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अमित शाह मामले में सीबीआई को सर्वोच्च न्यायालय की फटकार, शिकायतों को कहा बकवास

सोहराबुद्दीन झूठी मुठभेड़ मामले के संबंध में गुजरात के पूर्व गृह
मंत्री अमित शाह के विरुद्ध बनाये गए मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने
सीबीआई को जमकर फटकार लगायी है | सीबीआई ने 200 अनाम पत्रों को अभियोग
का आधार बनाया था और अमित शाह की जबरन वसूली रैकेट में संलिप्तता के
बारे में शिकायतों के रूप में उसे न्यायालय में प्रस्तुत किया था |
न्यायमूर्ति आफताब आलम एवं रंजना प्रकाश की २ सदस्यीय बेंच ने इसे
पूरी तरह से अनुचित आक्षेप कहा | सीबीआई ने शिकायत की थी कि मोदी
सरकार ने अमित शाह के विरुद्ध इन पत्रों पर कार्यवाही नहीं की | इस पर
न्यायालय ने कहा कि इन पर कार्यवाही की भी नहीं जा सकती | ये शिकायतें
बकवास हैं |
न्यायालाय ने सीबीआई से इन सभी कमियों का उत्तर देने को भी कहा | यह
सब सीबीआई द्वारा शाह को झूठी मुठभेड़ के मामले में गुजरात उच्च
न्यायालय द्वारा दी गई जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका की
सुनवाई के दौरान हुआ | इससे पहले गुजरात उच्च न्यायालय ने भी कहा था
कि अमित शाह के खिलाफ कोई प्रथम दृष्टया साक्ष्य नहीं था |
सीबीआई ने शाह पर एक जबरन वसूली रैकेट है का कर्ता-धर्ता होने का आरोप
लगाया था | अमित शाह के वकील राम जेठमलानी ने कहा कि वहाँ केवल 3
शिकायतें थी जो शाह को संबोधित करती थी और बाकी अनाम पत्र थे जिनका भी
जबरन वसूली की शिकायतों के साथ कोई संबंध नहीं था |
जेठमलानी ने स्पष्ट कहा कि सीबीआई ने अमित शाह पर राजनैतिक दबाव में आ
कर ये आरोप लगाये जबकि उनके पास कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं था | सीबीआई
जिसके भी दबाव में थी, उसका उद्देश्य गुजरात की मोदी सरकार को अस्थिर
करना था | जेठमलानी ने कहा कि सोहराबुद्दीन की मुठभेड़ झूठी थी परन्तु
उसका अमित शाह और जबरन वसूली मामले से सम्बन्ध नहीं था और सीबीआई ने
उस मुठभेड़ में कांग्रेस शासित आंध्र प्रदेश पुलिस की भूमिका कि कोई
जांच जान-बूझ कर नहीं की | इस मामले की जांच देख रहे सीबीआई के अफसर
बलविंदर सिंह ने गुजरात पुलिस से आन्ध्र प्रदेश पुलिस के ५ पुलिस
कर्मियों के नाम भी छिपाए जो इस मुठभेड़ में शामिल थे | जेठमलानी ने
सीबीआई के इस कृत्य को आपराधिक कहा तथा कहा कि सीबीआई अपनी
विश्वसनीयता गँवा चुकी है |
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