अन्ना हजारे की कोर कमेटी से पी.वी. राजगोपाल एवं राजेन्द्र सिंह से पृथक होने की इच्छा जाहिर की है, गौरतलब है की अन्ना की टी..
दैनिक समाचार पत्र डीएनए में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जांच एजेंसियों को इस बात के पुष्ट प्रमाण मिले हैं की अनेक भारतीयों ने स्विस बैंकों में जमा अपने काले धन को सरकार की आदतन अथवा जान बूझ कर की जा रही देरी का लाभ उठाते हुए वहाँ से निकाल कर अन्य देशों के बैंकों में जमा करवा दिया है जिनके साथ भारत की ऐसी संधि नहीं है कि उन पर कोई संकट आ सके |
जांच एजेंसियों को कुछ ऐसे स्विस बैंकों के खाते, जिन्हें वे विगत कई वर्षों ने ट्रेस कर रही थी, उनसे हुए अनेक विनिमय का पता चला है | आयकर विभाग और आर्थिक आसूचना एकक (फाइनेंसियल इंटेलिजेंस ब्यूरो) को इसकी सूचना दे दी गयी है | उसके एक अधिकारी ने पत्र को बताया कि धन का ये स्थानांतरण मकाउ, आइसल ऑफ़ मैन, न्यू जर्सी द्वीप, केमन द्वीप और सेशेल्स में किये गए हैं - ये सभी करचोरी कर के कालेधन रखने की कुख्यात जगहें हैं |
यद्यपि सरकार को इसकी सूचना दे दी गयी है परन्तु अधिकारी अधिक कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं |
Share Your View via Facebook
top trend
-
टीम अन्ना के दो मुख्य सदस्यों ने जाहिर की कोर कमेटी से अलग होने की इच्छा
-
भारतीय संस्कृति का प्रतीक 'नमस्कार' एवं इसके आध्यात्मिक लाभ
१.नमस्कार के लाभ
२. मंदिर में प्रवेश करते समय सीढियों को नमस्कार कैसे करें ?
३. देवता को नमन करने की योग्य.. -
कश्मीर पर प्रशांत भूषण की भाषा बोलीं मेधा पाटकर
टीम अन्ना के एक और सहयोगी मेधा पाटकर ने अलगाववादियों के सुर में सुर मिलाकर गांधीवादी नेता अन्ना हजारे के लिए मुश्किलें खड़..
-
अंग्रेजी कोई बड़ी भाषा नहीं है, केवल १४ देशों में चलती है जो गुलाम रहे हैं : भारत का सांस्कृतिक पतन
-
अश्लील साहित्य छाप व बेच कर पैसा बना रहा है चर्च
बात ऐसी है कि ईसामसीह सुन लें, तो रो पड़ें | जर्मनी के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है वेटबिल्ड | यह कम्पनी शत प्रतिशत जर..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)