२० दिन से जारी है 'अभिक्षिन्न गंगा सेवा तपस्या' : गंगा भारतीय संस्कृति

Published: Friday, Feb 03,2012, 09:28 IST
Source:
0
Share
अभिक्षिन्न गंगा सेवा तपस्या, गंगा, भारतीय संस्कृति, Ganga, Indian culture, Ganga sewa tapasaya, IBTL

आस्था का केंद्र मानी जाने वाली पवित्र पावन मोक्षदायिनी गंगा को उनके वास्तविक स्वरूप में लाने के लिए 'अभिक्षिन्न गंगा सेवा तपस्या'  पिछले १५ दिन से अधिक समय से चल रही है परन्तु मीडिया ने इस तपस्या से क्यों दुरी बनाये रखी है, ये एक बहुत बड़ा सवाल है| इस तपस्या माध्यम से गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है । इसकी शुरुआत १६ जनवरी को माघ मेला क्षेत्र स्थित शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिविर में ज्ञान स्वरूप स्वामी सानंद ने की थी। गंगा सागर में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद, राजेंद्र सिंह, कृष्ण प्रियानंद व गंगाप्रिय भिक्षु ने गंगा सेवा का संकल्प लेकर लौटे हैं।

'अभिक्षिन्न गंगा सेवा तपस्या' में बैठे स्वामी सानंद ८ फरवरी तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। वह एक स्थान पर रहकर लोगों को गंगा की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने के साथ उन्हें प्रदूषण मुक्त करने के लिए जागरूक करेंगे। इसके बाद ८ फरवरी से ८ मार्च तक संकल्प लेने वाले दूसरे संत हरिद्वार स्थित मातृ सदन में फल का त्याग कर तपस्या करेगा। जबकि ९ मार्च से जल त्याग कर काशी में तपस्या की जाएगी। तपस्या करने वाला व्यक्ति अगर बीच में प्राण त्यागता है तो संकल्प लेने वाला दूसरा व्यक्ति उसे आगे बढ़ाएगा। गंगा सेवा अभियान के संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि गंगा को हमें वही सम्मान देना है जो अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक तिरंगा को देते हैं। पतित पावनी गंगा राष्ट्र का गौरव एवं प्राण है। विकास के नाम पर अलखनंदा पर 50 बांध प्रस्तावित हैं, जिन्हें किसी भी कीमत पर बनने नहीं दिया जाएगा। द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, गंगा सिर्फ नदी नहीं भारतीय संस्कृति की अक्षुण्ण धारा है। जो अपने प्रवाह के साथ देश को एकता के सूत्र में बांधे है। अगर राष्ट्र रक्षा करना है तो पहले गंगा की रक्षा की जाए। गंगा मां के जयघोष के बीच उन्होंने कहा नालों और पाइपों के बीच उसे दफन नहीं होने दिया जाएगा।

ganga-Indian-culture-ganga-sewa-tapasaya-IBTL-India-behind-the-lens

अभी २ दिन पहले ही कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह भी संतो से मिले और उनसे तपस्या को रोकने के लिए कहा परन्तु संतो ने उनकी बात को ना मानते हुए अपनी अखंड तपस्या को जारी रखा| दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से स्वयं इस तपस्या मे सम्मिलित होने आया हूँ । मैं आपकी बात सरकार तक पहुंचाऊंगा। किसी पत्रकार के यह पूछने पर कि यहा पर सन्यासियों ने बलिदान करने का संकल्प लिया है तो आप कितने बलिदानों के बाद सरकार तक बात पहुंचाएंगे ? तो उन्होने कहा कि मैं एक भी बलिदान नहीं होने दूंगा।

ganga-Indian-culture-ganga-sewa-tapasaya-IBTL-India-behind-the-lens

...

Comments (Leave a Reply)

DigitalOcean Referral Badge