स्वातंत्र्य वीर सावरकर जी ने मृत्यु से दो वर्ष पूर्व 'आत्महत्या या आत्मसमर्पण' शीर्षक से एक लेख लिखा था। इस विषय..
भ्रस्टाचार का विरोध करने पर उत्तर प्रदेश में डी.आई.जी. को पागल करार दिया
उत्तर प्रदेश अग्निशमन विभाग (फायर सर्विस) में तैनात डीआइजी देवेंद्र दत्त मिश्र को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर पागल करार दे दिया गया। अपने विभाग में करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगाते हुए उन्होंने कंट्रोल रूम के रजिस्टर में 'शासन एवं सभी कुछ अवैध है। इससे बड़ा घोटाला संभव ही नहीं है लिखकर सनसनी फैला दी।' डीआइजी के बागी तेवर का पता चलते ही पुलिस ने उनके ऑफिस को घेर लिया और देर रात उन्हें जबरन बाहर निकाल कर लखनऊ मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर भर्ती करा दिया। पुलिस प्रशासन ने डीआईजी को मानसिक रूप से बीमार करार दिया है तो उत्तर प्रदेश सरकार ने बयान जारी कर उनके कृत्य को सरकारी आचरण सेवा नियमावली का उल्लंघन करार दिया है।
उन्होंने कहा कि काफी वक्त से उन पर विभाग के सामानों की खरीद-फरोख्त के लिए दबाव बनाया जा रहा था। विभाग के कई दबंग और भ्रष्ट कर्मचारियों को बचाने का भी उनपर दबाव था। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ फाइलों पर उन्होंने दबाव में दस्तखत कर भी दिए थे। लेकिन जब ये लगा कि अब ज्यादा ही दबाव बनाया जा रहा है तब यह बड़ा कदम उठा लिया। मिश्रा ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम शुरू करके वे बेहद खुश और हल्का महसूस कर रहे हैं। उन्होंने अपनी जान को खतरा भी बताया।
मिश्र ने दो टूक कहा कि उनकी इस कार्रवाई पर अगर उन्हें निलंबित किया गया तो वह कोर्ट जाएंगे। अपनी सीट के पीछे लगी महात्मा गांधी की तस्वीर की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि पूरी सेवा में कभी मैंने किसी की मिठाई नहीं खाई। गांधी जी के आदर्शो पर चलते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम बढ़ा रहा हूं। उन्होंने गैलेंट्री अवॉर्ड के लिए चल रही दो सिपाहियों की फाइल पर भी लिख दिया कि उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए।
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