापना वैध मार्ग से ही होगी ! - पू. डॉ.
पिंगळे
१. हिंदू राष्ट्र की स्थापना वैध मार्ग से ही की
जाएगी। हिंदू राष्ट्र के निर्माण के लिए कोई भी अवैध मार्ग नहीं
अपनाया जाएगा। हिंदुओं को उनके अधिकारों का भान करवाकर, जनमत सिद्ध
(तैयार) किया जाएगा। इसके (जनमत के) दबाव के कारण राजनेताओं को हिंदु
हितैषी निर्णय लेने ही पडेंगे।
२. अफजल खान वध के चित्र पर अघोषित बंदी नहीं होनी
चाहिए, खरा इतिहास हिंदुओं को सिखाया जाए, इसके लिए राजनेताओं का
प्रबोधन किया जाएगा। यदि उन्होंने इसे अनसुना किया, तो प्रसंग आने पर
हिंदुत्ववादी विचारधाराओं के इतिहासकारों की सहायता से नया एवं सत्य
इतिहास रचा जाएगा।
३. अफजल खान के शवप्रकोष्ठ (मकबरा) का निर्माण कार्य
अनाधिकृत है, ऐसा सर्वोच्च न्यायालय का कहना है। ऐसा होते हुए भी यदि
आज के राज्यकर्ता उसे गिराते नहीं, तो इससे यह सिद्ध होता है कि वे
स्वयं अवैधानिक (गैरकानूनी) कृत्य कर रहे हैं। इसलिए कोई हिंदु भावना
में आकर क्रोधावेश में यदि उस निर्माण कार्य का विध्वंस कर दे, तो यह
सिद्ध हो सकता है कि अपने इस कृत्य से उसने सर्वोच्च न्यायालय के
निर्णय का ही पालन किया है। इस अवैध कृत्य के विषय में राज्यकर्ताओं
की नाक में दम कर देना अर्थात उन्हे त्रस्त करके छोडना, यह आज के
ज्ञानी पत्रकारों का कर्तव्य ही है !
४. इस अधिवेशन का निमंत्रण सर्व हिंदुत्वनिष्ठ
संगठनों को दिया गया था। बजरंग दल एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के
प्रतिनिधि भी इसमें सहभागी हुए थे।
५. महाराष्ट्र के राज्यकर्ताओं को (अंध)
श्रद्धाविरोधी अधिनियम बनाना ही है, तो ‘श्रद्धाका अर्थ क्या है’, यह
जाननेवाले तथा अपने क्षेत्र के तज्ञ धर्माचार्य एवं संत-महंतों की
सहायता लेकर कानून सिद्ध करना चाहिए। श्रद्धा का विरोध करने वालों को
लेकर सिद्ध किया गया यह अधिनियम, हिंदू द्रोही ही होने वाला है। यह
अधिनियम बनाने के पीछे राज्यकर्ताओं का जो हिंदू द्रोही षडयंत्र है,
हम उसका विरोध करते हैं।
ईश्वर की कृपा एवं संतों का आशीर्वाद ही हमारे शस्त्र हैं ! -
पू. डॉ. पिंगळे
पत्रकार परिषद के एक प्रश्न का उत्तर देते समय पू. डॉ. पिंगळे बोले,
‘हमारे आदर्श प्रभु श्रीरामचंद्र, भगवान श्रीकृष्ण, छत्रपति शिवाजी
महाराज इत्यादि हैं। ईश्वर की कृपा एवं संतों के आशीर्वाद ही हमारे
शस्त्र हैं। उनके बल पर ही हम स्वयं में एवं हिंदुओं में क्षात्रतेज
एवं ब्राह्मतेज वृद्धिंगत करने का प्रयत्न करने वाले हैं। इस कारण
हमें हिंदू राष्ट्र की निमिर्ति के लिए अन्य किसी भी प्रकार के शस्त्र
हाथों में उठाने नहीं पडेंगे।
अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर द्वारा प्रस्तुत
विचार
समान नागरी कानून का स्वीकार देश के मुसलमान भी करेंगे
!
आज गोवा में समान नागरी अधिनियम लागू है, तब भी मुसलमान यहां भारी
संख्या में आ रहे हैं। इसका अर्थ है यहां के मुसलमानों का इस अधिनियम
से कोई कष्ट नहीं हो रहा है। इसी आधार पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर
द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने के लिए संपूर्ण देश में यह
अधिनियम लागू किया जाना चाहिए। देश भर के मुसलमान भी उसका स्वीकार कर
सकते है।
धर्म को अफीम की गोली मानने वाले, धर्म के विषय में अधिनियम
कैसे बना सकते हैं ?
आज के राज्यकर्ता (अंध) श्रद्धाविरोधी अधिनियम सिद्ध करने के लिए ऐसे
संगठनों की सहायता ले रहे हैं जिनकी नक्सलवादियों से संबंध होने के
प्रकरण में छानबीन हो रही है, जो कि सरासर गलत है। ‘धर्मको अफीमकी
गोली’ मानने वाले धर्म के विषय में अधिनियम कैसे बना सकते हैं ? इन
राज्यकर्ताओं को यदि हिंदुओं के श्रद्धास्थानों की इतनी ही चिंता है,
तो उन्हें हिंदुओं के मंदिरों को पर्यटन स्थल नहीं बनने देना चाहिए।
सरकार को अपने नियंत्रण में लिए गए मंदिरों में होने वाले भ्रष्टाचार
को रोकना चाहिए !
यह समाचार हिन्दू जाग्रति संस्था की ओर से सूचना मात्र है, एवं यह
संस्था के व्यक्तिगत विचार हैं!!
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