गौ हत्या न सिर्फ एक कानूनी जुर्म है बल्कि अपनी माँ के साथ भी दुर्व्यवहार के समान है... पिछले एक महीने में देश के बहुत से श..
मीडिया देश को बाँट रहा है अब जनता को स्वयं सबक सिखाना चाहिए !

भारतीय प्रेस परिषद के नये अध्यक्ष जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने
भारतीय इलेक्ट्रानिक एवं प्रिण्ट मीडिया को सरेआम लताड़ते हुए एक
इंटरव्यू में कहा है कि -
1) भारत का मीडिया महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, बदतर स्वास्थ्य सुविधाओं
की खबरें दिखाने की बजाय क्रिकेट, फ़िल्में, ज्योतिष, जादूटोना और फ़ैशन
जैसी अनावश्यक बातें जानबूझकर दिखाता है…
2) मीडिया क्षेत्र में काम करने वालों में 80% से भी अधिक
पत्रकारों-कर्मचारियों को आर्थिक गतिविधियों, राजनीति शास्त्र,
साहित्य अथवा फ़िलॉसॉफ़ी इत्यादि के बारे में जरा भी ज्ञान नहीं है,
संभवतः उन्होंने कभी इसकी पढ़ाई भी नहीं की होगी।
3) भारत का मीडिया जानबूझकर देश के लोगों को तोड़ने का काम कर रहा
है...
4) भारत के मीडिया को "प्रशिक्षित" करने की भी जरुरत है, उसे भारत के
गरीबों और समस्याओं पर फ़ोकस करना चाहिए, न कि लेडी गागा के नाच और
करीना के रोमांस पर…
5) मीडिया कर्मियों एवं मालिकों को "डण्डे" का डर अवश्य होना ही
चाहिए, इसकी व्यवस्था कैसी हो इस पर बहस की जा सकती है...
6) मीडिया को भी सूचना के अधिकार एवं लोकपाल के तहत लाया जाना चाहिए,
तथा झूठी खबरें परोसने पर इन्हें भी जुर्माना एवं सजा जैसे प्रावधानों
का सामना करना पड़े…
जस्टिस काटजू ने मीडियाई भाण्डों को जो "आईना" दिखाया है, उससे मैं
पूरी तरह सहमत हूँ। मीडिया द्वारा फ़ैलाई जा रही "फ़फ़ूंद" का उचित इलाज
बहुत पहले किया जाना चाहिए था, फ़िर भी "जब जागे तभी सवेरा" की तर्ज़ पर
मीडिया के पिछवाड़े पर "छड़ी" जमाने के प्रावधान जल्दी से जल्दी किए ही
जाने चाहिए। नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज भी जस्टिस काटजू के इस
प्रस्ताव से "सैद्धांतिक" रूप से सहमत हैं।
(अ) यदि "बिग बॉस" या "राखी का स्वयंवर" जैसे छिछोरे शो प्रतिबंधित हो
भी जाएं, तो भारत की जनता पर कोई आफ़त नहीं आने वाली…
(ब) यदि शाहरुख, सलमान या आमिर के कूल्हे मटकाऊ दृश्य अथवा ऐश्वर्या
की "ऐतिहासिक गोद भराई" न भी देखें तो हमारा पाचन तंत्र बिगड़ने वाला
नहीं है…
अब मीडिया को उसकी औकात और जिम्मेदारी दोनों ही दिखाने का समय आ चुका
है। आप क्या कहते हैं?
यह विचार लेखक के व्यक्तिगत है, लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार है —
सुरेश चिपलूनकर
Share Your View via Facebook
top trend
-
गत माह गौ-हत्याओं में आई तेज़ी पर गौ-रक्षा दल सक्रिय, समस्त भारतवर्ष में गौ-रक्षा अभियान जोरों पर
-
कर्नाटक विधानसभा अश्लीलता कांड में अब पत्रकारों को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है
कर्नाटक विधानसभा के अश्लीलता कांड ने अब एक नया मोड़ लिया है| इसके पहले कि उन तीनों मंत्रियों से पूछताछ होती, जो कि अश्ली..
-
अन्ना ने फिर किया अनशन का एलान, पाकिस्तान न जाएं अन्ना शिव सेना की सलाह
समाजसेवी अन्ना हजारे ने एक बार फिर अनशन पर जाने का एलान किया है। इस बार उनके निशाने पर महाराष्ट्र सरकार है। दिल्ली में जन ..
-
राहुल बदलवाएंगे गरीबी रेखा का आधार? 32 रुपए की इस सीमा पर एतराज जताया
नई दिल्ली ।। शहरों में 32 रुपए रोज और गांवों में 26 रुपए रोज खर्च करने वालों को गरीबी रेखा से ऊपर बताने वाले योजना आयोग के..
-
मेट्रो में अनाउंस हुईं सहेलियों की बातें, गुड़गांव-राजीव चौक मेट्रो
अमित मिश्रा।। नई दिल्ली || ' अगला स्टेशन ..... है, दरवाजों से हटकर खड़े हों' जैसी आवाजें मेट्रो के पैसेंजरों के लिए आ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)