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गूगल तस्वीरों ने खोला गोवा खनन घोटाला, 3500 करोड़ रुपये के अवैध खनन
गोवा में पिछले वित्त वर्ष के दौरान हुए 3500 करोड़ रुपये के अवैध खनन घोटाले की जांच कर रही मनोहर पार्रिकर के नेतृत्व वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) ने कांग्रेस नेता दिनार तारकार के अनियमितताओं में शामिल होने की ओर इशारा किया है। पीएसी ने माना कि उपग्रह चित्रण प्रौद्योगिकी से कांग्रेसी नेता के किए गए अवैध खनन का पता लगाने में मदद मिली। पीएसी ने राज्य में अवैध खनन की जांच के दौरान गूगल अर्थ सेटेलाइट इमेजरी का भी इस्तेमाल किया। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि पीएसी के तथ्य उपग्रहों से ली गई गूगल तस्वीरों पर आधारित हैं। रिपोर्ट में अवैध खनन के मामले में केवल दो नेताओं तारकर और राकांपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव देशप्रभु का नाम लिया गया है।
तारकर की खान ग्रामीण राज्य के तेमेबोचेओ दोंगोर में है और पावर ऑफ अटार्नी के जरिये इसका संचालन किया जा रहा है। जांच में पता लगा है कि लाखों टन लौह अयस्क निकाले गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, साल 2003 की गूगल तस्वीरों से स्पष्ट है कि इस इलाके में सब कुछ प्राकृतिक था और इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता कि वहां जो कई टन लौह अयस्क जमा है वह पहले से ही वहां जमा किया जा रहा था। खान एवं भू विज्ञान विभाग द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के अनुसार खनन लीज के अनुसार तारकर को सिर्फ 30 लाख मीट्रिक टन अयस्क निकालने की अनुमति थी। तारकर विधानसभा का पिछला चुनाव पणजी सीट से लड़े थे लेकिन पार्रिकर से पराजित हो गए थे।
तालाब निर्माण की आड़ में लौह अयस्क का खनन पीएसी का कहना है कि एक पानी के तालाब के निर्माण की आड़ में लौह अयस्क का अवैध खनन किया गया। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, सर्वे में सतारी के एमबेली गांव नंबर 7/1 में एक तालाब निर्माण की आड़ में अवैध खनन की बात सामने आई है। समिति ने पाया कि नेताओं और पुलिस विभाग के अधिकारियों के संलिप्तता की वजह से संबंधित विभाग के अधिकारियों में काम करने के प्रति अनिच्छा अपने चरम पर पहुंच चुकी है। पीएसी ने पुलिस पर आरोप लगाया कि शिकायत की जांच करने के लिए वह अनिच्छा पैदा कर रही है।
पीएसी की नजर में वन विभाग भी दोषी पीएसी राज्य में हुए खनन घोटाले के लिए सिर्फ खनन विभाग को ही दोषी नहीं मानती बल्कि उसने इसके लिए वन विभाग को भी जिम्मेदार माना है और अपनी रिपोर्ट में वन विभाग के अधिकारियों को ही वन व वन्यजीवों के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है। समिति ने कहा है कि वन्यजीवों व वनों के संरक्षकों की जांच होनी चाहिए क्योंकि वे वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) व वन्यजीव अधिनियम को जानने के बाद भी उसके नियमों की अनदेखी और उनका उल्लंघन करते हैं।
पीएसी ने आरोप लगाया है कि वन विभाग के अधिकारी अवैध खनन से वन्यजीवों व वनों को पहुंचने वाले नुकसान की ओर से आंखें मूंदे रहते हैं। पार्रिकर ने अवैध खनन व गैरकानूनी अयस्क ढुलाई पर तुरंत रोक लगाए जाने की अनुशंसा की है। रिपोर्ट में कहा गया है, इस मामले में भूल करने वाले वन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने और इस बात की जांच किए जाने की आवश्यकता है कि उनसे यह चूक कैसे हुई। रिपोर्ट में दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू किए जाने की बात कही गई है। यह रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी गई है।
विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार को समाप्त होने जा रहा है, ऐसे में इस बात को लेकर संशय है कि रिपोर्ट इस सत्र में सदन के पटल पर रखी जाएगी अथवा नहीं। अध्यक्ष प्रताप सिंह राणे ने कहा है कि उन्हें रिपोर्ट की समीक्षा के लिए समय चाहिए। गोवा ने पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 5.4 करोड़ टन लौह अयस्क निर्यात किया था। इसमें से करीब 70 लाख टन अयस्क का कथित तौर पर अवैध रूप से खनन हुआ था।
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