पेरिस, एजेंसी : सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन नेचर जर्नल में छपे शोध के अनुसार दुनिया पर मौजूद समुद्र का ज्यादातर ..
हर हिंदुस्तानी तक इलाज के साधन मुहैया कराना आवश्यक, बाबा रामदेव की मदद ले सरकार : योजना आयोग
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार ने भले ही रामलीला
मैदान में बाबा रामदेव पर लाठियां चलवाई हों, लेकिन योजना आयोग चाहता
है कि अब सरकार उनकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाए। आयोग ने स्वास्थ्य
क्षेत्र में अगली पंचवर्षीय योजना के लिए बनाई रिपोर्ट में ऐसी कई
सिफारिशें की हैं। इसने एलोपैथी के डॉक्टरों को भी आयुर्वेद और योग के
नुस्खे पढ़ाने को बेहद जरूरी बताया है।
योजना आयोग की स्वास्थ्य संबंधी संचालन समिति ने 12वीं पंचवर्षीय
योजना के दौरान हर हिंदुस्तानी तक इलाज के साधनों को मुहैया करवाना
बेहद जरूरी बताया है। इसने पाया है कि सिर्फ एलोपैथी के दम पर यह काम
पूरा नहीं किया जा सकता। इस लिहाज से आयुर्वेद, योग, यूनानी और
होम्योपैथी जैसी इलाज की विधियों की अधिक से अधिक मदद ली जानी चाहिए।
अपनी सिफारिशों में इसने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में काम कर रहे
बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ जैसे गैर सरकारी संगठनों के काम को
बढ़ावा देने के लिए इनकी मदद करने को जरूरी बताया है।
सरकार के लिए बाबा रामदेव जैसे योग और आयुर्वेद के गुरुओं की मदद लेना
क्यों जरूरी है, यह पूछे जाने पर समिति के एक सदस्य कहते हैं, 'सरकार
खुद ही दवा बनाने की विधि तय करे, दवा बनाए, सभी तक पहुंचाए और उन पर
नजर भी रखे, यह मुमकिन नहीं। इसके लिए गैर सरकारी संगठनों को आगे
बढ़ाना ही होगा। वे यह भी कहते हैं कि राजनीतिक विरोध अपनी जगह पर है,
लेकिन ऐसे कुछ संगठनों और लोगों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता।
इसी तरह आयोग चाहता है कि एलोपैथी के डॉक्टर अब योग और आयुर्वेद से
नाक-भौं सिकोड़ना बंद कर खुद भी अपने मरीजों पर इन्हें आजमाएं। उसने
साफ तौर पर सिफारिश की है कि एलोपैथी चिकित्सा के एमबीबीएस पाठ्यक्रम
में योग और आयुर्वेद को भी शामिल किया जाए। इसके मुताबिक आयुर्वेद,
योग, यूनानी, होम्योपैथी और सिद्धा जैसी पद्धतियों को शामिल करते हुए
अनिवार्य स्वास्थ्य पैकेज और लोक स्वास्थ्य के आदर्श माड्यूल तैयार
किए जाएं और उन्हें इन पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए।
प्रतिष्ठित प्राइवेट अस्पतालों का हवाला देते हुए इसने कहा है कि एम्स
जैसे अस्पतालों में भी आयुर्वेद और योग जैसी पद्धतियों के विशेषज्ञों
को जरूर शामिल किया जाना चाहिए। इलाज के साथ ही गंभीर बीमारियों के
मामले में उसके बाद की देख-भाल के लिए भी इसे जरूरी बताया है।
इस समय देश में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के 7.87 लाख रजिस्टर्ड
डॉक्टर हैं। देश भर में ऐसे 3277 अस्पताल, 24289 दवाखाने, 489 कालेज
और 8644 दवा निर्माण इकाइयां चल रही हैं।
साभार [मुकेश केजरीवाल] दैनिक जागरण
Share Your View via Facebook
top trend
-
आसमान से धरती पर आया समंदर, धूमकेतु अपने साथ हजारों टन बर्फ लेकर आया
-
कोलकाता उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय: बकरीद पर खुलेआम गौ-हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध
कोलकाता उच्च न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक निर्णय से देश के करोड़ों हिन्दुओं की दशकों से लहुलुहान होती आ रही भावनाओं पर मरहम का..
-
चौतरफा महंगाई की मार, महंगे पेट्रोल के लिए फिर हो जाइए तैयार?
चौतरफा महंगाई की मार झेल रही आम जनता को जल्द ही जोर का झटका लग सकता है। तेल कंपनियां एक बार फिर पेट्रोल की कीमतों में बढ़ो..
-
अब राम नवमी उत्सव मनाने एवं मंदिर में घंटी बजाने पर रोक की माँग
हैदराबाद में मजलिस पार्टी के विधायक दल के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने शहर में राम नवमी के अवसर पर निकलने वाली शोभा यात्रा क..
-
सांसदों-मंत्रियों को घेरने का आइडिया आमिर का था : जनलोकपाल
नेता भले ही अन्ना हजारे के समर्थकों द्वारा सांसदों और मंत्रियों के घरों के घेराव से चिढ़ रहे हों लेकिन जनता को ये सब काफी ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)