हाल के वर्षों में, खास कर भूमंडलीकरण के बाद भारत में जिस पेशे को सबसे ज्यादा गिरावट के लिए याद किया जाएगा वह है पत्रकारिता..
विश्व बाजार में तेल के दाम ७ महीने के न्यूनतम स्तर पर लुढके, भारत में पेट्रोल ७.५४ रू/ली
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम लुढ़क कर पिछले सात
महीनों के न्यूनतम स्तर पर आ गए हैं। यूरोप की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था
एवं कच्चे तेल के अधिक मात्र में उत्पादन तथा ईरान से आने वाले
सकारात्मक संकेतों के कारण ये गिरावट देखने को मिली है। इसी बीच
अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के शासन वाले भारत में
पेट्रोल के दामों में ११-१२% (11-12%) की अचानक बढ़ोतरी कर दी गयी है।
पेट्रोल के दाम ७.५४ (7.54) रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए गए हैं। अब
मंत्री समूह की बैठक के बाद डीज़ल आदि के दामों की भी समीक्षा की
जाएगी। अब मुंबई में पेट्रोल ७८.५७ (78.57) रू/ ली. बिकेगा। २००४
(2004) में पेट्रोल की कीमत लगभग ३५ (35) रू/ली हुआ करती थी।
उधर रुपये की कीमत भी डॉलर की तुलना में ५५ (55) रुपये के आस पास घूम
रही है। गत एक वर्ष में ही रूपया २० (20) प्रतिशत कीमत खो चुका है।
चूंकि डॉलर वैश्विक अर्थव्यवस्था का मात्रक है, इसका अर्थ ये है कि
दुनिया के बाजारों में आपके हमारे रुपये की कीमत २० (20) फीसदी एक साल
में ही गिर चुकी है -- यानी बैठे बिठाए भारत की जनता साल भर में ही
बीस फीसदी गरीब हो चुकी है।
चूंकि कल ही यूपीए के तीन साल पूरे होने के जश्न में आयोजित भोज में
२२ सांसदों वाले मुलायम सिंह (जो कहने को यूपीए का भाग भी नहीं हैं)
सोनिया गाँधी के बगल में बैठ कर खाना खा रहे थे, इसलिए १९ (19)
सांसदों वाली ममता बनर्जी इस बार सरकार गिराने की धमकी भी नहीं दे सकी
हैं। उन्होंने इस पर दुःख प्रकट किया है कि सरकार ने दाम बढ़ाने दिए।
भाजपा ने दाम बढाने को आम आदमी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया है और
उसकी कटु निंदा की है।
Share Your View via Facebook
top trend
-
छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता : तुम रहम नहीं खाते बस्तियां जलाने में!
-
सांसों से बिजली पैदा करने की हो रही तैयारी
सूरज की किरणों से लेकर मलमूत्र और कचरा तक से विद्युत पैदा करने के बाद अब नाक से बिजली बनाने की बारी है। सुनने में यह भले ह..
-
राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, भंवरी प्रकरण, मूर्ति व पार्क निर्माण, बोफोर्स कांड : राजनैतिक शून्य और विकल्पहीनता
अंततः जैसा अपेक्षित था, आगामी माह मे होने चुनावों के प्रपंच अपनी चरम सीमा पर पहुंचने लगे हैं, और इन सभी प्रपंचो का एक मा..
-
रियो की उपलब्धि शून्य : न पर्यावरण बचाने के ठोस उपाय, न साझा सहयोग का वायदा
ब्राजील की राजधानी रियो डि जेनेरो में 20 से 22 जून, 2012 को सम्पन्न हुए मौसमी बदलाव पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन की कुल..
-
बाबा रामदेव का गोवा में कैसीनो, अवैध खनन, रीयल एस्टेट एवं मादक पदार्थ माफिया के खिलाफ आंदोलन
भारत स्वाभिमान यात्रा के पहले चरण को समाप्त कर बाबा रामदेव पणजी, गोवा में सरकर के भ्रस्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं,..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)