लेख का शीर्षक उन कट्टर हिन्दू राष्ट्रवादियों को नहीं भायेगा जो दिन में एक बार अमेरिका को गाली दिए बिना रह नहीं पाते हैं।..
पाक ने की मुंबई हमला मामले का मुकदमा खारिज करने की मांग

पाकिस्तान ने अमरीकी न्यायालय से २६ नवम्बर के मुंबई हमले से संबंधित मुकदमे को खारिज करने के लिए कहा है।
विदेश राज्यमंत्री ई अहमद ने आज राज्यसभा को बताया कि २००८ के मुंबई हमले में मारे गए अमरीकी नागरिकों के प्रतिनिधियों ने इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) लेफ्टिनेंट जनरल शुजा पाशा, ईएसआई महानिदेशक एवं अन्य आईएसआई कर्मचारियों लश्कर-ए-तयबा (एलईटी) और हाफिज मोहम्मद सईद समेत एलईटी के अनय नेताओं के विरूद्ध न्यूयार्क के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सिविल ला मुकदमा दायर किया है।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान सरकार ने ‘विदेशी प्रभुसत्ता प्रतिरक्षा’ के सिद्धांतों के तहत अपने कर्मचारियों और एजेंसियों के लिए अधिकार क्षेत्र एवं प्रतिरक्षा के आधार पर इस मुकदमें को खारिज करने की मांग की है।
अहमद ने सुशीला तिरिया के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि यह मुकदमा अभी भी न्यूयार्क के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में लंबित पड़ा है। सरकार का मानना है कि २००८ के मुंबई आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार सभी व्यक्तियों को शीघ्र सजा दिलाई जानी चाहिए।
अहमद ने पुरूषोत्तम खोडाभाई रूपाला के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि अमरीका ने मुंबई में २००८ के आतंकवादी हमले के अपराधियों को शीघ्र सजा दिलाने के लिए लगातार आहवान किया है।
उन्होने बताया कि अमरीका ने शिकागो अदालत में पाकिस्तान मूल के छह व्यक्तियों पर मुंबई आतंकवादी हमले में भूमिका के लिए दोषी ठहराया है। सातवें व्यक्ति अमरीकी मूल के तहव्वुर राणा को लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने के लिए जून २००९ में शिकागो अदालत में दोषी ठहराया गया है।
उन्होंने श्री गोपाल व्यास के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने १८ से २१ जुलाई २०११ तक भारत की अपनी यात्रा के दौरान पाकिस्तान का उल्लेख अल कायदा और उसके सहयोगी संगठनों के विरूद्ध अमरीकी अभियानों के संदर्भ में महत्वपूर्ण मित्र देश के रूप में किया। विदेश मंत्री ने सभी प्रकार के हिंसक उग्रवाद का सामना करने की भी पाकिस्तान से मांग की।
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