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नई दिल्ली राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को लालकृष्ण आडवाणी की जनचेतना यात्रा को मूल मुद्दे पर ही केंद्रित रखने की कड़ी नसीहत दी है। देश के राजनीतिक माहौल में तेजी से आए बदलाव का जिक्र करते हुए उन्होंने दो टूक कहा है कि पिछले एक साल के घटनाक्रमों से साफ है कि देश का राजनीतिक एजेंडा जनता तय कर रही है और इस प्रक्रिया के पीछे कोई राजनीतिक ताकत नहीं है। पहली बार देखने में आया है कि दोपहर को स्थान तय हो और शाम को वहां पचास हजार की भीड़ जुट जाए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की जनचेतना यात्रा के आयोजन के लिए पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ की कार्यशाला को संबोधित करते हुए जेटली ने साफ किया कि यात्रा की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह अपने एजेंडे से कतई नहीं भटके। इस दौरान किसी की निजी राय व दूसरी कोई गतिविधि सामने नहीं आनी चाहिए। यात्रा सुशासन व स्वच्छ राजनीति के मुद्दे पर है और उसी पर ही केंद्रित रहनी चाहिए।
जेटली ने अन्ना हजारे का नाम लिए बगैर कहा कि बीते एक साल में जनता ने जिस राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़कर अपने हाथ में लिया है उनमें सुशासन व स्वच्छ राजनीति ही प्रमुख मुद्दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके पहले देश ने जयप्रकाश नारायण का आंदोलन देखा था जिसमें उनकी अपनी शक्ति के साथ राजनीतिक ताकतें भी शामिल थीं, लेकिन अब जो आंदोलन हो रहे हैं उनमें राजनीतिक ताकतें नहीं हैं। यह बड़ा बदलाव है। देश का राजनीतिक एजेंडा जनता खुद तय कर रही है।
जेटली ने जम्मू-कश्मीर की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह सबके लिए आंखें खोलने वाला है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला व उनके पिता फारुख अब्दुल्ला के आसपास कैसे लोग हैं इसका साफ पता चल जाता है। इससे बड़े पद पर बैठने वाले लोगों को सोचना पड़ेगा कि उनको किन लोगों से दूर रहना है। जेटली ने साफ तौर पर कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस समय सबसे अधिक स्वच्छ शासन की जरूरत है।
देश के मौजूदा हालात के लिए संप्रग सरकार पर करारा हमला करते हुए जेटली ने कहा कि साल 2008 में जिस तरह से नोट के बदले वोट के जरिये सरकार बचाई गई, उसके बाद जनता में ऐसी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है। इस मामले में भाजपा सांसदों को जेल भेजा, यह नहीं चलेगा।
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