श्रृंगार का प्रतीक सोना सदैव भारत वर्ष की पहचान रहा है। ज्ञातव्य है की इसे भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान दिया गया है। अब..

दिल्ली वालों को राशन कार्ड, बर्थ व डेथ सर्टिफिकेट, राजस्व विभाग से जुड़े सर्टिफिकेट अब तय समय पर मिलेंगे। दिल्ली सरकार इस मामले में एक कानून लागू करने जा रही है, जिसके बाद संबंधित विभागों को तयशुदा समय पर यह काम करना होगा। ऐसा न किए जाने पर अधिकारी पर जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है। सीएम शीला दीक्षित का कहना है कि 15 सितंबर से इस कानून को कड़ाई से लागू किया जा रहा है। सरकार इस सिस्टम को पूरी तरह ऑनलाइन करने की कवायद में जुटी है।
दिल्ली सरकार ने 28 मार्च को दिल्ली नागरिक विधेयक-2011 ( Right to Citizen to Time Bound Delivery of Services Act-2011 ) नोटिफाइड किया था। इस विधेयक से जुड़े सारे नियम बना लिए गए हैं।
अभी तक क्या हैं प्रावधान
वैसे तो सरकार के विभिन्न विभागों ने कोई सर्टिफिकेट, लाइसेंस आदि देने के लिए समयसीमा तय कर रखी हैं। यह नियम सरकार के अलावा नई दिल्ली नगर पालिका, दिल्ली नगर निगम में भी लागू है। लेकिन इनका लाभ लोगों को इसलिए नहीं मिल पा रहा, क्योंकि इस काम को करने वाले अधिकारी के खिलाफ कोई ऐक्शन का प्रावधान नहीं है। नए कानून के बन जाने से संबद्ध विभाग के अधिकारी को तय सीमा में काम करना होगा। वरना उस पर जुर्माना तो होगा ही, साथ ही उसका प्रमोशन आदि भी प्रभावित हो सकती है।
क्या कहता है नया कानून
नए कानून के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को रेवेन्यू विभाग आदि से कोई सर्टिफिकेट लेना है, तो वह उसके लिए आवेदन करेगा। अगर उसे तय समय के भीतर यह सर्टिफिकेट आदि नहीं मिल पाया, तो संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी के पास जाकर इसकी शिकायत करेगा। शिकायत सही पाए जाने पर उस विभाग के सर्टिफिकेट बनाने वाले अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने से बचने के लिए अधिकारी तय समय में सर्टिफिकेट बनाने की कोशिश करेगा। अगर सर्टिफिकेट बनाने में कोई तकनीकी पेच हैं, तो सक्षम अधिकारी उसकी जांच करेगा। लेकिन सब कुछ सही पाए जाने के बाद सर्टिफिकेट नहीं बना, तो संबद्ध अधिकारी की यह अक्षमता उसकी एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) में भी दर्ज करा दी जाएगी, जिससे उसका प्रमोशन और इन्क्रिमेंट प्रभावित होगा। विभाग का कहना है कि इस प्रकार का कानून मध्यप्रदेश में लागू है, लेकिन वहां यह सिस्टम ऑनलाइन नहीं है।
कितने दिनों में क्या मिलेगा
रेवेन्यू विभाग से जुड़े सर्टिफिकेट : 21 दिन
राशन कार्ड : 45 दिन
जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र : 7 दिन
लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस : उसी दिन
ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल : एक दिन
जाति प्रमाणपत्र : 21 दिन
जुर्माना
10 रुपये रोजाना के हिसाब से अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाएगा
200 रुपये अधिकतम यह एक ऐप्लीकेशन पर होगा।
शिकायत सही पाए जाने पर अधिकारी की एसीआर में रिपोर्ट दर्ज हो सकती है, जिसके बाद उसके प्रमोशन और इंक्रीमेंट पर असर पड़ सकता है।
ऑनलाइन सिस्टम
कोई भी व्यक्ति अपने काम का स्टेटस अब ऑनलाइन भी जान सकेगा। इसके लिए
उसे दिल्ली सरकार की वेबसाइट delhigovt.nic.in पर जाना होगा, वहां New
Delhi Govt Portal का पेज क्लिक करे, जहां से e-SLA लिंक में जाकर
संबंधित विभाग को सिलेक्ट कर ऐप्लिकेशन नंबर डालना होगा, जिससे पता चल
जाएगा उसने जो सर्टिफिकेट मांगा है, उसका स्टेटस क्या है।
शिकायत भी ऑनलाइन की जा सकेगी और बाद में सर्टिफिकेट भी ऑनलाइन लिया जा सकेगा। विभाग के एक आला अधिकारी के अनुसार अगर जरूरत होगी तो इस सिस्टम को लगातार अपग्रेड किया जाएगा।
Share Your View via Facebook
top trend
-
भारतीय घरों में ५० लाख करोड़ का सोना : भारतीय संस्कृति का प्रभाव एवं मजबूत भारत
-
देसी रियासतों को भारत में मिलाने वाले लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को नमन
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम आन्दोलन में अपनी युवावस्था में मातृभूमि की सेवा में अपने को अर्पित क..
-
रानी दुर्गावती अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावास
अविकसित क्षेत्रों में अधिकतर शिक्षा सुविधाओं का अभाव रहता है| इस असुविधा का सर्वाधिक विपरित परिणाम लड़कियों पर होता है| पिछ..
-
भारत के लिए शरियत का आह्वान करती वेबसाइट, ३ मार्च को इस्लामिक क्रांति की घोषणा
भारत में शरियत लगाने का आह्वान करती एक वेबसाइट इन्टरनेट पर अस्तित्व में आई है | www.shariah4hind.com ना..
-
नायक के अनिल कपूर की तरह काम करेंगे मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा
फिल्म नायक में मुख्यमंत्री की भूमिका निभाने वाले अनिल कपूर पर्दे पर जिस तरह जनता से सीधे रूबरू होकर उनकी समस्याओं का समा..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)