खुद को सेकुलर साबित करने के लिए धार्मिक अनुष्ठानों से दूर रहने की वामपंथियों की परंपरा को तोड़ते हुए तृणमूल कांग्रेस के मं..

पश्चिमी सभ्यता का अन्धानुकरण करने के युग में हम अपनी संस्कृति,
सभ्यता एवं मनोबल को इतना अधिक गिरा चुके हैं की उन्हें उठने में और
हमारा विश्वास जीतने में न जाने कितने युग बीत जायें कहा नहीं जा सकता
... हमारी वर्तमान संस्कृति में अधकचरापन आ गया है “ न पूरी ताकत से
विदेशी हो पाए , न पूरी ताकत से भारतीय हो पाए, हम बीच के हो गए,
खिचड़ी हो गए !! “ इसी कड़ी में जन्मदिवस को मनाये जाने पर हम एक चर्चा
करने निकलें हैं आइये कुछ बातों पर ध्यान दें |
१. आज हम जन्मदिन दिनांक अनुसार मनाते हैं तिथि के अनुसार नहीं, तिथि
नुसार जन्मदिन मनाने से उस दिन हमारे सभी सूक्ष्म देह के द्वार
आशीर्वाद हेतु खुल जाते हैं |
२. आज हम अन्धानुकरण करते हुए अर्धरात्रि को शुभकामनायें देते हैं जो
वास्तविक रूप में अशुभ की घड़ी होती है, किसी भी शुभकार्य को
अर्धरात्रि में न कर उसे टालना चाहिए | वैदिक संस्कृति के अनुसार दिवस
का आरम्भ सूर्योदय से होता है अतः शुभकामनायें सूर्योदय उपरांत ही
देनी चाहिए |
३. आज हम जन्मदिवस पर मोमबत्ती जलाते हैं, मोमबत्ती 'तम' प्रधान
है वहीँ 'दीप' राज-सत्त्व प्रधान होता है अतः जन्मदिन जैसे शुभ
दिवस पर हम मोमबत्ती जलाकर तमो गुण का प्रभाव अपने अन्दर बढ़ाते हैं
जबकि जन्मदिन पर हमें आरती उतारनी चाहिए |
४. आज हम मोमबत्ती को जलाकर बुझाते हैं, ज्योत को मुख से फूंकना या
उसे बुझाना दोनों ही अशुभ है | इससे हमारे जीवन के अनिष्ट शक्ति के
कष्ट बढ़ते हैं और तेज तत्त्व जो हमें तेजस्वी बनाता है उसके स्थान पर
हम तमोगुणी बनाने का प्रयास करते है |
५. किसी चीज को काटना एक विध्वंशक कृति है परन्तु हम केक काटते हैं और
अन्नपूर्ण मां की अवकृपा उस शुभ दिवस में प्राप्त करते हैं जबकि हमें
इस दिन दरिद्र, अनाथ या संत जन को अन्नदान करना चाहिए जिससे हम पर
अन्नपूर्ण माँ की कृपा बनी रहे और घर पर खीर, हलवा जैसा भोग कुलदेवी
को चढ़ाकर ग्रहण करना चाहिए और बांटना चाहिए |
६. हम एक दूसरे को प्रेम का दिखावा करते हुए एक दूसरे को झूठन खिलाते
हैं वस्तुतः झूठन कभी नहीं ग्रहण करना चाहिए इससे जिस व्यक्ति को
अनिष्ट शक्ति का कष्ट होता है वह हमसे सहज ही संक्रमित हो जाता है (आज
समाज में ३०% साधारण व्यक्ति को और ५०% अच्छे साधक को अनिष्ट शक्ति का
कष्ट है ) |
७. उस दिन हम सहर्ष उपहार स्वीकार करते हैं इससे आध्यात्मिक दृष्टि से
हमारा लेन-देन बढ़ता है और हम जन्म मृत्यु के चक्र में और जकड जाते
हैं |
८. हम होटल में जाकर तमोगुणी भोजन ग्रहण करते हैं |
साभार सुश्री तनुजा ठाकुर
Share Your View via Facebook
top trend
-
वामपंथियों की नीति छोड़ दुर्गापूजा में उमड़े तृणमूल के मंत्री, 35 वर्षों की परंपरा तोड़ी
-
उत्तराखंड के बाद अब बिहार, भ्रस्टाचार विरोधी कानून के लिए भाजपा सक्रिय
उत्तराखंड के बाद अब बिहार, टीम अन्ना की माने तो नीतीश सरकार के इस कदम से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई अब नए दौर में पहुंच गई ..
-
टीम अन्ना के फेसबुक पर हमला तक़रीबन १२ घंटे से बंद !
इंडिया अगेंस्ट करप्शन के फेसबुक पेज को बंद हुए लगभग १२ घंटे से अधिक हो चुके हैं समस्त सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इसकी चर्चा..
-
इंटरनेट का नाम बदनाम न करो : इन्टरनेट उपभोक्ता केवल कांग्रेस विरोधी क्यूँ हैं ?
इंटरनेट का नाम बदनाम न करो यही कोई आठ-दस साल पहले जब बड़े पैमाने पर सरकार ने डिजिटल तकनीक के उपयोग के लिए अरबों की खरीदा..
-
प्रशांत भूषण जैसा होगा अरविंद केजरीवाल का हाल!
Oct 16, 2011 at 04:02pm IST || हिसार || हिसार से कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश सिंह ने कहा है कि जिस तरह से प्रशांत भूषण की ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)