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धुन के पक्के, समर्पित गीता प्रचारक श्री गोपाल रत्नम

तमिलनाडु के कोयम्बतूर नगर के आसपास के गाँवों में एक दाढ़ीधारी व्यक्ति को भगवद गीता पर प्रवचन देते अमूमन देखा जा सकता है। ये सज्जन हैं, 14 वर्षों तक RSS के पूर्व प्रचारक रहे श्री गोपालरत्नम, एम टेक की पढ़ाई पूरी कर चुके गोपाल जी ने अपना समूचा जीवन भारत के उत्थान, हिन्दू संस्कृति के प्रचार एवं गीता ज्ञान के प्रसार में लगा दिया है।
श्री गोपालरत्नम अधिकतर अपनी मारुती अल्टो कार में ही निवास करते हैं। वे सुबह से लेकर रात तक कोयम्बटूर के आसपास के गाँवों में इसी कार से घूमते हैं। प्रत्येक गाँव में श्री रत्नम तीन दिन निवास करते हैं तथा भगवदगीता पर प्रवचन देते हैं। अपने प्रवास के पहले दिन वे "गीता और व्यक्ति", अगले दिन "गीता और परिवार" तथा तीसरे दिन "गीता और समाज" विषयों पर अपने विचार ग्रामीणों तक पहुँचाते हैं। ऐसा वे बिना किसी प्रचार अथवा भीड़भाड़ एकत्रित किए करते हैं।
अपने प्रोजेक्ट का नाम उन्होंने "In Search Of ChandraGupta" (चन्द्रगुप्त की खोज में) रखा है। अभी तक के अपने अभियान के दौरान उन्होंने 18 समर्पित नवयुवकों को अपने साथ जुड़ने के लिए, उनका चुनाव किया है। ये सभी नवयुवक हिन्दुत्व, भगवदगीता एवं भारतीय संस्कृति के प्रति पूर्ण समर्पित हैं। ये सभी युवा शराब-जुआ एवं दहेज जैसे समस्त प्रकार के व्यसनों और कुरीतियों से मुक्त हैं। श्री गोपालरत्नम ने इन सभी युवकों को अपने तरीके से समाजसेवा का प्रशिक्षण दिया है, आसपास के गाँवों में ये युवक जाति-धर्म से ऊपर उठकर गरीबों के कल्याण के लिए निःस्वार्थ भाव से उनके शासकीय कार्य (जैसे राशन कार्ड बनवाना, गैस कनेक्शन के कागज़ात, वोटर आईडी, वृद्धावस्था पेंशन, वरिष्ठ नागरिक प्रमाण पत्र एवं सहायता इत्यादि) मुफ़्त में करते हैं।
हाल ही में सम्पन्न हुए कोयम्बटूर नगरीय निकाय के चुनाव में इन 18 युवकों को उन्होंने चुनाव में भी उतारा, इन्होंने मतदाताओं को अपने कार्यक्रम तथा समाजसेवा के बारे में घर-घर जाकर बताया तथा चुनाव जीतने पर वे क्या-क्या करना चाहते हैं यह भी विस्तार से बताया। कम से कम पैसा खर्च करके किये गये इस चुनाव अभियान के उम्दा नतीजे भी मिले, तथा इन 18 युवकों में से एक श्री सतीश ने मेट्टुपालयम नगर पालिका में द्रमुक-कांग्रेस-अन्नाद्रमुक के करोड़पति प्रत्याशियों को हराकर पालिका अध्यक्ष का चुनाव जीता, जबकि तीन अन्य युवक भिन्न-भिन्न स्थानों पर पार्षद (Corporator) भी बने…।
स्वभाव से शांतिप्रिय, कम बोलने वाले एवं मीडिया से दूर रहने वाले श्री गोपालरत्नम कहते हैं कि शांति से एवं योजनाबद्ध तरीके से की गई सच्ची जनसेवा को आम आदमी निश्चित रूप से पसन्द करता है। इस कार्य की प्रेरणा को वे संघ की कार्यपद्धति का नतीजा बताते हैं और उन्हें विश्व की सबसे प्राचीन हिन्दू संस्कृति पर गर्व है।
श्री गोपाल रत्नम जैसे निस्वार्थ सेवाभावी एवं हिन्दू धर्म प्रचारक
को सादर नमन… ऐसे हजारों प्रचारक संघ से प्रेरणा लेकर बिना किसी
प्रचार के समाजसेवा कार्य में लगे हुए हैं। ऐसे लोग ही सच्चे अर्थों
में महान कहलाने लायक हैं और यही हिन्दुत्व की असली शक्ति भी हैं…
सुरेश चिपलूनकर
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