प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिमी (वही जिसकी तुलना कांग्रेस महासचिव राहुल गाँधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से की थी) की हिट..
देश की राजनीति के कई चेहरे हैं। यहां हर फैसले जरूरत के हिसाब से नहीं चुनाव की बिसात पर लिए जाते हैं। कमोबेश ऐसी ही कुछ हकीकत एक रिपोर्ट के जरिए सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को छोड़ सभी राजनीतिक दल मुसलमानों की समस्या सिर्फ उनका वोट पाने के लिये उठाते हैं और उनकी नजर में यह बड़ा अलपसंख्यक समुदाय सिर्फ वोट बैंक ही है।
राज्य सरकार की संस्था गिरि इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज (जीआईडीएस) ने हाल ही में शहर और गांवों में मुसलमानों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक समस्या के बारे में सर्वेक्षण किया और इसी आधार पर इसकी तुलना हिन्दुओं से भी की।
बीजेपी को छोड़ सभी राजनीतिक दल मुसलमानों की तरक्की के लिये उनकी संख्या के आधार पर आरक्षण दिये जाने की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक समस्या को सुलझाने के लिये कुछ भी नहीं किया गया।
गिरि संस्थान के निदेशक ए.के. सिंह ने आज कहा कि सामाजिक, आर्थिक और शिक्षा को लेकर हिन्दू और मुसलमानों के बीच खाई लगातार बढ़ती जा रही है। मुसलमान लगातार पिछड़ते जा रहे हैं।
गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति के लोगों को यदि अलग कर दिया जाये तो दोनों समुदाय के बीच खेती, शिक्षा और सरकारी नौकरियों में फासला काफी लंबा हो जाता।
सिंह ने कहा कि सर्वेक्षण करने गई टीम ने पाया कि मुसलमानों के घर हिन्दुओं की तुलना में काफी छोटे हैं और उनमें सामान्य जरूरत की चीजों की भी कमी है। मुसलमान अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए कर्ज लेने को मजबूर हैं। मजदूरी से होने वाली आय भी मुसलमानों की कम है।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने दो तिहाई कर्ज गैर उत्पादित चीजों के लिये ले रखे हैं। लगभग एक तिहाई मुसलमान छप्पर वाले घर में रहते हैं और उनका मकान पक्का नहीं है। गांवों में हिन्दुओं के मुकाबले मुसलमान ज्यादा अशिक्षित हैं और उनके बच्चे स्कूल नहीं जाते। स्कूल जाने वाले मुसलमानों के बच्चे बड़ी मुश्किल से माध्यमिक तक शिक्षा पूरी कर पाते हैं।
सिंह ने कहा सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि यदि केन्द्रीय और राज्य की योजनाओं का लाभ मुसलमानों तक नहीं पहुंचता है तो दोनों समुदाय के बीच खाई और लंबी होती जायेगी। सर्वेक्षण के निष्कर्ष में कहा गया है कि केन्द्र या राज्य सरकार विकास की योजना तो लागू कर देती है लेकिन यह देखने की जहमत नहीं उठाती कि उनका लाभ सही लोगों तक पहुंच भी रहा है या नहीं।
बीएसपी से निकाले गए सासंद धनंजय सिंह के जौनपुर दौरे को लेकर पुलिस हुई सक्रिय. वाराणसी एयरपोर्ट और जौनपुर में बड़ेपैमाने में पुलिस तैनात। आज धनंजय ने जौनपुर पहुंचकर अपनी शक्ति प्रदर्शन का ऐलान किया था।
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