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आज भी प्रज्ज्वलित है आर्य संस्कृति की ज्योति, जहाँ गूंजते हैं वेद-मंत्र : प्रबोधिनी गुरूकुल

प्रबोधिनी गुरुकुल के सिद्धांत: गुरुकुल पद्धति भारत भूमि के महान
ऋषि मुनियों द्वारा शिक्षा प्रदान करने हेतु किए गए प्रयोगों से निकले
सिद्धांतों पर आधारित है | आध्यात्म शिक्षा की आधारशिला है | शिक्षा
का उद्देश्य बालक के व्यक्तित्व का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक
एवं आधात्मिक अर्थात समग्र विकास होता है | स्वाध्याय, स्व-चिंतन,
स्वानुशासन, एवं स्वावलंबन गुरुकुल जीवन के चार स्तंभ हैं | धर्म,
श्रद्धायुक्त समर्पण, एवं राष्ट्रप्रेम के आदर्श प्रत्येक शिक्षार्थी
के व्यक्तित्व में प्रस्फुटित एवं पल्लवित होने चाहिए | मनुष्य का
प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व आवश्यक है क्योंकि सभी जीवित प्राणी इस
जीवन रुपी महान तीर्थ यात्रा में सहयात्री हैं |
अध्यक्ष, प्रबोधिनी ट्रस्ट, चित्रकूट, हरिहरपुर,
तालुक कोप्पा जिला : चिकमगलूर, कर्नाटक, पिन : ५७७१२०, भारत
संपर्क सूत्र +९१ ८२६५ २७४ २३२ | ई-मेल :
[email protected]
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In English : The flame of Aryan culture is still lit, where
Vedic chants reverberate: Prabodhini Gurukul
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# समाराधना हेतु प्रस्थान
# गुरुकुल गुल्प
# प्रदर्शनी अवलोकन
# बाल ऋषि
# गुरु-शिष्य संवाद
# गुरुकुल में कृषि-कर्म
# पारंपरिक समूह भोज
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