नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जून में रामलीला मैदान पर बाबा रामदेव के योग शिविर के दौरान आधी रात को हुए पुल..

प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप के विषय में बहुत कुछ लिखा जा चुका
है, बहुत कुछ लिखा जा रहा है। हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य
साहित्यकारों ने, राजनेताओं ने तथा अनेकों विशिष्ट व्यक्तित्वों
ने प्रताप के लिये शाब्दिक श्रद्धा सुमन चुने हैं।
प्रख्यात गांधीवादी कवि श्री सोहनलाल द्विवेदी ने निम्न शब्दों में
प्रताप का ‘आह्वान' किया है--
लोचन प्रसाद पाण्डे ने अपनी लेखनी को यह लिखकर अमर दिया-
स्वातन्त्रय के प्रिय उपासक कर्म वीर।
श्री श्याम नारायण पाण्डे ने अपने काव्य हल्दीघाटी में इस वीर शिरोमणि का वर्णन निम्न ढंग से किया--
चढ़ चेतक पर तलवार उठा
बाबू जयशंकर प्रसाद ने अपने ऐतिहासिक काव्य ‘महाराणा का महत्व' में खानखाना के मुंह से कहलवाया--
सचमुच शहनशाह एक ही शत्रु वह
हरिकृष्ण प्रेमी ने अपनी श्रद्धा के सुमन निम्न शब्दों में अर्पित किये-
सारा भारत मौन हुआ जब
श्री सुरेश जोशी ने मानवता व प्रताप का वर्णन निम्न शब्दों में किया है।
राज तिलक सूं महाराणा पद पायो,
कन्हैयालाल सैठिया की प्रसिद्ध कविता पातल और पीथल में अपना संकल्प दोहराते हुए प्रताप कहते हैं-
‘हूं भूखमरूं, हूं प्यास मरूं,
प्रसिद्ध क्रांतिकारी श्री केसर सिंह बारहठ ने महाराणा श्री फतहसिंह को 1903 में एक पत्र लिखा, इस पत्र में उन्होंने महाराणा प्रताप के शौर्य, आनबान का वर्णन करते हुए महाराणा फतहसिंह को दिल्ली दरबार में जाने से मना किया था उसी पत्र की पंक्तियां प्रस्तुत हैं।
‘पग पग भाग्या पहाड़, धरा छौड़ राख्यों धरम।
आधुनिक खड़ी बोली में कई कवियों ने प्रताप को विषय बनाकर बहुत कुछ लिखा है। इन में प्रसाद, निराला, माखनलाल चतुर्वेदी, सुभद्रा कुमारी, मैथिलीशरण गुप्त, दिनकर, नवीन, रामावतार, राकेश, श्याम नारायण पाण्डेय, रामनरेश त्रिपाठी,हरिकृष्ण प्रेमी आदि मुख्य हैं।
हरिकृष्ण प्रेमी की ये पंक्तियां--
प्रताप के त्याग, बलिदान, स्वातन्त्र्य भावना की कामना कवियों ने की है। रामनरेश त्रिपाठी ने प्रताप के वंशजों से कहा है--
‘हे क्षत्रिय! है एक बूंद भी
महाराणा प्रताप के विषय में सैकड़ों कविताएं, सोरठे हिन्दी, ब्रज भाषा, डिंगल, पिंगल आदि में उनके समय से ही मिलती है, यह बात उनकी लोकप्रियता, वीरोचित भावना तथा त्याग व बलिदान की ओर इशारा करती है। प्रख्यात कवि पृथ्वीराज राठोड़ ने ठीक ही कहा-
माई एहड़ा पूत जण, जेहड़ा राणा प्रताप।
रचनाकार: यशवन्त कोठारी का आलेख : आधुनिक हिन्दी साहित्य में महाराणा प्रताप
Share Your View via Facebook
top trend
-
बाबा रामदेव प्रकरण : केंद्र सरकार एवं गृह मंत्रालय को चेताया, गुमराह किया तो चलेगा मुकदमा
-
विज्ञान केवल पुस्तक पढ़ने का नहीं प्रयोग का विषय है : प्रो. राव
रसायन शास्त्र के व्यापक स्वरूप का उल्लेख करते हुए प्रसिद्ध वैज्ञानिक सी एन आर राव ने आज कहा कि विज्ञान से जुड़े विषय केवल ..
-
छत्तीसगढ़ सरकार पर अन्ना का प्रभाव: समय पर काम नहीं तो होगी सजा
अन्ना आंदोलन से उभरी मांगें पूरी करने के लिए राज्य सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, जात..
-
आखिर क्यूँ राहुल गांधी की रैली में एक व्यक्ति रिवोल्वर लेकर प्रवेश करता है
उत्तर प्रदेश में टीम अन्ना को टक्कर देने के लिए शुरू हुई कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की अमेठी यात्रा में ' बनारसी सोनी ' ..
-
अहमदाबाद पुलिस ने ३१ गायों को कटने से बचाया
डी.एन.ए के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार ओधव पुलिस, गुजरात ने गत बुधवार ओधव रिंग रोड पर अवैध रूप से काटे जाने के लिए ले ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)