बौद्ध चीन तो मर चुका है, इस चीन में साम्यवाद कि आत्मा है

Published: Wednesday, Nov 16,2011, 14:22 IST
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डॉ. भीमराव अम्बेडकर, श्री गुरूजी, स्वामी विवेकानन्द, महर्षि अरविंद, चीन, IBTL

चीन भारतीय सीमा पर सैन्य दवाब बनाने के साथ-साथ वहाँ पर बार-बार सीमा का अतिक्रमण करते हुए सैन्य व असैन्य सम्पदा की तोड़ फोड़ एवं सीमा क्षेत्र में नागरिकों को लगातार आतंकित कर रहा है | भारत की सुनियोजित सैन्य घेराबंदी करने के उद्देश्य से हमारे पड़ोसी देशों में चीन की सैन्य उपस्थिति, वहाँ उसके सैनिक अड्डों का विकास व उनके साथ रणनीतिक साझेदारी को भी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है |

" हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि बौद्ध चीन पिछले कुछ सालों से मर चुका है, रूस ने उसके शरीर में साम्यवाद कि आत्मा दाल दी है " — श्री गुरूजी

" यदि भारत ने तिब्बत को मान्यता प्रदान कि होती, जैसा कि उसने १९४९ में चीन को प्रदान की थी तो आज भारत-चीन सीमा विवाद न हो कर तिब्बत-चीन सीमा विवाद होता " — डॉ. भीमराव अम्बेडकर  

" चीन सोया हुआ राक्षस है, उसे सोया ही रहने दो, यदि वह उठ खड़ा हुआ तो सारी दुनिया के लिए खतरा पैदा हो जायेगा " — स्वामी विवेकानन्द

" चीन दक्षिण पश्चिम एशिया और तिब्बत पर छाकर उसे निगलने का संकट पैदा कर सकता है, साथ ही भारतीय सीमाओं पर कब्ज़ा जमा लेने का प्रयास तक करेगा " — महर्षि अरविंद

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