आज महंगाई के समय में सामान्य लोगों को भी, अत्याधिक शुल्क के कारण आधुनिक आरोग्य सुविधाओं का लाभ लेना असंभव सा हुआ है| इस स्..
दुनिया का सबसे महंगा पेट्रोल भारत में ! 98 देशों से ज्यादा महंगा है भारत में पेट्रोल
पेट्रोल कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी से जो परेशान हैं मगर यह समझ रहे हैं कि दुनिया भर में दाम बढ़ने के चलते ही भारत में भी दाम बढ़े हैं, उनके लिए एक बड़ी खबर है। खबर यह है कि दुनिया के दूसरे तमाम देशों के नागरिकों के मुकाबले हिंदुस्तानियों को सबसे ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं पेट्रोल पर। मौजूदा एक्सचेंज रेट पर आधारित तमाम देशों में रिटेल पेट्रोल कीमतों के आंकड़े बताते हैं कि भारत सबसे महंगे पेट्रोल वाले देशों में है। अगर विभिन्न देशों के परचेजिंग पावर के अंतर को ध्यान में रखते हुए विचार करें तो भारत में पेट्रोल की दर सबसे महंगी है (सुदूर के एकाध छोटे-छोटे देश ही इसका अपवाद हैं)।
पेट्रोल कीमतों का भारतीय मुद्रा में बदलते हुए एक सामान्य तुलना भी की जाए तो भारती में पेट्रोल की दर 98 देशों से महंगी बैठती है। इस सामान्य तुलना में ओपेक (तेल निर्यातक देशों का संगठन) के देशों में तो तेल सस्ता है ही (जैसे वेनेजुएला में 1.14 रु प्रति लीटर और ईरान में 4.8 रु प्रति लीटर) अमेरिका और इंडोनेशिया (जहां पेट्रोल पर टैक्स कम है) जैसे देशों में भी पेट्रोल काफी सस्ता है। उदाहरण के लिए अमेरिका में यह 42.82 रुपए प्रति लीटर पड़ता है।
मगर. इस लिहाज से यूरोपीय समुदाय के देश भारत से आगे हैं जहां पेट्रोल काफी महंगा दिखता है। फिर भी, इस तुलना को सही नहीं कहा जा सकता। वजह यह है कि परचेजिंग पावर के लिहाज से भारत इन देशों के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता। अगर इस फर्क को ध्यान में रखते हुए (यानी पीपीपी मेथड से) तुलना की जाए तो काफी हद तक सही स्थिति सामने आ जाती है। और यह सही स्थिति चौंकाने वाली है।
इस मेथड से भारत में पेट्रोल की रिटेल कीमत (डॉलर में) 3.95 डॉलर प्रति लीटर बैठती है, जबकि चीन में 1.95 डॉलर, ब्रिटेन में 1.85 डॉलर, ब्राजील 1.7 डॉलर, जापान में 1.28 डॉलर, रूस में 1.26 डॉलर, अमेरिका में 0.76 डॉलर, सऊदी अरब में 0.23 डॉलर और वेनेजुएला में 0.03 डॉलर बैठती है। साफ है कि भारत में पेट्रोल अमेरिका के मुकाबले पांच गुना, चीन और ब्रिटेन के मुकाबले दोगुना तथा जापान और रूस के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा है।
इस स्टोरी पर अपनी राय दें।
Share Your View via Facebook
top trend
-
डॉ. पटवर्धन स्मृति रुग्णालय, पनवेल
-
जनलोकपाल की राह में अब भी रोड़े, मुगालते में न रहे टीम अन्ना - मणिशंकर अय्यर
अन्ना हजारे ने 13वें दिन अपना अनशन तोड़ दिया है लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की राह इतनी आसान नहीं है। लोकपाल को लेकर अ..
-
बेईमानी, अनीति और छल-कपट, क्या यही हमारे युग का सत्य है? — गुरचरण दास
क्या सिर्फ बेईमानी, अनीति और छल-कपट के सहारे ही कामयाबी हासिल की जा सकती है? क्या यही हमारे युग का सत्य है? सुप्रसिद्ध लेख..
-
लोकपाल: समिति से हटे मनीष तिवारी, अब लालू-अमर की बारी?
अन्ना हजारे को बुरा-भला कहकर बाद में माफी मांगने वाले कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने लोकपाल बिल पर विचार करने ..
-
चिदंबरम चाहते तो नहीं होता 2G घोटाला, आवंटन के दौरान इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में रुकावट डाली
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गृहमंत्री पी. चिदंबरम बुरी तरह घिरते दिख रहे हैं। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की ओर से 25 मार्च 2..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)