कहा जाता हैं कि भारत विविधताओं का देश है। बात सच भी है। संस्कृति की समरसता के छत्र में वैविध्य की वाटिका यहाँ सुरम्य दृष..
लोकतंत्र की और लोगों की ताक़त का संकेत है, सेनाध्यक्ष वीके सिंह
सरकारी लोकपाल विधेयक के विरोध में अनशन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे को मिल रहे जन समर्थन पर भारत के सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह का कहना है कि ये 'लोकतंत्र की और लोगों की ताक़त' का संकेत है.
उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि देश एक तरह से दलदल में फँसा है मगर 'एक रोचक और उथल-पुथल भरे दौर' से गुज़र रहा है.
जनरल सिंह ने कहा, "ये रोचक है कि कैसे हम लोकतंत्र की और लोगों की ताक़त देख रहे हैं. ये भी देखना रोचक है कि कैसे हमारा नेतृत्त्व इन चीज़ों से निपट रहा है."
उनका कहना था कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों तक काफ़ी कुछ हो रहा है.
सेनाध्यक्ष ने कहा कि देश में कई वजहों से एक तरह का असंतोष है जिसमें से कुछ तो प्रायोजित ढंग से पैदा किया गया है, कुछ असलियत में है और कुछ ऐसा है जो सही मसले पर शुरू तो हुआ मगर फिर कहीं और चला गया.
युवाओं को दिशा
इसके साथ ही जनरल सिंह ने कहा, "इन सबका भाव एक ही है और वो ये कि हम जिस दलदल में हैं वहाँ से देश को आगे कैसे ले जाएँ. ज़रूरी ये नहीं है कि आंदोलन का नेतृत्त्व कौन कर रहा है बल्कि ज़रूरी ये है कि ऐसी नौबत ही क्यों आई."
सेनाध्यक्ष ने पूर्व सांसद संतोष भारतीय की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में मुंबई में ये बातें कहीं जहाँ वह मनोरंजन उद्योग से जुड़े सदस्यों से चर्चा कर रहे थे.
उन्होंने युवा वर्ग को सही दिशा देने की बात कही, "अगर युवा को सही दिशा दी जाए, सही मूल्य दिए जाएँ तो मेरे ख़्याल से हम जिस दलदल में हैं उससे निकल सकते हैं."
भ्रष्टाचार का ज़िक्र करते हुए भारतीय सेनाध्यक्ष ने कहा कि हर व्यक्ति उसमें कहीं न कहीं शामिल है, "चूँकि उसे आगे बढ़ाने में हम सब लोग शामिल हैं इसलिए अगर हम आत्ममंथन करें तो देखेंगे कि किसी न किसी मौक़े पर हम सब इसमें शामिल रहे हैं."
उन्होंने नक्सल समस्या का जवाब सेना को मानने से इनकार करते हुए कहा, "सेना नक्सल समस्या का जवाब नहीं है क्योंकि सेना की भूमिका तो बाहरी आक्रमण से निबटने की है
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