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चिदंबरम चाहते तो नहीं होता 2G घोटाला, आवंटन के दौरान इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में रुकावट डाली

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गृहमंत्री पी. चिदंबरम बुरी तरह घिरते दिख रहे हैं। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की ओर से 25 मार्च 2011 को पीएमओ को लिखी चिट्ठी में जनवरी 2008 में ए. राजा द्वारा के 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में पी. चिंदबरम की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ के मुताबिक वित्त मंत्रालय की इस चिट्ठी में कहा गया है कि अगर पी. चिदंबरम चाहते तो, 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला नहीं होता। स्पेक्ट्रम की ' पहले आओ , पहले पाओ ' की जगह उचित कीमत पर नीलामी की जा सकती थी।
चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के दौरान वित्त मंत्री रहे चिदंबरम ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में रुकावट डाली।
जनता पार्टी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में ये दस्तावेज पेश किए। स्वामी ने बताया कि 25 मार्च, 2011 को वित्त मंत्रालय ने पीएमओ को यह लेटर लिखा था। स्वामी ने कहा कि राजा और चिदंबरम के बीच कई मीटिंग हुई थी और इनकी आपसी सहमति से ही आवंटन का रेट तय हुआ है। इस मामले में चिदंबरम के रोल की जांच की मांग करते हुए स्वामी ने तमाम दस्तावेज अदालत के सामने पेश किए।
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