
नई दिल्ली सूचना संचार तकनीक के जरिए विद्यार्थियों की पढ़ाई को नई दिशा देने के लिए सबसे सस्ते टैबलेट आकाश से सरकार को बहुत उम्मीदें हैं। लिहाजा उसकी मौजूदा 1125 रुपये की कीमत को और कम करने के उपायों पर दिमाग लगाना शुरू कर दिया गया है। इंतजार है तो बस शुरुआत में परीक्षण के तौर पर सभी राज्यों में भेजे गए टैबलेट का उपयोग करने वालों की फीडबैक का। सूत्रों के मुताबिक आकाश को लोगों के बीच उतारने के बाद उस पर मिली प्रतिक्रियाओं से मानव संसाधन विकास मंत्रालय उत्साहित है।
मंत्रालय के राष्ट्रीय सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी शिक्षा मिशन (एनएमइ-आइसीटी) के तहत आइआइटी-राजस्थान की साझेदारी से तैयार इस टैबलेट के आने के बाद कंप्यूटर व लैपटॉप बनाने वाली दूसरी कंपनियां भी इस ओर निहार रही हैं। सरकार भी उन्हें सबसे सस्ता टैबलेट बनाने का मौका देने को तैयार है, लेकिन इसके पहले वह राज्यों में बतौर परीक्षण भेजे गए आकाश के बारे में सकारात्मक या नकारात्मक रिपोर्ट को जान लेना चाहती है। मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है, आकाश को बनाने वाली कंपनी की एक टैबलेट पर महज 1750 रुपये की लागत आई है। इस लागत ने आकाश के अधिकतम मूल्य की एक सीमा तय ही कर दी है, जिसे ऊपर नहीं, बल्कि अब नीचे ही आना है। आकाश को बनाने वाली कंपनी परिवहन एवं अन्य खर्चो को जोड़कर उसे सरकार को 2250 रुपये में दे रही है। वह भी तब, जब उसे सिर्फ एक लाख यूनिट बनाने के आर्डर दिए गए हैं।
आगे सरकार को दस लाख और उसके बाद उससे भी कई गुना अधिक टैबलेट की खरीद करनी है। जाहिर है जब ज्यादा बड़े आर्डर होंगे तो मूल्य में और कमी आएगी।। गौरतलब है कि सरकार पहले ही कह चुकी है कि वह इसकी कीमत 500 रुपये (दस डॉलर) तक लाने का इरादा रखती है।
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