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उग्रवादी संगठन उल्फा का दावा : उल्फा में थे असम की कांग्रेस सरकार के मंत्री

प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा ने एक बड़ा दावा करते हुए कहा है
कि असम की कांग्रेस सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सर्मा
उल्फा के सदस्य थे और कुछ वर्ष पहले उल्फा छोड़ कर गए आज कांग्रेस
सरकार में मंत्री हैं | हालांकि मंत्री महोदय ने आरोप को सिरे से नकार
दिया है और पूछा है कि यदि ऐसा था तो उल्फा ने पहले क्यों नहीं कहा |
उन्होंने उल्फा के कर्ताधर्ता परेश बरुआ पर मानसिक संतुलन खो देने का
आरोप लगाया | उन्होंने कहा कि जब एक बटन दबाने से देश तबाह हो जाते
हैं, ऐसे में उल्फा रिक्शा के नीचे या रेलवे ट्रैक पर बम लगाने की
छोटी मोटी घटनाएँ करके अपनी शक्ति दिखाता है |
उधर उल्फा के प्रचार सचिव अरुणोदय दोहोटिया ने कहा कि हिमंत का
"भीरूपन, वाचालता और अज्ञान" ही उनके उल्फा छोड़ने के कारण थे |
अरुणोदय ने ईमेल से भेजे गए वक्तव्य में यह भी कहा कि हिमंत ने दिल्ली
का आधिपत्य स्वीकार कर लिया, उन्हें ममता बनर्जी से ही सीखना चाहिए था
जो "भारत की साम्राज्यवादी शक्तियों" के साथ होकर भी अपनी ही चलाती
हैं |
ज्ञातव्य है कि उल्फा का यह दावा प्रथम दृष्टया निराधार नहीं लगता |
इसके सच होने की पूरी संभावना है | मंत्री जी के विरुद्ध आतंकवाद
निरोधक अधिनियम टाडा के अंतर्गत १९९१ से दो मामले दर्ज हैं | मामले
उल्फा के नाम पर धन वसूली करने के हैं | यद्यपि सत्ता शक्ति के प्रभाव
से उस मामले की फाइलें "खो गयी थी" और गुवाहाटी उच्च न्यायालय को
अगस्त २००९ में सरकार को उस मामले की जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश का
आदेश देना पड़ा था | जुलाई २०१० में मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा था
कि वे मामले की फाइल खो जाने की 'सीआईडी जाँच' करवाएंगे जब
आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई ने उन फाईलों के मिल जाने की बात कही थी
|
अखिल गोगोई द्वारा १०००० करोड़ के एन सी हिल्स घोटाले उजागर किये जाने
पर हिमंत ने पूछा था कि "भ्रष्टाचार कौन नहीं करता?", इस आशय का
समाचार भी 'टाईम्स ऑफ़ असम' ने अपने ६ अप्रैल के अंक में "रीजन्स वाय
हिमंत बिस्वा शुड नॉट बी इलेक्टेड टु असेम्बली" शीर्षक के अंतर्गत
प्रकाशित किया था | अखिल गोगोई ने जब हिमंत के भ्रष्टाचार के मामलों
को प्रमाण सहित उजागर किया था, तब गोगोई पर १ करोड़ का मानहानि का
अभियोग लगा दिया गया था | वह समाचार कांग्रेसी मंत्री के और भी
कृत्यों पर प्रकाश डालता है, और उल्फा के इस नवीनतम रहस्योद्घाटन के
बाद ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि कांग्रेस सरकार हिमंत को मंत्री
बनाये रखती है अथवा उनसे त्यागपत्र लेकर मामले को शांत करवाती है
|
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