नई दिल्ली।। अगर आपसे पूछा जाए कि देश में किस हस्ती के नाम पर सबसे ज्यादा केंद्रीय योजनाएं चलाई जा रही हैं, तो आपका जवाब ..
चीनी राजदूत की हिमाकत, भारतीय पत्रकार को कहा बकवास बंद करो

नई दिल्ली स्थित चीनी राजदूत चांग यान ने बड़ी हिमाकत कर दी। दिल्ली की एक पांच सितारा होटल में उसने एक भारतीय पत्रकार को कह दिया, ‘शट अप’। इसका हिंदी में सीधा-सादा अर्थ होगा, ‘बकवास बंद करो।’ कौनसी बकवास?
जिसे चीनी राजदूत ने बकवास कह दिया, वह बड़े सभ्य शब्दों में पूछा गया प्रश्न था। भारतीय पत्रकार ने पूछा था कि उस मौके पर वितरित पुस्तिका में भारत के कई हिस्सों को चीन और पाकिस्तान के अंदर क्यों दिखाया गया है? इस साधारण-से सवाल का जवाब भी बहुत संतुलित और संतोष जनक ढंग से दिया जा सकता था, क्योंकि पिछले दिनों ही चीनी सरकार ने अपने इस रवैए में परिवर्तन के संकेत दिए हैं। चीनी सरकार ने कश्मीर और अरूणाचल के भारतीय नागरिकों को नियमित ढंग से वीज़ा देना भी शुरू कर दिया है और वह भारत-चीन सीमांत के नक्षे भी ठीक करवा रही है।
यदि चीनी सरकार की नीति इससे उलट होती या अभी भी चीनी सरकार इसी पुरानी नीति को भी गुप-चुप चला रही हो तो भी किसी राजदूत का कर्तव्य क्या है? वह कूटनीति, मृदुभाषा और छद्म का मूर्तिमंत रूप होता है। वह अपनी कड़वी से कड़वी बात चाशनी में लपेटकर कहना जानता है। इस कसौटी पर चांग यान खरे नहीं उतरे हैं। यह तो अच्छा हुआ कि डांट सुननेवाला पत्रकार काफी धैर्यवान था, वरना चीनी राजदूत के साथ ऐसी घटना भी हो सकती थी कि दोनों देशों के संबंध बिगड़ सकते थे।
यह ठीक है, वह गलत नक्षा किसी गैर-सरकारी चीनी कंपनी की पुस्तिका
में छपा था लेकिन उस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तो सिंक्यांग प्रांत के
राज्यपाल नूर बक्री थे। चीन में आज भी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं
में कितना फर्क होता है? इसके अलावा चीनी राजदूत का रवैया चीन की
वर्तमान संस्कृति का भी दर्पण है। वहां पत्रकारों या खबरपालिका की
कितनी इज्जत है, इसका पता भी इस घटना से मिलता है। चीनी राजदूत ने
किसी पत्रकार के साथ जो हिमाकत की, वह भारतीय प्रधानमंत्री भी नहीं कर
सकता। यह मामला ज्यादा नहीं बिगड़ा, यह गनीमत है लेकिन विदेश मंत्रालय
द्वारा इसकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। और हमारे पत्रकार-संगठन चुप
क्यों हैं?
वैद प्रताप वैदिक (लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं)
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