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भारत ने मिसाइल रक्षा कवच विकसित किया, अमेरिका, रूस और इजरायल के समूह में शामिल

नई दिल्ली। भारत ने मिसाइल रक्षा कवच [मिसाइल डिफेंस शील्ड] विकसित
कर लिया है जिसे कम से कम दो शहरों को बचाने के लिए कम समय पर तैनात
किया जा सकता है। इसके साथ भारत यह कवच हासिल करने वाले कुछ खास देशों
के समूह में शामिल हो गया है।
डीआरडीओ द्वारा विकसित इस कवच का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है और
दो हजार किमी तक की मारक क्षमता वाली हमलावर बालिस्टिक मिसाइल को
ध्वस्त किया जा सकता है। यह प्रणाली वर्ष 2016 तक पांच हजार किमी की
मारक क्षमता तक विकसित करेगी।
डीआरडीओ के प्रमुख वीके सारस्वत ने कहा कि बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कवच
अब परिपक्व है। हम पहला चरण पेश करने के लिए तैयार हैं और इसे बहुत कम
समय में तैनात किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि योजना के पहले चरण के
तहत रक्षा कवच को देश में दो जगहों पर तैनात किया जा सकता है जहां
आधारभूत ढांचा उपलब्ध हो। हालांकि इन दो स्थलों की अभी पहचान नहीं हुई
है और इन स्थलों का चयन राजनीतिक स्तर पर होगा।
सारस्वत ने कहा कि हमने छह सफल प्रक्षेपण किए और दो हजार किमी के
लक्ष्य के लिए क्षमता का परीक्षण किया, हमने इसका दो स्तरों पर
परीक्षण किया जिसमें पृथ्वी के अंदर और पृथ्वी के बाहर का वातावरण
शामिल है। लंबी दूरी वाले रडार और ट्रैकिंग उपकरण, रियल टाइम डेटालिंक
और मिशन नियंत्रण प्रणाली सहित मिसाइल प्रणाली के लिए जरूरी सभी उपकरण
सफल रहे हैं।
परियोजना के दूसरे चरण के तहत, शीर्ष रक्षा शोध एजेंसी बालिस्टिक
मिसाइलेां से निबटने की इस प्रणाली को पाँच हजार किमी की मारक क्षमता
तक बढाएगी। यह चरण वर्ष 2016 तक तैयार होने की उम्मीद है। नवंबर 2006
में इस प्रणाली को लेकर पहला परीक्षण हुआ था और अब यह प्रणाली हासिल
करने के बाद भारत एंटी बालिस्टिक मिसाइल प्रणाली सफलतापूर्वक विकसित
करने वाले अमेरिका, रूस और इजरायल जैसे देशों के समूह में शामिल हो
गया है।
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