आज 27 फरवरी है, आज ही के दिन (27 फरवरी 1931) चंद्र शेखर आजाद ने वह निर्णय लिया जिसने उन्हें अमर कर दिया| आज के दिन..
सड़क से संसद तक बीजेपी अन्ना के साथ आई : अन्ना आन्दोलन

बीजेपी ने अपने अंतर्विरोधों को दरकिनार करते हुए अन्ना हजारे के जन लोकपाल विधेयक को संसद के बाहर और भीतर समर्थन का ऐलान किया है। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अन्ना को पत्र लिखकर संसद से सड़क तक उनके आंदोलन का समर्थन किया है। उन्होंने जनलोकपाल बिल को आधार बनाकर संसद में चर्चा कराने की भी मांग की।
उधर, देर रात बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणी समेत दूसरे सीनियर नेताओं और टीम अन्ना के मेंबर्स की मीटिंग के बाद दोनों पक्षों ने इसे पॉजिटिव बताया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अन्ना के सहयोगी केजरीवाल ने कहा, 'बीजेपी हमारे बिल के ज्यादातर मुद्दों पर सहमत है। अब हम सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।'
सरकार और टीम अन्ना के बीच चल रहे टकराव के बीच अपनी भूमिका साफ न करने के लिए बीजेपी पार्टी के भीतर व बाहर हो रही आलोचनाओं से उबर आई है। गडकरी ने सरकार से अन्ना को लिखित आश्वासन देने व इस मामले में संसद को प्रक्रियाओं में न बांधने की भी मांग की ताकि अन्ना का अनशन जल्द से जल्द खत्म हो सके।
गडकरी का पत्र लेकर महासचिव जेपी नड्डा व विनय सहस्त्रबुद्धे अन्ना से मिले और जन लोकपाल विधेयक पर उनका समर्थन किया। इसके बाद गडकरी ने खुद इस मुद्दे पर पार्टी का रुख स्पष्ट किया। इसके बाद पार्टी में हलचल भी हुई और शाम को सर्वदलीय बैठक में पार्टी ने सरकारी लोकपाल को खारिज करते हुए अन्ना के जन लोकपाल विधेयक को दृष्टि में रखते हुए संसद में नया विधेयक लाने की मांग भी की।
सूत्रों के अनुसार, देर रात टीम अन्ना के साथ हुई चर्चा में बीजेपी नेताओं ने साफ किया कि वे प्रधानमंत्री को इसके दायरे में लाने पर सहमत हैं, साथ ही पार्टी न्यायपालिका के लिए अलग से न्यायिक आयोग के पक्ष में भी है। सासंदों के सदन से बाहर के आचरण को इसके दायरे में लाने व लोकपाल चयन समिति में सरकार के बाहर का बहुमत रखने के भी हक में है।
पार्टी लोकपाल को हटाने के मामले में भी पार्टी सरकार को अधिकार देने के बजाए महाभियोग की प्रक्रिया अपनाने के पक्ष में है। बीजेपी शुक्रवार को सदन में होने वाली बहस में अपने इन मुद्दों को पूरी ताकत से रखेगी।
Share Your View via Facebook
top trend
-
आजाद क्या आज भी प्रासंगिक हैं ?
-
बढ़ रहे हैं हिन्दुओं पर अत्याचार : मानवाधिकार रिपोर्ट
सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का आधार मानने वाले हिंदुओं की स्थिति इन दिनों काफी दयनीय होती जा रही है। खासकर..
-
दंगों का दोषी हूं तो फांसी दोः, किसी खास समुदाय के लिए नहीं है उपवास : मोदी
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहा है कि यदि २००२ में गुजरात में हुए दंगों में वो दोषी पाए जाते..
-
धनवंतरी वैद्यकीय सहायता केन्द्र, भैन्सा
आज भी भारत में ऐसे कई स्थान और बस्तियॉं है जहॉं डॉक्टर नहीं है, और कहीं है भी तो वहॉं का खर्चा उन क्षेत्रों के गरीब लोगों ..
-
आकाश को और सस्ता करने की तैयारी
नई दिल्ली सूचना संचार तकनीक के जरिए विद्यार्थियों की पढ़ाई को नई दिशा देने के लिए सबसे सस्ते टैबलेट आकाश से सरकार को बहुत ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)