आइटी के क्षेत्र में पूरी दुनिया में अपनी क्षमताओं का लोहा मनवाने के बाद अब भारत नए, तेज और विभिन्न क्षमताओं से लैस सुपर ..

हमारे देश के भविष्य को तय करने जा रहे आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं| निर्वाचन प्रक्रिया के अगले माह से शुरू होने की पूरी सम्भावना है।
क्या भारतवासियों का अनुचित महंगाई, भ्रष्टाचार और कुशासन को झेलते रहना जारी रहेगा ? या फिर लोकसभा चुनावों के पश्चात वे कष्टों से निजात पा सकेंगे ? इन प्रश्नों का उत्तर आने वाले चुनावों के परिणामों पर निर्भर करेगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि आगामी चुनाव ऐतिहासिक सिद्ध होंगे और शान्ति, समृद्धि व प्रगति के नवीन युग की शुरुआत करेंगे।
In English : Lok Sabha Polls will usher India of our dreams
भाजपा, जिसे कि भारत और विदेशों के अधिकतर विश्लेषकों द्वारा चुनावों के पश्चात सत्ता में आने वाली पार्टी के रूप में देखा जा रहा है, ने कुछ समय पहले श्री नरेंद्र मोदी को अपने प्रधानमंत्री प्रत्याशी के रूप में प्रस्तुत किया है। मोदी जी पहले ही लोगों के दिलों में जगह बना चुके हैं, यह इससे पता चल ही जाता है कि किस प्रकार देश भर में हुई उनकी रैलियों में लोग भारी मात्रा में उपस्थित रहे और किस प्रकार उनके भाषण सुन कर लोग जोश से भर जाते हैं। निस्संदेह, देश में मोदी–लहर बह रही है और भाजपा विरोधी सभी ताकतें एक ही मुद्दे पर इकट्ठी हो रही हैं कि भाजपा को सत्ता में नहीं आने देना है। इसने 2014 के चुनावों को बहुत सरल बना दिया है : मोदी बनाम बाकि सब।
जैसा कि स्वामी रामदेवजी ने कुछ दिन पूर्व कहा, कांग्रेस को समर्थन देने वाली अथवा कांग्रेस से समर्थन लेने वाली किसी भी पार्टी को वोट देना भ्रष्ट और अयोग्य कांग्रेस पार्टी को ही वोट देने के समान है।
जनता और विश्लेषक नरेंद्र मोदी पर भरोसा क्यों करते है ? इसका कारण है कि मोदीजी की उपलब्धियां शब्दों से ऊंचा बोलती हैं। जब वह भरोसा दिलाते हैं कि वो राष्ट्रीय स्तर पर कोई कदम उठायेंगे, तो लोग उन पर विश्वास करते हैं क्योंकि वह ऐसे ही कार्यक्रमों को गुजरात में लागू कर चुके हैं।
लोगों को भरोसा है कि जैसा उन्होंने गुजरात में किया, वैसे ही वो देश में उच्च आर्थिक विकास लायेंगे, युवाओं के लिये रोजगार उपलब्ध होगा, वर्तमान निराशावाद आशावाद में परिवर्तित होगा और निवेश में बढ़ोतरी होगी। मंद पड़े शेयर बाज़ार को नया जीवन मिलेगा, जनता के खजाने से लूट समाप्त होगी और शासन व्यवस्था एक बार फिर देश और जनता की सेवा के लिये तैयार रहेगी।
हाल ही में, विधान सभा चुनावों में मिली शर्मनाक हार के बाद,कांग्रेस पार्टी श्री राहुल गांधी को अपना प्रधानमंत्री प्रत्याशी घोषित करने की तैयारी में है। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सार्वजनिक रूप से इस दौड़ .से स्वयं को बाहर कर दिया है। परन्तु, मतदाता और विश्लेषक असमंजस में हैं कि देश के सर्वोच्च पद की दावेदारी पेश करने के लिये राहुल गांधी के पास क्या योग्यतायें हैं सिवाय इसके कि उनका जन्म एक विशेष परिवार में हुआ है ? जबकि सारा राष्ट्र इस तरह की राजनीति से हो रहे पतन के खिलाफ विद्रोही हो रहा है,ऐसे में वंशवाद शायद ही कोई महत्त्व रखे। आने वाले दिन यह बतायेंगे कि क्या प्रधानमंत्री के रूप में राहुल की प्रस्तुति UPA को विघटित कर देगी; NCP के शरद पवार पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि वो आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगे।
हाल में हुये दिल्ली के चुनावों में आम आदमी पार्टी के अपेक्षा से अधिक अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित होकर कुछ समालोचक यह समझ बैठे हैं कि यह पार्टी आने वाले लोकसभा चुनावों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। ऐसा सोचने वाले लोग इस तथ्य की ओर ध्यान देना भूल जाते हैं कि अब तक AAP ने केवल आश्वासन दिये हैं और उसके लिए इन आश्वासनों को पूरा कर पाना कठिन हो रहा है। उसके पास न तो भाजपा जैसी अच्छे शासन की उपलब्धियां हैं और न ही भाजपा जैसी दूरदर्शिता। AAP के वरिष्ठ नेता, प्रशांत भूषण, बार बार काश्मीर में जनमत संग्रह की मांग कर रहे हैं, यह सच्चाई इस पार्टी को निर्वाचक-मंडल द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कोई भी भूमिका दिये जाने के लिए अयोग्य ठहराती है। जहां तक कि राष्ट्रीय स्तर पर शासन का प्रश्न है, AAP के प्रति भरोसे में कमी के कारण ही बहुत से AAP मतदाताओं ने दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले यह कहा है कि वो लोकसभा चुनावों में मोदी को वोट देंगे।
भाजपा के बाकि विरोधी तिनके का सहारा ले रहे हैं और आशा करते हैं कि तथाकथित तीसरा मोर्चा इतनी लोकसभा सीटें हासिल कर लेगा कि वो कांग्रेस के साथ मिल कर भाजपा को सत्ता से बाहर रखने में सफल हो जायेगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि इन पार्टियों और बुद्धिजीवी वर्ग में इनके समर्थकों के पास देश के लिये कुछ सकारात्मक करने का कोई कार्यक्रम नहीं है, उनका एकमात्र लक्ष्य भाजपा को सत्ता से बाहर रखना है। उनके DNA में मौजूद यह समानता उन्हें जनता की कल्पना में एकसाथ लाकर खड़ा कर देती है। इन कांग्रेसवादी ताकतों की इस भाजपा-विरोधी धारा ने इन चुनावों के लिए मोदी-बनाम-बाकि की जमीन तैयार कर दी है। इसलिए यह स्पष्टत: संभव है कि भाजपा अपने सहयोगियों के साथ मिल कर लोकसभा चुनावों में स्पष्ट बहुमत हासिल करने में सफल होगी।
देश के सामने विकल्प स्पष्ट हैं। बहुत सहन कर लिया हमने। अब जंजीरों को तोड़ कर नवीन भारत के उदय का समय आ गया है – ऐसा भारत जहां हर नागरिक को अपनी सारी क्षमता को दिखाने का और अपनी मातृभूमि का गौरव बढाने का अवसर प्राप्त हो।
आगामी लोकसभा चुनाव हमें वो ऐतिहासिक अवसर प्रदान करने जा रहे हैं जहां पर कि हम अपने वोट का प्रयोग उस शस्त्र के रूप में कर पायेंगे, जोकि उन लोगों को विजय दिलायेगा, जोकि भारत के गौरव को पुनर्स्थापित करेंगे और उन लोगों को बाहर निकाल फेकेगा जिन्होंने कि देश को कमजोर बनाने का काम किया है। आईये सब मिल कर सौगंध लें कि अपने और अपनी प्यारी मातृभूमि को स्वतन्त्रता दिलाने के लिये प्राण न्यौछावर करने वाले लाखों लोगों के सपनों को साकार करने के लिये अपना पूरा जोर लगा देंगे।
भारत सर्वप्रथम ...
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