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भूपेन हजारिका जी ने समानांतर सिनेमा प्रेमियों के मनमस्तिष्क पर अमित छाप छोड़ी
पद्मभूषण श्री भूपेन हजारिका के निधन सम्पूर्ण देश कि कला संस्कृति
कि क्षति है भूपेन हजारिका कवि, गायक, गीतकार, अभिनेता, पत्रकार,
फिल्म निर्माता, लेखक, राजनेता थे। उन्होंने प्रारंभिक कुछ फिल्मों को
छोड कर अधिकांश कल्पना लाजिमी की फिल्मों को ही संगीत दिया था। इनमें
से आरोप, एक पल, रुदाली, साज़,दो राहें, दरमियाँ, गजगामिनी, दमन,
क्यूँ, चिंगारी आदि चलचित्रों में उल्लेखनीय संगीत दिया था। जिसके
बलबूते उन्होंने देश के समानांतर सिनेमा प्रेमियों के मनमस्तिष्क पर
अमित छाप छोड़ी ...
"विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार
निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम
ओ गंगा बहती हो क्यों ?
नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुआ
निर्लज्य भाव से बहती हो क्यों ?
अनपढ़ जन खाध्य विहीन,
नेत्र विहीन देख मौन हो क्यों ?
इतिहास की पुकार, करें हँकार
ओ गंगा की धार, निर्वल जन को सकल संग्रामी
समग्रगामी बनाती नहीं हो क्यों ?
व्यक्ति रहे व्यक्ति केन्द्रित, सकल समाज व्यक्तित्व रहित
निष्प्राण समाज नहीं तोड़ती हो क्यों ?
स्त्रोतस्विनी तुम न रही, तुम निश्चय चेतना नहीं
प्राणों से प्रेरणा बनती न क्यों ?
आज भी समस्त राष्ट्रवादियों के मन में एक टीस छोड जाता है श्री
हजारिका जी के कई अंगों ने काम करने बंद कर दिया था। उनकी उम्र 86
वर्ष की थी। ५ नवंबर सायं काल लगभग साढ़े चार बजे उनका निधन हो गया।
हजारिका जी का इस अस्पताल में २९ जून से इलाज चल रहा था। अक्तूबर के
अंत में निमोनिया होने के पश्चात उनकी सेहत और खराब हो गई। हजारिका ने
अपना अंतिम गीत फिल्म "गांधी टू हिटलर" के लिए गाया, जिसमें उन्होंने
बापू के पसंदीदा भजन वैष्णव जन गाया था।
रविवार सांय को उनका पार्थिव शरीर गुहावटी लाया गया उनका शरीर जजेज
फिल्ड में अंतिम दर्शन को मंगलवार तक रखा जायेगा एवं उनके पुत्र तेज
के आने पर उनका दाहसंस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा उनकी
मृत्यु के शोक में असम में तीन दिन का राष्ट्रीय शोक रखा गया है।
IBTL
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