उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को देश के दक्षिणी भाग के चारों ओर राम सेतु की बजाय धनुष्कोडी के जरिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाने क..
दूरसंचार फैसलों से जुड़ीं कई अहम और संवेदनशील नीतिगत फैसलों की फाइलें लापता
अंशुमान तिवारी, नई दिल्ली 2जी घोटाले की बहुआयामी जांच में एक
अप्रत्याशित मोड़ आ गया है। दूरसंचार क्षेत्र में पिछले डेढ़ दशक के
दौरान हुए कई अहम और संवेदनशील नीतिगत फैसलों की फाइलें लापता हैं।
दूरसंचार घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति को दूरसंचार
विभाग ने लिखित में यह बताया है कि करीब एक दर्जन जरूरी फैसलों और
कार्यवाही से जुड़ी फाइलें नदारद हैं। इनमें 1999 में कंपनियों की
लाइसेंस फीस माफ करने, अटार्नी जनरल की राय, टीआरएआइ की सिफारिशें,
सेवाओं की दरें तय करने और अदालती विवादों से जुड़े कागजात शामिल हैं।
कंपनी मामलों का विभाग भी संसदीय समिति को बता चुका है कि प्रमुख
दूरसंचार कंपनियों के इक्विटी ढांचे में फेरबदल के पिछले रिकार्ड
उपलब्ध नहीं हैं।
जागरण के पास उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने संसदीय
समिति को अपने उत्तरों में फाइलों के नदारद होने की जानकारी दी है।
संसदीय समिति और विभाग के बीच 23 सितंबर के ताजे संवाद में तमाम ऐसी
फाइलों का संदर्भ दर्ज है, जो गायब हैं। सरकार में संवेदनशील
दस्तावेजों का इस तरह नदारद होना अनदेखा और अनसुना है। लापता
दस्तावेजों की पड़ताल से पिछले एक दशक में हुए कई बडे़ फैसलों को लेकर
महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आ सकते हैं। संसदीय समिति इन फाइलों का
इंतजार मई से कर रही है।
सरकार ने 1999 में दूरसंचार कंपनियों की लाइसेंस फीस माफ कर दी थी और
कंपनियों को राजस्व भागीदारी की प्रणाली के तहत लाया गया था। जिसके
तहत कंपनियां अपनी कमाई में एक हिस्सा लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को
दे रही हैं। इस फैसले पर तत्कालीन अटार्नी जनरल की राय काफी चर्चित
रही थी, इससे जुड़ी फाइलें लापता दर्ज हुई हैं। राजस्व भागीदारी को
अपनाने के तर्क, प्रक्रिया और इस पर मंत्रियों व अधिकारियों की राय को
बताने वाले दस्तावेज भी गायब हैं। संसदीय समिति ने जानना चाहा था कि
आखिर मोबाइल कंपनियों के लाइसेंस की अवधि दस साल और बेसिक फोन
कंपनियों के लाइसेंस की अवधि 15 साल क्यों रखी गई। दूरसंचार विभाग के
पास इस फैसले से जुड़ी फाइलें भी उपलब्ध नहीं हैं।
इसी क्रम में टाटा को तमिलनाडु के सर्किल के लाइसेंस की फाइल भी गायब
बताई गई है। दूरसंचार विभाग के पास टीआरएआइ की विभिन्न स्वीकृत और
अस्वीकृत सिफारिशों का तारीखवार ब्योरा देने वाले दस्तावेज भी नहीं
हैं। इसी तरह चार महानगरों में मोबाइल सेवा की शुरुआती दरों के
निर्धारण और कई जरूरी अदालती विवादों के कागजात भी नहीं मिल रहे हैं।
हैरत की बात है कि दूरसंचार विभाग के पास 1994 से आज तक फोन कनेक्शन
की मांग और आपूर्ति का ब्योरा भी उपलब्ध नहीं हैं।
Share Your View via Facebook
top trend
-
राम सेतु पर डा. स्वामी की याचिका : वैकल्पिक नौवहन मार्ग पर शीर्ष न्यायालय ने मांगी रिपोर्ट
-
एक दशक बाद हुआ संघशक्ति का संगम
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गुरुवार को भव्य पथ संचलन ने 10 वर्ष पहले के ‘राष्ट्र शक्ति संगम’ को साकार किया। चौग..
-
इंडिया अगेंस्ट करप्शन पर किरण बेदी की दावेदारी
नई दिल्ली जन लोकपाल बिल पर आंदोलन के लिए अरविंद केजरीवाल की पहल पर बनाए गए अनौपचारिक संगठन इंडिया अगेंस्ट करप्शन (..
-
मॉडल्स, रैम्प, शराब और सारे जहां से अच्छा
मंगलवार की रात और दिल्ली का प्रगति मैदान। खादी में लिपटी बला की खूबसूरत, सेक्सी मॉडल्स रैम्प पर कैटवॉक कर रही थीं। बैकग्रा..
-
भारत ने मिसाइल रक्षा कवच विकसित किया, अमेरिका, रूस और इजरायल के समूह में शामिल
नई दिल्ली। भारत ने मिसाइल रक्षा कवच [मिसाइल डिफेंस शील्ड] विकसित कर लिया है जिसे कम से कम दो शहरों को बचाने के लिए कम सम..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)