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साम्प्रदायिक हिंसा बिल के खिलाफ होगा बड़ा आंदोलन, कांची शंकराचार्य भी जुड़े

नई दिल्ली, 14 दिसंबर : सांप्रदायिक हिंसा बिल के खिलाफ देशव्यापी
आंदोलन होगा। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन
भागवत ने कहीं। श्री भागवत भारतीय संस्कृति सभा के तत्वावधान में यहां
ज्वालामुखी मंदिर में आयोजित दो दिवसीय ‘अखिल भारतीय शीर्ष संत
समागम’ को संबोधित कर रहे थे। समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित किये
गये डॊ. भागवत ने कहा कि विश्व में धर्म की एकमात्र शक्ति
भारत में बची है, जो अन्य मजहबों के लोगों को अपने मार्ग का रोड़ा
लगता है। उनकी मंशा पूरी हो सके इसके लिए वे भारत को तोड़ने में लगे
हुए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक देखने से स्पष्ट हो जाता है कि यह
अन्याय को न्याय बनाने वाला, प्रशासन को पंगु और पंचमहापातक को नियम
बनाने वाला विधेयक है। संघ प्रमुख ने कहा कि संत समाज के विरोध के
कारण वे विधेयक में कुछ परिवर्तन की बात करने लगे हैं किंतु यह ऐसा ही
है मानो ताड़का को पूतना के रूप में प्रस्तुत किया जाए।
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डा. स्वामी के शब्दों में समझने के लिए एवं बिल के विरुद्ध
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डॉ. भागवत ने उपस्थित संत समुदाय से अपील की कि इस विधेयक को खारिज
करवाने के लिए बड़ा शक्ति प्रदर्शन करना होगा जिसके लिए पूरी तैयारी
रखनी है। इसके लिए आवश्यक जनजागरण की विस्तृत योजना संत समाज तय करे
जिसमें संघ पूरी तरह सहभागी होगा।
अखिल भारतीय शीर्ष संत समागम ने एक स्वर से “साम्प्रदायिक एवं
लक्षित हिंसा विधेयक – 2011” का विरोध करते हुए राष्ट्रीय सलाहकार
परिषद (एनएसी) को तत्काल भंग किये जाने की मांग की।
समागम में पारित प्रस्ताव में विधेयक को देश को तोड़ने वाला,
असंवैधानिक, हिंदू एवं मुस्लिमों को बांटने वाला, देश के हिंदुओं को
गुनहगार मानकर विश्व में सहिष्णु हिंदू संस्कृति को बदनाम करने वाला,
दंगाई, जेहादी, व्यवहार को प्रोत्साहन एवं हिंसा करने के बाद संरक्षण
देने वाला, देश के प्रशासन के ऊपर इस कानून के द्वारा नई असंवैधानिक
व्यवस्था खड़ी करने वाला बताया गया।
कार्यक्रम के उपरांत संवाददाताओं से बातचीत करते हुए विश्व हिंदू
परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंहल ने कहा कि परिषद इस विधेयक
सहित देश में तुष्टीकरण के प्रत्येक प्रयास का कड़ा विरोध करेगी।
उन्होंने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में प्रधानमंत्री
से मिलने गये 25 कांग्रेसी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा 12वीं
पंचवर्षीय योजना में मुस्लिम समुदाय के लिए 15 प्रतिशत बजट आवंटन का
विशेष प्रावधान किये जाने को तुष्टीकरण की पराकाष्ठा करार दिया।
प्रस्ताव में कहा गया है, “इस विधेयक से देश के मंदिर, संत,
रामलीला, गणेशोत्सव तथा हिंदुओं के अन्य धार्मिक कार्यक्रम, हिंदुओं
की सामाजिक धार्मिक संस्थाएं, हिंदुओं के व्यापार, जेहादियों के दया
पर निर्भर हो जायेंगे। संतों की यह सभा देश के सभी संत, सभी
सामाजिक-धार्मिक बिरादरी की संस्थाओं का आह्वान करती है कि
इस विधेयक के खिलाफ देशव्यापी जनजागरण एवं आदोलन हो और दिल्ली में भी
प्रदर्शन की तैयारी हो।
कांची शंकराचार्य भी समारोह में मौजूद थे। समागम में
संतों ने संकल्प व्यक्त किया और कहा कि इस विधेयक को किसी भी कीमत पर
कानून का रूप नहीं लेने देंगे। इसके लिए देश की जनता किसी भी प्रकार
के बलिदान के लिए तैयार है। संतों के इस प्रस्ताव को राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद सहित देश के लगभग सभी सामाजिक,
सांस्कृतिक एवं धार्मिक संगठनों ने अपना खुला समर्थन व्यक्त किया।
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