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वामपंथियों की नीति छोड़ दुर्गापूजा में उमड़े तृणमूल के मंत्री, 35 वर्षों की परंपरा तोड़ी
खुद को सेकुलर साबित करने के लिए धार्मिक अनुष्ठानों से दूर रहने की वामपंथियों की परंपरा को तोड़ते हुए तृणमूल कांग्रेस के मंत्रियों ने बेखटके दुर्गा पूजा में शिरकत कर रह हैं। पिछले 35 साल में यह पहला मौका है जब राजनीतिक संकोच को दरकिनार कर कई मंत्रियों ने स्वयं दुर्गा पूजा के पंडालों की जिम्मेदारी अपने हाथों में संभाली।
खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पिछले कई दिनों में कई पंडालों में जाकर मां दुर्गा का आशीर्वाद ले चुकी हैं। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के विधायक भी दुर्गा पूजा समारोहों में पहुंच रहे हैं।
नेताओं का कहना है कि उनके इस जुड़ाव से धार्मिक सदभाव का संदेश फैल रहा है। खेल मंत्री मदन मित्रा भवानीपुर में अग्रदूत एवं उदय संघ पूजा आयोजित कर रहे हैं। मित्रा अपनी पूजा के जरिए खेती और गांवों के महत्व को रेखांकित करना चाहते हैं। उन्होंने पूजा का शीर्षक मां माटी मानुष रखा है, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का खास नारा है।
लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि वह बचपन से ही इस पूजा से जुड़े हैं और मंत्री बनने से कोई फर्क नहीं पड़ता। पूजा समिति में तो मैं एक सामान्य सदस्य ही हैं। मुखर्जी दक्षिण कोलकाता के एकदलीय एवरग्रीन पूजा के पीछे एक प्रमुख ताकत हैं।
इस समिति के पास पूजा के लिए 40 लाख का बजट है। दक्षिण कोलकाता के चेतला अग्नि क्लब के अध्यक्ष नागरिक मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम हैं। इसके पंडाल को मस्जिद और मंदिर का आकार दिया गया है। यह सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा दे रहा है।
हकीम ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का इससे बेहतर उदाहरण और क्या होगा कि एक मुसलमान हिंदू पूजा आयोजित कर रहा है? यह हम सबके लिए धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि एक त्योहार है, जिसे सभी लोग धर्म से अलग हटकर मिलकर मनाते हैं। उन्होंने कहा कि यह उत्सव सभी धर्र्मो के लोगों के लिए सद्भाव लाता है और उन्हें परंपराओं से जुड़े रहने की सीख देता है।
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