
सरकार को पारदर्शी बनाने के लिए सूचना का अधिकार [आरटीआई] कानून को प्रभावी हथियार बताते हुए भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उस बयान की शनिवार को आलोचना की जिसमें उन्होंने इस कानून की समीक्षा की बात कही है।
आडवाणी ने कहा कि उनकी पार्टी ऐसे किसी भी कदम का विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार कुछ समय पहले तक आरटीआई कानून के लिए अपनी पीठ थपथपा रही थी और कहती थी कि इससे पारदर्शिता आई है।
भाजपा नेता ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मेरी पार्टी आरटीआई कानून की किसी भी तरह की समीक्षा का विरोध करती है क्योंकि मेरा मानना है कि सरकार को पारदर्शी बनाने का यह प्रभावी तरीका है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ऐसे समय इस कानून की समीक्षा की बात कही है जब कोई भी इस कानून को लेकर शिकायत नहीं कर रहा है। सरकार की आलोचना करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने कभी भी इस सरकार से ज्यादा भ्रष्ट, पंगु और निष्क्रिय सरकार नहीं देखी।
आडवाणी ने कश्मीर पर प्रशांत भूषण के बयान का अन्ना हजारे द्वारा खंडन किए जाने की प्रशंसा की। भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने यह बात पहले नहीं कही क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि कोई यह अर्थ लगाए कि टीम अन्ना में मतभेद के संकेत से वह खुश हैं।
भाजपा के ही लोगों द्वारा संवाददाताओं को धन बांटने के आरोपों पर आडवाणी ने कहा कि जैसे ही मुझे जानकारी दी गई मैंने तत्काल प्रदेश अध्यक्ष से बात की और पूछा कि यह क्या है। भ्रष्टाचार को लेकर मुझसे सवाल किए गए और उस पर कार्रवाई की गई है। उधर, भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने निकले लालकृष्ण आडवाणी की जनचेतना यात्रा को कांग्रेस की महिला इकाई की कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा। राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर शनिवार को जबलपुर में इन कार्यकर्ताओं ने आडवाणी को काले झंडे दिखाए।
आडवाणी की यात्रा शनिवार को जबलपुर-नागपुर मार्ग से होते हुए जब नरसिंहपुर की ओर जा रही थी, तभी मदन महल इलाके में कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए काले झंडे दिखाए। काले झंडे दिखाने वाली महिलाओं की संख्या लगभग एक दर्जन थी।
महिलाओं का आरोप था कि राज्य में शिवराज सिह चौहान की सरकार के एक दर्जन से ज्यादा मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उनके खिलाफ लोकायुक्त की जांच चल रही है इसलिए उन्हें पद से हटाया जाए।
स्वास्थ्य आधार पर पीएम पद की उम्मीदवारी का फैसला करुंगा:--
उमरिया: लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि वह प्रधानमंत्री पद के लिए
अपनी उम्मीदवारी के मुद्दे पर लोकसभा चुनाव के वक्त अपने स्वास्थ्य और
क्षमता के आधार पर फैसला करेंगे।
भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जनचेतना यात्रा' पर निकले पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी ने यह स्वीकार किया कि उनके 38 दिनों के इस अभियान का एक उद्देश्य सत्ता परिवर्तन है।
एक साक्षात्कार के दौरान एक राजनेता के सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका में उतरने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस यात्रा का एक उद्देश्य सत्ता परिवर्तन भी है। यह एक राजनीतिक अभियान है।
आडवाणी ने कहा कि लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भी अगर भ्रष्टाचार मौजूद रहा, तो मेरी विश्वसनियता ही क्या रह जाएगी? मेरी पार्टी की साख इसलिए बरकरार है, क्योंकि कई राज्यों में हमने अच्छी सरकारें बनाईं हैं और कर्नाटक जैसी स्थितियां पैदा होने पर हम कदम उठाते हैं।
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