नैसर्गिक आपदाएँ प्रस्थापित समाज जीवन को तहस-नहस कर देती है| लेकिन मनुष्य कुछ ही समय में समाज व्यवस्था पुन: कायम कर लेता है..
रामदेव पर पुलिस कार्रवाई किसके इशारे पर? आखिर काले धन को वापिस लाने की मुहीम के कौन खिलाफ है ?

रामलीला मैदान में हुई पुलिस की कार्रवाई के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एमिकस क्युरी (कोर्ट सलाहकार) ने कहा कि इस पूरे मामले में पुलिस की कार्रवाई किसके इशारे पर की गई यह जानना जरूरी है। 4 जून को रात के 11 बजे केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने एक लेटर दिखाया उसके बाद रात साढ़े 11 बजे धरना की इजाजत को रद्द किया गया और फिर धारा-144 लगाई गई और देर रात पुलिस की कार्रवाई की गई।
इन तमाम पहलुओं पर गौर करने की जरूरत है। इस दौरान बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की ओर से अदालत को बताया गया कि उनके पास सीडी है जिसमें पुलिस की दमनात्मक कार्रवाई दिखती है। अदालत ने ट्रस्ट के वकील से कहा है कि वह 3 दिनों के भीतर अदालत के रेकॉर्ड पर पेश करें और साथ ही पुलिस से कहा है कि वह इस मामले में जो भी हलफनामा देना है वह तीन हफ्ते में पेश करें। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की है।
मामले की सुनवाई के दौरान एमिकस क्युरी ने अदालत को बताया कि उन्होंने इस मामले से संबंधित सीडी आदि देखी हैं। इसके बाद जो तथ्य सामने आ रहे हैं उससे यह पता चलता है कि आखिर पुलिस ने यह कार्रवाई किसके ऑर्डर से की। क्या पुलिस कमिश्नर ने कार्रवाई का ऑर्डर किया या फिर किसी अन्य हायर अथॉरिटी ने यह आदेश दिया। एमिकस क्युरी राजीव धवन ने कहा कि 4 जून को स्वामी रामदेव से 4 मंत्री मिले थे। उसके बाद केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने एक लेटर सार्वजनिक किया और फिर साढ़े 11 बजे धरने की परमिशन कैंसल कर धारा-144 लगाई गई। रात 12 बजकर 55 मिनट पर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी। पुलिस 12 बजकर 51 मिनट पर बाबा रामदेव को गिरफ्तार करने पहुंची। ऐसी रिपोर्ट है कि 12 बजकर 33 मिनट पर कमला मार्केट थाने की पुलिस ने लोगों को पीटना शुरू कर दिया। पुलिस अपने मैसेज में यह कहती दिखी कि सीआरपीएफ आदेश का पालन नहीं कर रही है। धवन ने दलील दी कि 'राइट टू स्पीच' मूल अधिकार है और इसके साथ ही धरने के लिए एक जगह इकट्ठा होना भी इसी अधिकार के दायरे में है। यह सही है कि पुलिस की ड्यूटी है कि लॉ एंड ऑर्डर को बहाल रखे और पुलिस को यह बताना होता है कि खतरे की आशंका के मद्देनजर कार्रवाई की गई। लेकिन खतरे की आशंका क्या थी यह जानना जरूरी है। पुलिस किसके इशारे पर काम कर रही है। हम जानते हैं कि 4 जून को मंत्री के साथ समानांतर स्तर पर बातचीत चल रही थी। बावजूद इसके पुलिस ने सुनियोजित तरीके से एक्शन लिया। पुलिस ने इंटेलिजेंस रिपोर्ट का हवाला देकर रात 11 बजकर 30 मिनट पर धारा-144 लगाई और यह बताया कि सुबह काफी ज्यादा भीड़ हो जाएगी। एमिकस ने अदालत से कहा कि उनका सुझाव है कि इस मामले के आकलन के लिए जिला जज को कहा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 30 सितंबर को सुनवाई करेगा। इस मामले में यह देखा जाएगा कि धारा-144 किन परिस्थितियों में लगी। रात को किन परिस्थितियों में पुलिस ने यह कार्रवाई की।
रामलीला मैदान में 4 जून को पुलिस कार्रवाई को लेकर छपी रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस , केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने पुलिस से एक हफ्ते के भीतर इस बात की सफाई देने के लिए कहा था कि किस परिस्थिति के तहत उन्हें रामदेव का यह कार्यक्रम रोकना पड़ा था।
अदालत ने इस बात पर भी सवाल उठाए हैं कि किन हालात में पुलिस ने टेंट से घिरी , उस जगह से लोगों को बाहर निकालने के लिए आंसू गैस के गोलों और पानी की धार का इस्तेमाल किया।
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