कांग्रेस ने इस बार गजब का दांव मारा है| यह दांव वैसा ही है, जैसा कि 1971 में इंदिराजी ने मारा था| गरीबी हटाओ! गरीबी हटी या..
आर्थिक दुर्दशा से मूर्ति और प्रेमजी हताश, 2004 से 2011 के दौरान सुधार नहीं : मॉर्गन स्टैनली रिसर्च
बेंगलुरु।। विपक्षी पार्टियां और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां
के बाद देश के दिग्गज उद्योगपतियों ने भी यूपीए सरकार को आर्थिक
कुप्रबंधन के लिए खुलेआम कोसना शुरू कर दिया है। भारतीय सॉफ्टवेयर
इंडस्ट्री की शानदार कामयाबी से करीबी रूप से जुड़े दो लोगों ने यूपीए
सरकार पर जमकर निशाना साधा। अजीम प्रेमजी और एन. आर. नारायणमूर्ति ने
सरकार पर कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए कहा कि देश की आर्थिक संभावना
को लेकर खतरा पैदा हो गया है।
मनमोहन सिंह सरकार पर की तल्ख टिप्पणी से कॉरपोरेट इंडिया के बीच
सरकार की छवि का पता चलता है। आम तौर पर इस तरह की टिप्पणी सार्वजनिक
रूप से देखने को नहीं मिलती है। देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर
कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक मूर्ति ने केंद्र की सरकार खासकर
मनमोहन सिंह की तीखी आलोचना की है। उन्होंने मॉर्गन स्टैनली रिसर्च से
कहा है कि 2004 से 2011 के दौरान भारत ने ज्यादा सुधार नहीं किए
हैं।
11 जून की रिपोर्ट में मूर्ति के हवाले से कहा गया है, 'जब यह सरकार
बनी थी तो काफी विश्वास था कि जो भी जरूरी होगा, भारत उसे करेगा
क्योंकि जो व्यक्ति 1991 के आर्थिक सुधार का चेहरा था वह अभी हमारा
प्रधानमंत्री है। इसलिए भारत से बाहर भी काफी उम्मीदे थीं। ऐसा लगता
है कि पिछले 3-4 महीने में भारत की इमेज को जबर्दस्त धक्का पहुंचा है।
एक भारतीय के रूप में मैं इस बात से बहुत दुखी हूं कि हम इस हालात में
पहुंच गए हैं।'
पिछले कुछ महीनों से यूपीए सरकार पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह बड़े
फैसले लेने में बहुत ज्यादा डरती है। इस दौरान ग्रोथ और इनवेस्टमेंट
की रफ्तार सुस्त हुई है, इनफ्लेशन और डेफिसिट बढ़ा है और रुपया कमजोर
हुआ है। सरकार यह राग अलापती रही है कि जो भी उसके हाथ में है, वह कर
रही है। सरकार ने मौजूदा स्थिति की वजह गठबंधन सरकार की मजबूरियों,
क्रूड ऑयल की ऊंची कीमतों और यूरोपीय क्राइसिस जैसे कारकों को बताया
है, जिस पर उसका नियंत्रण नहीं है।
उधर विप्रो के संस्थापक और चेयरमैन प्रेमजी ने सोमवार को मुंबई में
कंपनी के एनालिस्ट मीट में कहा, 'बतौर देश हम लीडर के बगैर काम रहे
हैं।' उन्होंने यह बात उस दिन कही, जिस दिन स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स ने
कहा कि भारत इनवेस्टमेंट ग्रेड गंवाने वाला पहला ब्रिक्स देश बन सकता
है। बैठक में शामिल होने वाले कम से कम 5 एनालिस्ट ने ईटी से उनके इस
बयान की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि प्रेमजी ने यह भी कहा कि नीतिगत
मामलों में सुस्ती किस तरह से इनवेस्टर सेंटीमेंट को खराब कर रही है।
पिछले साल अजीम प्रेमजी और एचडीएफसी के दीपक पारेख जैसे 14 प्रमुख
लोगों के समूह ने दो बार सरकार को पत्र लिखकर राजकाज के स्तर में
सुधार करने की अपील की थी।
चंद्रा रंगनाथन, नवभारत टाइम्स
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