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हर फ़िक्र को धुंए में उडाता चला गया : देव साहब को श्रधांजलि
बॉलीवुड आज-कल कठिन दौर से गुज़र रहा है। पिछले कुछ महीनों में देश
और बॉलिवुड ने ऐसे कई कलाकारों को खो दिया है जो अनमोल थे। नवाब पटौदी
से शुरू हुआ यह सिलसिला जगजीत सिंह, उस्ताद सुलतान खान, भूपेन हजारिका
से होते हुए आज सदाबहार देव आनंद तक आ पंहुचा है। आज हमने देव आनंद के
रूप में एक ऐसा वेटरन सितारा खो दिया है। जो भारतीय सिनेमा का आधार
स्तंभ था। अपनी शानदार अदाकारी से बेहतरीन फिल्मे देने वाले देव साहब,
हमेशा अपने अभिनय एवं जीवन शैली के लिए याद किये जायेंगे।
रोमांस को नयी पहचान देने वाले देव साहब ने कई शानदार रोमांटिक फिल्मे
दी, जो आज भी उसी शिद्दत के साथ याद की जाती है। उन फिल्मों में अवसर
(१९५०), शायर (१९४९), विदया (१९४८), सनम (१९५१) आदि है जो उनकी सफलतम
फिल्मों में से एक है। सबसे रोचक बात है की इन सभी फिल्मों में देव के
साहब के विपरीत सुरैय्या रही।
अभिनेत्री सुरैय्या के साथ कई फिल्मों में काम करने के कारण वो
भावनात्मक रूप से उनसे जुड़ाव महसूस करने लगे थे। फिल्म जीत के सेट पर
देव साहब ने सुरैय्या के सामने अपनी दिल की बात रखी लेकिन सुरैय्या के
परिवार (नानी) वाले इस रिश्ते से सहमत नहीं थे। धर्म की दीवार इन दो
कलाकारों के बीच दूरी की वजह बनी, इस घटना के बाद सुरैय्या ने
अविवाहित जीवन गुज़ारा।
उम्र अधिक होने के बाद भी फिल्मों से देव साहब का मोह कभी नहीं छूटा
और देव साहब देहांत से पहले अपनी सफल फिल्म हरे कृष्ण हरे रामा के
सिक्वल पर काम कर रहे थे। देव आनंद जी तीन भाई थे, अन्य भाई चेतन आनंद
और विजय आनंद हैं। उनकी बहन का नाम शील कांता कपूर है, जो प्रख्यात
फिल्म डायरेक्टर शेखर कपूर की मां हैं। उनके देहांत से पूरा देश और
बालीवुड शोक संतृप्त है।
मशहूर हास्य कलाकार आई. एस. जौहर के साथ मिलकर उन्होंने आपातकाल का
विरोध करने के लिए नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया का गठन किया और इंदिरा
गाँधी की तानशाही का प्रबल विरोध किया। पर आपातकाल समाप्त होते ही
उन्होंने उस पार्टी को विघटित कर दिया और अपनी उसी दुनिया में वापस
चले गए जिसके लिए वो बने थे।
आई.बी.टी.एल परिवार की ओर से दीव साहब से भावभीनी श्रधांजलि ...
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