वह बात जो एक सीधा सादा देशवासी कई बार अनुभव करता है और जो विश्लेषण क्षमता और राजनैतिक मामलों की समझ रखने वाले दावे के साथ ..
70 के दशक में चीन बनाना चाहा तो 80 के दशक में अमेरिका और 2010 के बाद ब्राजील बनाने की ख्वाहिश

17 मई, 2012 को कोटा (राजस्थान) के घोड़े वाले बाबा चैराहा स्थित
टीलेश्वर महादेव मंदिर के सभागार में राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन का
आठवां स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया गया। दो दिन चले इस कार्यक्रम
में आंदोलन के संस्थापक- संरक्षक के.एन. गोविंदाचार्य मुख्य वक्ता
थे।
17 मई का दिन राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के लिए विशेष महत्व रखता है।
कारण, इस दिन आंदोलन की नींव रखी गई थी। 17 मई, 2012 को कोटा
(राजस्थान) के घोड़े वाले बाबा चैराहा स्थित टीलेश्वर महादेव मंदिर के
सभागार में राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन का आठवां स्थापना दिवस समारोह
आयोजित किया गया। दो दिन चले इस कार्यक्रम में आंदोलन के संस्थापक-
संरक्षक के.एन. गोविंदाचार्य मुख्य वक्ता थे।
उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत पर सदियों से बाहरी
सभ्यताएं हावी रही हैं। इसी लिए देश सही मायनों में तरक्की नहीं कर
पाया है। यहां के नेताओं पर पहले रूस हावी रहा तो उन्होंने भारत को रूस बनाना चाहा, फिर 70 के दशक में चीन बनाना
चाहा तो 80 के दशक में अमेरिका और 2010 के बाद ब्राजील बनाने की
ख्वाहिश रखते हैं। भारत की शक्ति समाज और परिवारों में है। जब
समाज आगे होगा और सत्ता पीछे, तभी देश का विकास होगा।
सरकार पर दूसरे देशों की नकल करने पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि
दुनिया का हर देश अलग है। ईश्वर ने हर देश को अलग प्रश्न पत्र दिया
है। हमें इतिहास का प्रश्न पत्र दिया है। हम इसमें भूगोल की नकल
करेंगे तो एक भी सवाल हल नहीं कर पाएंगे। अपनी समस्याओं के हल हमें
खुद निकालने होंगे। दूसरे देशों की पृष्ठभूमि जाने बिना नकल करना
खतरनाक हो रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की आबादी तीस करोड़ है।
वहां 120 करोड़ क्रेडिट कार्ड हैं। 12 लाख किसान हैं। जबकि भारत में
65 करोड़ किसान हैं। हमारी आबादी 120 करोड़ है। वहां के फैसले यहां
कैसे लागू हो सकते हैं? दूसरों की तरफ देखना और दूसरों की कमी निकालना
हमारी आदत सी बन गई है। आजादी से पहले हम हर बात के लिए अंग्रेजों को
जिम्मेदार ठहरा देते थे, लेकिन आजादी के बाद हमारे पास काफी समय था,
हमने इसे क्यों नहीं बदला? जबकि दुबई जैसे देश ने अपनी जरूरतों के
हिसाब से सब कुछ बदल दिया। हमारे यहां हर चीज वही है, जो अंग्रेज देकर
गये थे। वही रविवार की छुट्टी, वही दफ्तरों का समय।
गोविंदाचार्य ने सरकार को कटघरे में लाते हुए कहा
कि राज्यसभा में राज्य के लोग ही मनोनीत हो सकते हैं, न कि बाहर के।
हमें अपनी गरिमा का कुछ तो लिहाज रखना चाहिए। आज घोटाले और भ्रष्टाचार
के मामले सामने आ रहे हैं, जिससे पता चलता है कि संसद में अपराधी
मौजूद हैं। सवाल यह है कि वह वहां तक पहुंचे कैसे? यानी हमारी चुनाव
प्रणाली में ही दोष है। इसे सुधारना होगा।
कार्यक्रम में मीनाक्षी लेखी, अनिल हेगड़े, बाबा निरंजन नाथ, अरविंद
त्रिवेद्वी, रोशन लाल अग्रवाल, रमाकांत पांडेय, गिरिराज गुप्ता, राकेश
दुबे आदि ने भी विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिया। वहीं गांधीवादी
विचारक बालकृष्ण निलोसे को शरद कुमार साधक पुरस्कार और समाजसेवी
विष्णु दत्त शर्मा को नानाजी देशमुख पुरस्कार से नवाजा गया। कार्यक्रम
में सर्वसम्मति से सुरेन्द्र बिष्ट को राष्ट्रीय
स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक की जिम्मेदारी दी गई।
भारतीय पक्ष
Share Your View via Facebook
top trend
-
क्या सचमुच कांग्रेस करवाती है मीडिया का मुँह बंद ?
-
राष्ट्रीय सुरक्षा और चीन की चुनौती: भावी खतरे का स्पष्ट संकेत
पिछले कुछ वर्षों में भारत की सीमाओं पर लगातार बढ़ते तनाव से उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियां उस खतरे का स्पष्ट संकेत हैं, जिसका..
-
चारित्र्यशील लोगों को संसद में भेजना पड़ेगा - अन्ना हजारे
टीम-अन्ना भंग करने के बाद, अन्ना हजारे का जनता के नाम प्रथम सन्देश !
जन लोकपाल, राईट टू रिजेक्ट, ग्रामसभा.. -
सरहद को प्रणाम, फोरम फॉर इंटीग्रेटेड नेशनल सिक्योरिटी की पहल
फरीदाबाद से जाने वाले दल का विवरण : आशीष गौड़, तुषार त्यागी, दिनेश शर्मा, प्रदीप सिंह, विपिन व..
-
राजीव गाँधी के स्विस बैंक खाते में जमा २५० करोड़ फ्रैंक के लिए याचिका दायर
०१ नवम्बर २०११ | सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर २० वर्ष पुरानी रिपोर्ट के आधार पर दावा किया है कि स्वि..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)