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बोफोर्स मसले में सोनिया गाँधी का नाम क्यों नहीं लिया जा रहा हैं?

अंग्रेजी साप्ताहिक समाचार पत्र आग्रेनाइज़र ने बोफोर्स घोटाले में
सोनिया गाँधी का नाम न लिए जाने पर चिंता जताई है। समाचार पत्र के
अनुसार, इतालवी ओत्तावियो क्वात्रोची को गाँधी परिवार से परिचय कराया
था। ऐसे में प्रश्न है कि आखिर सोनिया गाँधी को इस पूरे मामले से अलग
करके क्यों देखा जा रहा हैं?
आग्रेनाइज़र समाचार पत्र को संघ का मुखपत्र माना जाता हैं।
आग्रेनाइज़र इस ताजी टिप्पणी ने राजनीतिक गलियारे में सनसनी फैला दी
है। समाचार पत्र का कहना है कि बोफोर्स दलाली मामले में एक के बाद एक
हर सरकार को ज्ञात था कि दोषी कौन है लेकिन इसके पश्चात सबने इस बात
को नज़रअंदाज़ करना बेहतर समझा।समाचार पत्र ने आरोप लगाया कि इस मामले
में भारत की राजनीतिक जमात आपस में मजबूत बंधन में एकजुट है।
‘आग्रेनाइज़र’ के ताज़ा अंक के संपादकीय में इस टिप्पणी को प्रकाशित
किया गया है। संपादकीय में कहा गया है कि जिस बोफोर्स मसले पर इतालवी
ओत्तावियो क्वात्रोची का नाम आ रहा है उसका गांधी परिवार से परिचय
कराने वाली सोनिया गांधी का कोई नाम क्यों नहीं ले रहा है। बोफोर्स
दलाली मामले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम की चर्चा हो
रही है, अरूण नेहरू का नाम घसीटा गया लेकिन सोनिया का नाम नहीं लिया
गया।
विदित हो कि बोफोर्स दलाली मामले की घटना के बाद छह साल यानी 1998 से
2004 तक भाजपा नीत राजग सरकार के सत्ता में रहने को देखते हुए अखबार
की इस टिप्पणी को दिलचस्प माना जा रहा है। समाचार पत्र की इस टिप्पणी
ने जहां भाजपा को चौंका दिया है वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी
को कटघरे में घसीटा है। संपादकीय में यह भी कहा गया है कि बोफोर्स
घोटाले के बाद सीबीआई के 16 निदेशक हुए। लेकिन उनमें से किसी ने एक
बार भी इस केस के बारे में कभी कुछ नहीं कहा।’ इसमें कहा गया है कि इस
घोटाले के उजागर होने के बाद देश ने कई गैर कांग्रेस सरकारें देखीं,
लेकिन कोई मामले को अंजाम तक नहीं ले गई।
स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्राम के हवाले से संपादकीय
में कहा गया है, ‘कई राजनीतिक स्वीडन गए और मामले की जानकारी मांगी
तथा वायदा किया कि सत्ता में आने पर वे जांच में मदद करेंगे लेकिन बाद
में उन्होंने अपने वायदे पूरे नहीं किए।’
अखबार ने इस बारे में खेद व्यक्त किया है कि फिलिपींस और बांग्लादेश
जैसे छोटे देशों ने सत्ता का दुरूपयोग करने वाले इरशाद और मार्केस
जैसे अपने शासकों को दंडित किया लेकिन भारत में राजनीतिकों के विरूद्ध
मामलों को उनके अंजाम तक नहीं पंहुचाया गया। उसने कहा है, ‘इस मामले
में हमारे राजनीतिकों की पूरी जमात मजबूत बंधन में बंधी है।’
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