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19 पाकिस्तानी हिंदू परिवारों का वीजा खत्म, आश्रय का संकट

नई दिल्ली पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए 19 हिंदू परिवारों के 114 सदस्य एक महीने से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इन सभी की वीजा अवधि शनिवार को समाप्त हो गई। ऐसे में इनके समक्ष दिल्ली ही नहीं भारत में रहने को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। बगैर वीजा के यहां रहना अवैध प्रवास है तो पाकिस्तान में आतंकवाद से जिस तरह त्रस्त होकर 35 दिन के वीजा पर भारत आए, अब किसी भी सूरत में वहां वापिस नहीं जाना चाहते।
दिल्ली में मजनू का टीला स्थित एक आश्रम इनका ठिकाना बना हुआ है। मदद के लिए कई लोगों ने हाथ उठाए हैं तभी किसी तरह गुजर बसर हो रहा है। इन सभी का नेतृत्व कर रहे गंगाराम और अर्जुन बताते हैं कि दिल्ली में धार्मिक समारोह में शिरकत करने के नाम पर उन्हें 35 दिन का वीजा मिला था। यह 8 अक्टूबर को खत्म हो गया। पाकिस्तान के सिंध प्रांत जहां से सभी 19 परिवारों के सदस्य आए हैं वहां के हालात को देख वापस नहीं लौटना चाहते। इस कारण गत 21 सितंबर से भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें हमेशा के लिए भारत में प्रवास की अनुमति दे दें। मगर अभी तक बात नहीं बनी है। फिलहाल वीजा की अवधि बढ़ाने और फिर भारत में पुनर्वास के लिए सरकार विचार करे इस बाबत 5 अक्टूबर को प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक संपर्क साध पूरी जानकारी दे दी। 8 अक्टूबर को वीजा खत्म हो रहा था तो एक बार फिर टेलीग्राम से प्रधानमंत्री कार्यालय को सूचित किया।
बावजूद अभी तक कोई सकारात्मक संदेश नहीं आया है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत स्थित हाला, मटियारी, हैदराबाद शहर से पहले सभी लोग चार सितंबर को बाघा बॉर्डर के रास्ते अमृतसर पहुंचे थे और फिर दिल्ली। मगर क्या यह शहर उन्हें आश्रय देगा अभी इसको लेकर वह लड़ाई लड़ रहे हैं। पाकिस्तान से आए इस जत्थे में एक साल की बच्ची से लेकर बुजुर्ग महिला व पुरुष हैं। इनमें से कई लोगों को गंभीर बीमारी है। मगर अभी आश्रय को लेकर संघर्ष कर रहे हैं तो बीमारी से लड़ने की फुर्सत कहां।
कन्हैया लाल (16) कैंसर से तो धीरा नाम की महिला हेपेटाइटिस सी बीमारी से पीडि़त हैं। मगर शहर से अंजान इन सभी के परिवार वालों को पता ही नहीं कि इलाज कहां कराएं। अपने और अपने बच्चों का बेहतर भविष्य बनाने की उम्मीद लेकर सिंध प्रांत से आए इन लोगों की दुनिया फिलहाल मजनूं टीला स्थित डेरा बाबा धुनी दास आश्रम ही है। जहां सभी महिलाएं मिलजुल कर खाना बनाती हैं तो सभी सैकड़ों लोग खाना खाते हैं। आश्रम के संचालक बसंत रामधारी बताते हैं कि आसपास के जिन लोगों को पाकिस्तान से आए इन सबके बारे में जानकारी मिली, वे मदद कर रहे हैं।
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